POINTS OF YAAD FROM MURLI - 13.07.2018


1.

अब यह याद करना तो अति सहज है। हम ब्रह्माकुमार-कुमारियां हैं। ब्रह्मा हुआ हमारा बाबा। दादा है शिव। उनसे मिलकियत मिलती है। कितनी सहज बात है।

 

2.

याद जरूर शिवबाबा को करना है, जिससे वर्सा मिलता है। और कोई को याद करेंगे तो नर्क का वर्सा मिलेगा

 

3.

हम ब्रह्माकुमार-कुमारियां दादे, पोत्रे, पोत्रियां हैं, बस। दूसरी-तीसरी पीढ़ी नहीं है, परपोत्रे तरपोत्रे कुछ नहीं। दादे को कौन याद नहीं करेगा? तुम जानते हो हम जितना याद करेंगे उतना विकर्म विनाश होंगे।

 

4.

ब्रह्माकुमार-कुमारी को ब्रह्मा द्वारा कहते हैं कि मुझे और वर्से (स्वर्ग) को याद करो। देह के सब सम्बन्धों को भूल जाओ। कहा जाता है ना - आप मुये मर गई दुनिया।

 

5.

कहते हैं - बाबा, हम तो श्री नारायण को वरेंगे। परन्तु फिर भूल जाते हैं, जो इतना लायक बनाते हैं उनको भूल जाते हैं। दादे को व बाप को शल कोई भी न भूले। झट फ़ारकती दे देते हैं, याद नहीं करते हैं। ज्ञान के दो अक्षर धारण नहीं करते। हम सतगुरू पोत्रे अथवा दादे पोत्रे हैं। उनसे वर्सा लेते हैं पुरुषार्थ से।

 

6.

बाबा ने समझाया है - आत्मा सबसे बड़ा रॉकेट है। है तो एक ही बिन्दी। उसका क्या वज़न होगा? बिन्दी में कितनी सारी नॉलेज है! एक सेकेण्ड में कहाँ से कहाँ उड़ जाती है। बाबा को याद किया और सेकेण्ड में उड़े। यह भी शुरूड (तीक्ष्ण) बुद्धि ही समझकर समझा सकते हैं। शिवबाबा भी बिन्दी है।

 

7.

अब फिर सतोप्रधान बनने लिए बाप को याद करना है। एक मुसाफिर कितने को हसीन बनाते हैं, विश्व का मालिक बनाते हैं! सिर्फ कहते हैं - मुझ बाप को याद करो। नहीं तो वर्सा कैसे मिलेगा? विकर्म विनाश के लिए योग अग्नि चाहिए। घड़ी-घड़ी याद करना है। कई समझते हैं - हम बच्चे तो हैं ना। परन्तु सारा दिन याद नहीं करेंगे तो विकर्म विनाश नहीं होंगे, खुशी का पारा नहीं चढ़ेगा। 20-25 वर्ष वालों को भी यह बात बुद्धि में नहीं बैठती। भूल जाते हैं।