POINTS OF YAAD FROM MURLI - 26.06.2018


1.

हम आत्मा निराकारी दुनिया में रहते हैं। वहाँ से आये हैं पार्ट बजाने। अब भगवान को याद करते हैं, भगवान के पास जाने के लिए। तो पहले-पहले यह समझाना है - आत्मा और शरीर दो चीज़ें हैं। आत्मा में मन-बुद्धि है, चैतन्य है। आत्मा अविनाशी है। शरीर तो विनाशी है। सब आत्माओं का बाप वह निराकार परमपिता परमात्मा है नॉलेजफुल।

2.

इतने सब भक्त हैं। सभी पतित हैं। पतित-पावन को याद करते हैं, तो जरूर एक निराकार होगा ना।

 

3.

मेहनत सारी अशरीरी बन बाप को याद करने में है। नहीं तो माया बड़ी दुश्मन है। याद के बल से ही तुम राज्य लेते हो। याद द्वारा ही तुम बाप से वर्सा लेते हो। याद का ही बल है। बाप कहते हैं देह सहित सभी सम्बन्धों को भूल मेरे को याद करो क्योंकि मेरे पास वापिस आना है।

 

4.

मुख्य बात है पहले-पहले बच्चों को देही-अभिमानी बनना है। नहीं तो किसको तीर लगा नहीं सकेंगे। देही-अभिमानी हो बाप को याद करने से ही बल मिलेगा। जब तुम अच्छी रीति पहलवान हो जायेंगे तो भीष्म पितामह आदि को बाण लगेंगे। धीरे-धीरे होना है। अभी तुम्हारे में बल आता जाता है।

 

5.

यह सब बातें धारण तब हों, जब निरन्तर देही-अभिमानी बनने का पुरुषार्थ करे। याद नहीं तो धारणा हो नहीं सकती। माया बड़ी जबरदस्त है, याद नहीं करेंगे तो घूंसा मारती रहेगी।

 

6.

बाप कहते हैं देही-अभिमानी बनो। जितना मुझ बाप को याद करेंगे, उतना जमा होगा। याद नहीं करेंगे तो जमा नहीं होगा। याद से ही पुराना खाता भस्म होता जायेगा। योग अग्नि माना याद। अहम् आत्मा परमात्मा को याद करती हैं। बाप भी कहते हैं अपने को आत्मा निश्चय कर मुझे याद करो।