POINTS OF YAAD FROM MURLI - 28.05.2018


1.

गोप-गोपियाँ संगमयुग पर हैं जबकि गोपी वल्लभ भी आते हैं। वल्लभ बाप को कहा जाता है। बच्चे याद करते हैं कि बाबा फिर से आओ।

 

2.

सर्वशक्तिमान के साथ योग लगाने से ही शक्ति मिलती है। बाप का नहीं बनते हैं तो शक्ति नहीं मिलेगी।

 

3.

भगवान शिवाचार्य बैठ तुम बच्चों को समझाते हैं। राजयोग सिखलाते हैं। वह हठयोगी हैं। वह राजयोग सिखला न सके। यह बेहद का बाप ही सतयुग का राज्य प्राप्त कराने राजयोग सिखलाते हैं।

 

4.

तुम हो रूहानी पण्डे, रूहानी यात्रा कराने वाले। यह धारण करने की बातें हैं। बच्चे अच्छी रीति धारणा कर समझाते हैं। कोई फिर ऐसे भी हैं जिनका योग पूरा नहीं रहता है। भल ज्ञान की धारणा अच्छी रहती है। योग नहीं ठहरता है। ज्ञान में माया इन्टरफियर नहीं करती है। योग में माया इन्टरफियर करती है। जैसे रेडियो में स्पीच करते हैं तो लड़ाई जब लगती है तो एक दो का आवाज सुनने नहीं देते हैं। खिट-खिट करते हैं तो योग में माया भी इन्टरफियर करती है। भारत में योग का नाम मशहूर है। प्राचीन योग किसने सिखाया? उन्होंने कृष्ण भगवानुवाच कह दिया है।

 

5.

बहुत नहीं धारणा कर सकते हैं तो फिर थोड़ा ही सही। अच्छा, मन्मनाभव। बाप की याद में रहो। आत्मा का स्वधर्म है शान्त। अटेन्शन प्लीज, सावधान - अपने बाप को याद करो। बाप को याद करने से वर्सा जरूर याद आयेगा। ऐसे हो नहीं सकता वर्सा याद न आये। बाप और वर्से को याद करने से तुम जीवनमुक्त बनते हो। कितनी सहज बात है। नाम ही रखा है - ‘सहज राजयोग।' योग कहने से ही मूँझते हैं। यह तो बाप को याद करना है ना। बाबा कहते हैं - अरे बच्चे, तुम बाप को भूल जाते हो! जिस बाप से हीरे जैसा जन्म मिला है, तुम उनको भूल जाते हो! लौकिक बाप को कब भूलते हो? बाबा को भूला तो वर्सा गुम। अपने को आत्मा निश्चय कर बाप को याद करना है।