POINTS OF YAAD FROM MURLI - 27.09.2018


1.

तुम्हारी बुद्धि में है - पतित-पावन परमपिता परमात्मा हमको राजयोग सिखलाते हैं, वह ज्ञान का सागर है। यह तो बुद्धि में निश्चय रहना चाहिए। यह एक ही बाप है, जिसको कोई भी रूप में याद करो। बुद्धि ऊपर निराकार तरफ चली जाती है। कोई आकार वा साकार नहीं है। आत्माओं को परमपिता परमात्मा से अब काम पड़ा है परन्तु जानते नहीं हैं।

 

2.

सतगुरू राजयोग सिखलाते हैं, पावन दुनिया में ले जाते हैं। एक की कितनी महिमा है! लक्ष्मी-नारायण को यह महिमा नहीं दे सकते। एक ही निराकार बाप है। आत्मायें भी निराकार हैं, जब शरीर से अलग हैं। बाप कहते हैं तुम अपना शरीर लेकर पार्ट बजाते हो।

3.

मैं निराकार न आऊं तो राजयोग कैसे सिखलाऊं? मुझे ही ज्ञान सागर कहते हैं, मनुष्य स्वर्ग की स्थापना तो नहीं करेंगे ना। बाप को ही कहा जाता है हेविनली गॉड फादर।

 

4.

तुम सतयुग के लिए राजयोग सीख रहे हो। विनाश के बाद फिर सतयुग के गेट खुलते हैं। बाप ने समझाया है इस समय तुम बाप से राजयोग सीखते हो। तुम योगबल से राज्य लेते हो।

 

5.

तुम ढिंढोरा पिटवाओ कि स्वर्ग का रचयिता राजयोग सिखलाने वाला वह भगवान् आया हुआ है। वह हथेली पर बहिश्त ले आया है।

 

6.

बाप बैठ समझाते हैं - तुम बाप को क्यों भूलते हो? घड़ी-घड़ी मुझे याद करो। तुम्हारे 84 जन्म पूरे हुए, अब मैं तुमको राजयोग सिखलाने आया हूँ। फिर भी तुम घड़ी-घड़ी भूल जाते हो। देह-अभिमान छोड़ अपने को अशरीरी समझो।