POINTS OF YAAD FROM MURLI - 08.06.2018


1.

"मीठे बच्चे - तुम्हें बापदादा की श्रीमत के डायरेक्शन पर चल देही-अभिमानी बनना है, चित्र को देखते हुए भी विचित्र बाप को याद करना है"

 

2.

बाप कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते अपने को आत्मा निश्चय करो। निरन्तर मुझे याद करने का पुरुषार्थ करो, फिर है त्याग की बात।

 

3.

बाबा घड़ी-घड़ी कहते हैं किसके साथ चल रहे हो? शिवबाबा से ही वर्सा मिलना है। बुद्धि में शिवबाबा ही याद रहे। उनसे स्वर्ग में अथाह सुख मिलेंगे। तुम कहेंगे हम शिवबाबा के साथ चल रहे हैं।

 

4.

कहते हैं - बच्चे, देही-अभिमानी भव। शिवबाबा भी कहते हैं, ब्रह्मा भी कहते हैं देही-अभिमानी भव। अब तुम प्रैक्टिकल में सम्मुख बैठे हो। वह है विचित्र। तुम हो चित्र वाले। सबको कहते हो - हे भाई, हे आत्मायें, बाप को याद करो। आत्माओं से बात करते हैं। एक दो को सावधान कर उन्नति को पाओ। यह ब्रह्मा के तन द्वारा बाप कहते हैं - मुझ बाप को याद करने से स्वर्ग का वर्सा मिलेगा।

 

5.

तुम पुरुषार्थ करते हो, रुद्र माला बनेंगे इसलिए योग लगाना है। योग पूरा होगा तो बुद्धि रूपी बर्तन पवित्र होगा तो धारणा भी होगी। बाप को याद करने से तुम वर्सा लेते हो।

 

6.

बाप कहते हैं कि मूल बात है निश्चयबुद्धि बनो। तुमने विचित्र का हाथ पकड़ लिया है। इस चित्र द्वारा कहते हैं - मुझे याद करो। तुम्हारी जिन्न जैसी बुद्धि होनी चाहिए। शिवबाबा परमधाम में रहते हैं। अभी शिवबाबा मधुबन में मुरली चलाते होंगे। घड़ी-घड़ी शिवबाबा को याद करना पड़े। अभी तुम यहाँ बैठे हो, वही कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम मेरी माला का दाना बन जायेंगे।