POINTS OF YAAD FROM MURLI - 30.05.2018


1.

हम बुद्धियोग की यात्रा पर हैं। बुद्धियोग लगाते हैं परमपिता परमात्मा साथ। भक्तिमार्ग में तो कितना माथा मारते हैं। बाप के साथ बुद्धियोग रहता ही नहीं। बाप भी कहते हैं - मैं एक ही बार आकर मत देता हूँ कि मेरे साथ योग लगाओ।

 

2.

प्रामिस करनी चाहिए कि - बाबा, हम नष्टोमोहा हो आपसे योग लगायेंगे। आपको ही वारिस बनायेंगे। हरेक को अपनी कमाई करनी है। तो कमाई का ओना होना चाहिए। जो करेगा सो पायेगा।

 

3.

यहाँ तो योग और ज्ञान की बात है। जो कुछ शास्त्र आदि पढ़े हैं उन सबको भूल जाओ। नये सिर यहाँ बैठ पढ़ो। जीते जी मरकर बच्चा बनेंगे तो वह सब कुछ भूल जायेंगे।

 

4.

मैं आया हूँ पतित दुनिया को पावन बनाने। तो मुझे कितने रूप धारण करने होते हैं। बहुतों की ज्योति जगाता हूँ। मेरे साथ योग लगाओ, यह पेट्रोल डालो तो बैटरी जग जायेगी। दीवा बुझ जाता है तो घड़ी-घड़ी घृत डालते हैं। बाबा कहते हैं अब पूरा योग लगाओ। यह तो जानते हो बाप इस ब्रह्मा के तन से हमको पढ़ाने आया है। भगवानुवाच, भगवान क्या कहते हैं? बच्चे, मुझे याद करो। मौत तुम्हारे सिर पर खड़ा है।

 

5.

अभी तुम बच्चों को राँग-राइट सोचने की बुद्धि मिली है। राइट क्या है, राँग क्या है, पुण्य कैसे होता है, पाप कैसे होता है - यह सब तुम जानते हो। योग टूटा तो माया पाप करा देगी क्योंकि इस समय माया तमोप्रधान है इसलिए कदम-कदम पर सावधानी चाहिए।

 

6.

तुम्हारी सर्विस है मनुष्य को देवता बनाना। यहाँ आत्मा पवित्र बन जाती है। आत्माओं को इन्जेक्शन चाहिए। बाप आकर ज्ञान-योग का इन्जेक्शन देते हैं। पाँच हज़ार वर्ष पहले भी बाप ने यह ज्ञान योग सिखाया था जिसको भक्ति मार्ग वाले प्राचीन गीता का ज्ञान और योग कहते हैं।