POINTS OF YAAD FROM MURLI - 19.06.2018


1.

अवस्था स्थाई तब बनेगी जब निरन्तर योग में रहेंगे। योग टूटता तब है जब किसी में ममत्व है इसलिए नष्टामोहा बनो। ...बुद्धि रूपी बर्तन स्वच्छ हो, बाप से योग जुटा रहे।

2.

यह बाप बैठ समझाते हैं। इसका नाम ही है सहज राजयोग। तुम हो ही देवी-देवता धर्म वाले। तुम पुरुषार्थ कर राजाओं का राजा बनेंगे।

 

3.

जब तुम श्रीमत पर चलते रहेंगे तब ही हसीन बनेंगे। तुम आत्मा में खाद पड़ने से काले बन गये हो। अब खाद कैसे निकले? मेरे साथ योग लगाने से। उसी योग अग्नि से खाद भस्म हो जायेगी। यथार्थ बातें तुम समझते हो। बाप तुम्हें समझाते बहुत हैं परन्तु तुम भूल जाते हो क्योंकि योग ठीक नहीं है। नष्टोमोहा नहीं बने हो।

 

4.

आत्मा की खाद को निकालना चाहिए। बाप को याद करो। इसको योग अग्नि कहा जाता है। शिवबाबा कहते हैं मैं तो एवर प्योर हूँ। मैं नहीं होता तो तुमको प्योर कौन बनाये? अपने को आत्मा पक्का निश्चय करो। हमारी आत्मा में 84 जन्मों में खाद पड़ी है। अभी हम बाबा के साथ योग लगाने से पवित्र हो जायेंगे।

 

5.

अचल घर बन जाओ। आत्मा जो इसके अन्दर है, वह बाप की याद में परिपक्व अवस्था में आ जाए तो फिर कर्मातीत अवस्था आ जायेगी। कोई विकर्म नहीं होगा। आत्मा पवित्र हो जायेगी। मेहनत है ना। परमपिता परमात्मा का भी पार्ट है। हम उनको याद करते हैं।

 

6.

बरोबर प्राचीन भारत का राजयोग सिखाया था। बच्चे जानते हैं यह वही प्राचीन राजयोग है। बाप कहते हैं मुझे याद करो इसमें ही मेहनत है। सारी याद की बात है। बाप फ़रमान करते हैं मुझे याद करो। परन्तु माया फ़रमान पर चलने नहीं देती। विघ्न डाल देती है। बाप कहते हैं मुझे याद करने से तुम मेरे जैसे पवित्र बन जायेंगे।

 

7.

पावन बाप आकर पावन होने की युक्तियां बतलाते हैं। मोस्ट बिलवेड बाप को याद करते रहना है। मनुष्य बीमार पड़ते हैं तो उनको कहते हैं फलाने को याद करो। परन्तु ऐसे थोड़ेही वह याद ठहरेगी। इसमें बड़ा अभ्यास चाहिए, तब ही अन्त मती सो गति होगी। तुमको बाप की याद में रहना है। कर्मातीत बनना ही है। योग से विकर्मों को भस्म करेंगे तो वह सजायें नहीं खायेंगे। योग में नहीं रहेंगे तो सजा खाकर मुक्तिधाम में जायेंगे...

 

8.

जितना बाप को याद करेंगे उतना धारणा होगी। भल कोई कितनी भी अच्छी मुरली चलाने वाला हो, माया ऐसी है जो एक थप्पड़ से खलास कर देती है।

 

9.

सिर्फ बाप का बन बाप को याद करो। बाप को तो घड़ी-घड़ी याद करो। नहीं तो विकर्म विनाश कैसे होंगे। घड़ी-घड़ी अपने से बातें करनी है। हम आत्मा तो इमार्टल हैं। बाबा ने फरमान किया है मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे। याद नहीं करेंगे तो विकर्म विनाश नहीं होंगे।