POINTS OF YAAD FROM MURLI - 14.06.2018


1.

भक्ति मार्ग में भी बेहद के बाप को सभी याद करते हैं। जरूर कभी बाप से मिलना होता है। यहाँ भी बाप तो कहते हैं - मैं तुम्हारा बाप भी हूँ, शिक्षा देने वाला भी हूँ अर्थात् ड्रामा के आदि, मध्य, अन्त की नॉलेज देने वाला भी हूँ।

2.

बेहद के बाप से बेहद का सुख मिलता है, इसलिए बेहद के बाप को और बेहद सुख के वर्से को याद करना है। जितना चाहिए याद करो, जितना याद करेंगे वैसा पद मिलेगा। आठ घण्टा जरूर याद करना चाहिए। पुरुषार्थ करना है।

 

3.

सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है। बाप को याद करने बिगर वर्से को याद नहीं कर सकेंगे। अब भक्ति मार्ग अर्थात् ब्रह्मा की रात पूरी होती है। फिर बाबा आकर दिन स्थापन करते हैं।

 

4.

अभी सबकी वानप्रस्थ अवस्था है। वाणी से परे जाना है। बाबा कहते हैं मैं सबको ले जाऊंगा इसलिए जितना हो सके बाप को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। इसको रूहानी यात्रा कहा जाता है। बाबा कहते हैं - हे राही बच्चे, थक मत जाना। बाप और रचना को याद करना है। रचना का मालिक बनना है। यह तो अति सहज है। हमेशा शिवबाबा को याद करते रहो। मोटर चलाते भी बुद्धि का योग कहाँ रहना चाहिए? बाबा अपना मिसाल बताते हैं - हम नारायण की पूजा करने बैठता था तो बुद्धि और तरफ चली जाती थी। फिर अपने को चमाट मारता था। तो अभी भी बुद्धि दौड़ती है। पुरुषार्थ करते-करते उनकी याद में शरीर छोड़ना है।