POINTS OF YAAD FROM MURLI - 02.07.2018


1.

याद करते हैं - हे परमपिता परमात्मा, निराकार रूप बदलकर साकार में आ जाओ।

2.

स्वर्ग की स्थापना जरूर बाप ही करते होंगे, जिसको ही याद करते हैं। भ्रष्टाचारी ही बुलाते हैं, श्रेष्ठाचारी कब बुलाते नहीं।

 

3.

वह तो दूर-दूर जाते हैं। तुम बच्चों को सिर्फ याद करना है। ऐसे नहीं कि हम याद करते थक जाते हैं। परन्तु माया विघ्न डालती है। आत्मा ही परमात्मा की आशिक होती है - यह कोई नहीं जानते। परमात्मा माशूक है। तो बच्चों में भी कोई बहुत आशिक हैं, माशूक को याद करते हैं। पुरुषार्थ करना है - हम निरन्तर याद करते रहें। ‘सिमरण' अक्षर भी भक्तिमार्ग का है। हम बाबा को याद करते हैं। प्रवृत्ति मार्ग का अक्षर है ‘याद'। बहुत मीठा भी है। कहते हैं हम भूल जाते हैं। अरे, बच्चा कह थोड़ेही सकता कि हम बाप को भूल जाते हैं। याद तो बहुत अच्छी है। अपने से बातें करनी चाहिए। तुम मात-पिता के सम्मुख बैठे हो। खुशी भी होनी चाहिए। जिसके लिए कहते थे - तुम मात पिता........। बरोबर हम वर्सा पा रहे हैं। याद की ही मेहनत है। तुम्हारी बहुत आमदनी है, बहुत बड़ी प्राप्ति है। सिर्फ चुप रहकर याद करना है।