POINTS OF YAAD FROM MURLI - 29.09.2018


1.

अभी तुम मात-पिता उस निराकार को ही कहते हो। तुम्हारे सहज राजयोग और ज्ञान की शिक्षा से हम सुख घनेरे पायेंगे। उसके लिए तुम पुरुषार्थ कर रहे हो।

 

2.

शिवबाबा और ब्रह्मा बाबा दोनों के सम्मुख हो। शिवबाबा को अपना शरीर तो है नहीं। तुम जानते हो शिवबाबा इनके मुख द्वारा राजयोग सिखला रहे हैं। कृष्ण तो छोटा बच्चा है, वह कैसे कहेगा कि देह सहित देह के सभी सम्बन्धों को भूलो, अपने को आत्मा समझो।

 

3.

भल त़ूफान तो खूब आयेंगे। माया छोड़ती कोई को नहीं है। बड़े-बड़े दीपकों को भी बुझा देती है। उल्टे-सुल्टे संकल्प तो खूब वार करेंगे। मजबूत रहना है। इसमें मुरझाने की बात नहीं है। बाप से योग तोड़ नहीं देना है। सबका खिवैया वह बाप है। विषय वैतरणी की बड़ी खाड़ी है। उसे तुम योगबल से पार करते हो।

 

4.

तुम स्वर्ग में जाते हो वाया मुक्तिधाम इसलिए शिवपुरी, विष्णुपुरी को याद करो। याद करते-करते अन्त मती सो गति हो जायेगी। यह याद रखो - हमारे 84 जन्म पूरे हुए। फिर हम कल आकर राज्य करेंगे, दिल दर्पण में अपनी शक्ल देखते रहो, कोई अवगुण तो हमारे में नहीं है?