POINTS OF YAAD FROM MURLI - 09.06.2018


1.

बाबा को याद करना बहुत सहज है। हम आत्मा हैं, आत्मा कहती है - मेरा स्वधर्म है शान्त। हम सब परदेशी हैं। इस माया के देश में आते हैं।

 

2.

भक्ति मार्ग में भक्त भगवान को याद करते हैं। भक्त चाहते हैं कि भगवान आये। तो आकर क्या करे? तुम बच्चों को पता है कि बाबा परमधाम से आते हैं। कहते हैं - मुझे कलियुगी पतित दुनिया से स्वर्ग पावन दुनिया बनाना है।

 

3.

बच्चे जब शान्त में बैठते हैं तो हमेशा स्वधर्म में बैठना है। बाप को याद करना है।

 

4.

मीठे-मीठे बच्चों - यह शिवबाबा कह रहे हैं। आत्माओं से बात करते हैं, मामेकम् याद करो। यह (ब्रह्मा) नहीं कहेंगे कि मामेकम् याद करो। कितनी गुह्य बातें हैं। यह कहता है मुझे भी उनको याद करना पड़ता है। मैं भी ब्रह्मपुत्रा नदी हूँ। ब्रह्मपुत्रा नदी और सागर का मेला लगता है।

 

5.

बाप घड़ी-घड़ी समझाते हैं मामेकम् याद करो। बच्चे भी कहेंगे बाप को याद करो। "मामेकम् याद करो बच्चे" - यह तुम नहीं कह सकते। बाबा इन द्वारा कह सकते हैं - बच्चे, मामेकम् याद करो। तुम सम्मुख बैठे हो ना। तुम कहेंगे शिवबाबा कहते हैं मुझे याद करो। सबको कहना है कि बाप को याद करो तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।

 

6.

बच्चों को समझाया जाता है माया बड़ी प्रबल है। याद करने नहीं देगी, विघ्न डालती रहेगी। बाबा से बेमुख करेगी। परन्तु पुरुषार्थ पूरा करना है। पक्का महावीर बनना है। योग ऐसा रहना चाहिए जो माया कभी हिला न सके।