POINTS OF YAAD FROM MURLI - 06.06.2018


1.

बाबा कोई शास्त्र आदि नहीं पढ़ते हैं। कहते हैं मैं तो सब कुछ जानता हूँ। यह सिर्फ तुम्हारी बुद्धि में ही है कि वह है मोस्ट बिलवेड बाप, जिसको सब याद करते हैं कि इस पतित दुनिया में आओ, आकर हमको सुख घनेरे दो।

 

2.

अब मैं फिर आया हूँ पतितों को पावन बनाने। जितना याद करेंगे, उतना विकर्म विनाश होंगे। आत्मा ही पतित होती है। जैसे सोने में खाद पड़ती है, फिर जेवर खाद वाला बनता है।

 

3.

सन्यासी ब्रह्म अथवा तत्व को याद करते हैं। बाप को छोड़, रहने के स्थान को याद करते हैं। समझते हैं कि ब्रह्म ही भगवान है लेकिन यह उन्हों का मीठा भ्रम है। ब्रह्म तत्व जिसमें हम अशरीरी आत्मायें निवास करती हैं, उसको भगवान कैसे कहा जा सकता है!

 

 

4.

यहाँ कोई शास्त्र की बात नहीं। बाप को क्या याद आयेगा? वह तो मालिक है। तुम याद करते हो बेहद के बाप को। प्रजापिता ब्रह्मा के तुम ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हो। दादे से वर्सा लेते हो, ब्रह्मा द्वारा।

 

 

5.

जब बाप के याद की लगन की अग्नि में पड़ते हो तो परिवर्तन हो जाते हो। मनुष्य से ब्राह्मण, फिर ब्राह्मण से फरिश्ता सो देवता बन जाते हो। जैसे कच्ची मिट्टी को सांचें में ढालकर आग में डालते हैं तो ईट बन जाती, ऐसे यह भी परिवर्तन हो जाता, इसलिए याद को ज्वाला रूप कहा जाता है।