POINTS OF YAAD FROM MURLI - 16.06.2018


1.

शिवबाबा कहते हैं - तुमको ब्रह्मा अथवा ब्रह्मा की बेटी सरस्वती को याद नहीं करना है। इन्हों द्वारा तुमको शिवबाबा की याद मिलती है।

2.

जो मैं राजयोग सिखलाता हूँ उनका बैठकर किताब बनाते हैं। हमने तुम बच्चों को आकर युद्ध के मैदान में नॉलेज दी है। राजयोग सिखलाया है। युद्ध है माया की।

 

3.

पुरुषार्थ बिगर कुछ होता नहीं। बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो। यह ब्रह्मा तो ऐसे कह न सके। यह कहते हैं तुमको वर्सा बाप से मिलना है। माँ से मिलता नहीं। भल ज्ञान समझाते हैं परन्तु वर्सा उनसे मिलना है जिसके पास जाना है। उनकी आत्मा को भी मेरे पास आना है। मेरे को याद करना है। याद पर ही सारा मदार है।

 

4.

बाप रूप भी है, ज्योति स्वरूप भी है। ज्ञान का सागर है। जरूर ज्ञान ही सुनायेंगे। ज्योति स्वरूप तुम भी हो। परन्तु ज्ञान का सागर एक है। वह आकर राजयोग सिखलाते हैं। पहले ब्रह्मा को फिर तुम बच्चों को बैठ ज्ञान देते हैं। बच्चों को रूप-बसन्त बनाते हैं। तुम्हारी आत्मा की झोली एक ही बार आकर भरते हैं। ज्ञान-रत्नों की झोली तुम भरते हो। साधू आदि कहते हैं भर दो झोली। इस भक्ति मार्ग की झोली में क्या रखा है? कुछ भी नहीं। मांगते ही रहते हैं। यह है बुद्धि रूपी झोली। याद से पवित्र बनाते हैं। बर्तन बड़ा शुद्ध चाहिए।

 

5.

योग से बर्तन शुद्ध होता है। बुद्धि का ताला खुलता है।