POINTS OF YAAD FROM MURLI - 23.06.2018


1.

लौकिक माँ-बाप को तो जन्म बाई जन्म याद किया। अभी यह है तुम्हारा अन्तिम जन्म। तुम निश्चय करते हो-बरोबर वही बाप कल्पकल्प आकर हमको देवता बनाते हैं। फिर भी ऐसे बाप को भूल क्यों जाते हो? बच्चे कहते हैं ड्रामा अनुसार कल्प पहले भी भूले थे। बाप के बन फिर छोड़ देते हैं। आश्चर्यवत् ईश्वर का बनन्ती, ज्ञान सुनन्ती, सुनावन्ती........ फिर भी अहो मम् माया भागन्ती हो जाते हैं। लौकिक बाप से माया नहीं छुड़ाती है।

 

2.

बाप की याद तो कभी भी नहीं छोड़नी चाहिए। याद कम होने से बड़ा भारी नुकसान हो जाता है।

 

3.

आत्मा बाप को बुलाती है। याद करती है-ओ गॉड फादर रहम करो। वह नॉलेजफुल, ब्लिसफुल है। उनके पास फुल नॉलेज है।

 

4.

बाप को याद करने से ही विकर्म विनाश होंगे। बाप को बच्चों को याद नहीं करना है। वह तो जानते हैं सब मेरे बच्चे हैं। सब मुझे याद करते हैं। निर्वाणधाम में मेरे साथ रहने वाले हैं, इसलिए भूले चूके भी बाप को भूलना नहीं है। कोई संशय नहीं लाना चाहिए। अब तो बाप फरमान करते हैं-मामेकम् याद करो और वर्से को याद करो। कोई भी खिटपिट हो तो भी बाप को नहीं भूलना है। बाप को भूले तो बेड़ा गर्क हो जायेगा।

 

5.

यहाँ भी बाबा बुद्धि में याद रहना चाहिए। यह है बेहद का सुख देने वाला बाबा। फिर भी माया तुम बच्चों को बॉक्सिंग में हरा देती है। बाप कहते हैं कभी अशुद्ध अहंकार में वा अशुद्ध लोभ में नहीं आना है।