Today's Murli Points regarding Baba's Yaad

10.05.2018 - Sakar Murli

5.

यहाँ बाबा कहते हैं कोई के शरीर के साथ मोह नहीं रखो। बिल्कुल नष्टोमोहा बनो। सब शरीरों को बुद्धि से निकालना है। अब इन ऑखों से जो देखते हो वह भूलना है। बाप सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो। मेरा तो कोई शरीर नहीं है, इसलिए डिफीकल्टी होती है। सगाई की अंगूठी पहनाते हैं ना। अब वह तो निराकार है, उसका कोई चित्र नहीं है। अंगूठी पहनाई जाती है कि निराकार शिवबाबा को याद करो। 

 

4.

सारी दुनिया में कहते हैं परमात्मा सर्वव्यापी है फिर उनको याद करने से क्या मिलेगा? भक्त उनको याद करते हैं परन्तु उनसे मिलता क्या है, यह कोई नहीं जानते। सर्वव्यापी कहने से मिलने की बात ही नहीं उठती। 

 

3.

मुख्य बात है - पहले सर्वव्यापी का ज्ञान निकालना पड़े। बाप को सब याद करते हैं। भक्त चाहते हैं भगवान आकर हमको कुछ देवे। बाप ने जरूर कुछ दिया है। रचयिता रचेगा तो देगा भी ना। बाबा देते हैं स्वर्ग की बादशाही। उस बाप को भूलना नहीं है। यही है मेहनत।

 

2.

सारी दुनिया में यह सर्वव्यापी का ही ज्ञान है। इस समय जो बच्चे हैं, उन्हों की ही बुद्धि में हमारी याद है। तो उन्होंने फिर लिख दिया है मैं सर्वव्यापी हूँ। सभी मनुष्य मुझे याद करते हैं परन्तु जानते नहीं हैं तो अर्थ का कितना फ़र्क कर दिया है। रस्सी को साँप बना दिया है। अब बाप कहते हैं - मेरे को याद करो और कोई को नहीं। 

 

1.

कई बच्चे कहते हैं कि बाबा की याद नहीं रहती है, अपने को आत्मा नहीं समझते, घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं। बाप को याद नहीं करेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा। बाबा कहते हैं निरन्तर मुझे याद करो तो उसी योगबल से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। याद नहीं करेंगे तो मम्मा-बाबा के तख्त-नशीन कैसे बनेंगे। उनको कपूत कहा जायेगा। सपूत बच्चे तो बाप को निरन्तर याद करने का खूब पुरुषार्थ करते रहेंगे। अन्त तक करना ही है। बाप को जितना याद करेंगे उतना तुम्हारी कमाई है। अपना चार्ट रखो।