POINTS OF YAAD FROM MURLI - 10.07.2018
1.
बेहद का बाप विचित्र है और अभी एक नया प्यार लेकर के हम बाबा के पास बैठे हैं वा आये हैं। इसको नया प्यार कहते हैं। ईश्वर का प्यार सिर्फ एक बार बच्चों को मिलता है। बच्चे समझ सकते हैं बरोबर परमपिता परमात्मा को हम सब याद करते हैं।
2.
जानते हो वही सब आत्माओं का बाप पतित-पावन शिव है। याद भी उनको ही करते हैं। अभी तुम बच्चे सम्मुख बैठे हो। दिल में उमंग है - बेहद के बाप से, बेहद का वर्सा लेना है।
3.
सिर्फ तुम ही जानते हो - बाप कैसे अपना बनाकर फिर पढ़ाते हैं। तो ऐसी क्या युक्ति करें जो घड़ी-घड़ी बाप को याद करते रहें? बाप राय देते हैं - हर एक अपने घर में शिव का चित्र रख दे।
4.
घड़ी-घड़ी शिवबाबा को देखते रहेंगे तो याद रहेगी। चित्र गले में भी डाल देते हैं। पति का चित्र भी गले में डाल देते हैं ना। तुम बच्चों के लिए भी तैयार करा रहे हैं। पारलौकिक बाप को याद करना बड़ा अनोखा है। और सभी की याद को समेट एक को याद करना है।
5.
तुम बाप को याद करते हो, माया तोड़ने की कोशिश करती है। हमको शिवबाबा से वर्सा मिलता है - ऐसे याद करते रहेंगे। शिवबाबा को देखते रहेंगे तो तुम्हारी कोठी वैकुण्ठ बन जायेगी।
6.
सूक्ष्म देहधारी वा स्थूल देहधारी सबकी याद छोड़नी है। पक्का-पक्का निश्चय करना है। हम आत्मायें परमधाम से आई हैं। वहाँ के हम रहने वाले हैं।
7.
युक्तियां रचनी है - हम बाप को कैसे याद करें? उनको इन आंखों से नहीं देखा जाता। यह आत्मा कहती है - हमारा शिवबाबा बाप है। शिव का चित्र देखने से बड़ी खुशी होगी।
तुम बच्चों का योग भी अव्यभिचारी चाहिए। शिव का चित्र रख घड़ी-घड़ी याद करते रहो।
8.
जैसे भक्ति नौधा होती है। वैसे यह याद भी नौधा होनी चाहिए, इससे प्राप्ति बहुत भारी है। उनसे तो कुछ नहीं अल्पकाल के लिए थोड़ा सुख मिलता है। फिर दूसरे जन्म में मेहनत करनी पड़े। भक्ति में, धन्धे आदि में मेहनत लगती है। कमाओ, तब खाओ। बाबा तुमको इस एक जन्म में इतनी मेहनत कराते हैं जो 21 जन्म प्रालब्ध भोगते रहेंगे।
9.
ऐसा बाप जो पुरुषार्थ करना सिखलाते हैं, उनको तो याद करना चाहिए ना। कहते हैं - श्वाँसों श्वाँस याद करो।
10.
तुमको तो बाबा कहते हैं - एक शिवबाबा की याद का अजपाजाप करो और कुछ याद न आये।
11.
अब तो प्रैक्टिकल में पुरानी दुनिया का विनाश होना है, इसलिए सबका बुद्धि से त्याग कर एक बाप से बुद्धि लगानी है। तुम सगाई करते हो ना। देहधारी को याद किया तो सगाई कच्ची हो जायेगी। सर्व धर्मानि... मैं फलाना हूँ, यह हूँ...। वह सब छोड़ अपने को आत्मा समझो।
12.
बाबा ने मुख्य बात समझाई है कि सारा मदार है याद पर। याद कभी भूलनी नहीं चाहिए।
13.
निरन्तर याद के अभ्यास से ही विकर्म विनाश होंगे। नहीं तो फिर सजा खानी पड़ेगी। विजय माला में आ नहीं सकेंगे।
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