POINTS OF YAAD FROM MURLI - 31.05.2018


1.

जैसे दु:ख के समय मुख से निकलता है ना हाय राम, हे प्रभु.. तुम तो ऐसे नहीं कहेंगे। तुम ब्राह्मण फिर बाबा को याद करते हो। बाबा हम दु:ख से कब छूटेंगी, हमको बहुत मारते हैं। गीत में भी कहते हैं - कितनी भी मार पड़ेगी, बाबा, आपकी याद कभी नहीं भूलेंगे। हमको तो बाबा का ही बनना है। बुद्धि का योग उनसे जोड़ना है। यह है सब समझ की बात।

 

2.

यह है युद्ध स्थल इसलिए बाबा बार-बार समझाते हैं तुम अपना कल्याण चाहो तो देही-अभिमानी बनो। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी। सब संस्कार सामने खड़े हो जाते हैं। अनेक जन्मों के पाप विनाश करने में टाइम लगता है। तुम्हारा अन्त तक पुरुषार्थ चलता है। पहली-पहली बात है देही-अभिमानी बनना।

 

3.

बाबा तो बहुत सहज समझाते हैं। जन्म-जन्म के पाप हैं इसलिए योग बहुत अच्छा चाहिए तब ही विकर्म विनाश होंगे। सिर से बोझा कैसे उतारें - इसके लिए जितना हो सके उतना बाप को याद करना चाहिए। बाबा, आप कितने मीठे हो! बाप कहते हैं - लाडले बच्चे, ग़फलत नहीं करना। माया पूरा पहरा दे रही है इसलिए देही-अभिमानी भव। यह है बुद्धियोग की रेस, इसमें ही सब कुछ है। बाबा बार-बार कहते हैं अपना कल्याण चाहते हो तो योग बहुत अच्छा चाहिए।

 

4.

आखरीन विजय तुम बच्चों की है ही। तुम सिर्फ बाप की याद में रहो। यह है योगबल, जो बाप तुम्हें एक ही बार सिखलाते हैं जिससे तुम सारे विश्व का मालिक बनते हो और तो कोई बन न सके।

 

5.

बुद्धियोग की रेस करनी है।