वो वियोगी और आप सहज योगी। सेकण्ड में मिलन का अनुभव करने वाले। अभी भी कोई आपसे पूछे कि बाप से मिलना कब और कितने समय में हो सकता है, तो क्या कहेंगे? निश्चय और उमंग से यही कहेंगे कि बाप से मिलना बच्चे के लिए कभी मुश्किल हो नहीं सकता। सहज और सदा का मिलना है। संगमयुग है ही बाप बच्चों के मिलन का युग। निरन्तर मिलन में रहते हो ना। है ही मेला। मेला अर्थात् मिलाप। तो बड़े फ़खुर से कहेंगे आप लोग मिलना कहते हो, लेकिन हम तो सदा उन्हीं के साथ अर्थात् बाप के साथ खाते-पीते, चलते, खेलते, पलते रहते हैं।