POINTS OF YAAD FROM MURLI - 22.06.2018


1.

शिवबाबा बैठ फूलों को देखते हैं। इनकी आत्मा भी देखती है और फिर बाबा को भी याद करती है-बाबा ने हमको यह ज्ञान सुनाया है। वही बाप, टीचर, सतगुरू है। कोई शास्त्र तो हाथ में नहीं हैं। बच्चियाँ भी कहेंगी शिवबाबा ने सृष्टि-चक्र की नॉलेज दी है, वह आपको सुनाते हैं। तो सतगुरू ही याद पड़ेगा। आत्माओं के रूप से बाबा भी याद आता है। सारे वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी भी याद पड़ती है।

 

2.

अब तुम बच्चों को इस पुरानी दुनिया से वैराग्य आना चाहिए क्योंकि जानते हैं यह सब खत्म होने वाले हैं। याद एक बाप को करना है। कब्रिस्तान को क्या याद करना है। कब्रिस्तान खत्म हो फिर परिस्तान बनना है।

 

3.

बाकी मेहनत करनी चाहिए। अच्छे सेन्सीबुल बच्चे कोशिश कर भोजन भी अपने हाथ से बनायेंगे। बाबा को याद कर प्रेम से बैठ भोजन बनाये और खाये तो अवस्था बहुत अच्छी रहेगी। बाबा भी चाहते हैं अपने हाथ से बनावें। बाबा को याद कर बनायेंगे तो बाबा को भी वासना मिलेगी। बाप की याद से बहुत अच्छी उन्नति होगी। स्वदर्शन-चक्र फिराते रहो।