POINTS OF YAAD FROM MURLI - 14.07.2018


1.

तुम बच्चों को भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार भासना आती है। बरोबर बेहद का बाप आकर राजयोग सिखलाते हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर तो राजयोग सिखला न सकें।

 

2.

भारत में भी कहते हैं - परमपिता परमात्मा, सुप्रीम गॉड फादर, तो बुद्धि ऊपर में चली जाती है क्योंकि जानते हैं - फादर ऊपर में रहते हैं। अभी तुम बच्चे समझते हो - हम भी वहाँ के रहने वाले हैं। अभी हम उस प्राणेश्वर के सम्मुख बैठे हैं। बाप सम्मुख याद दिलाते हैं तो निश्चय करते हो - बरोबर यह कोई साधू-महात्मा नहीं, हम मात-पिता के सम्मुख बैठे हैं।

 

3.

समझते हैं परमपिता परमात्मा परमधाम का रहने वाला है। फिर उसमें सर्वव्यापी की बात उठती ही नहीं। आत्मा याद करती है - ओ गॉड फादर। खुद ही परमात्मा होते तो फिर पुकारते किसके लिए? बहुत थोड़ी समझने की बात है।

 

4.

फादर अक्षर तो बच्चा ही कहेगा। याद एक को ही करना है। अभी तुम सम्मुख बैठे हो। जानते हो हम परमपिता परमात्मा के बने हैं। उससे वर्सा लेते हैं। अब तो नहीं भूलेंगे ना।

 

5.

ऐसे कभी नहीं कहते कि तुमको राजयोग सिखाते हैं। कहेंगे भगवान राजयोग सिखाकर गया था। फिर उसके शास्त्र बैठ पढ़ते हैं। अब भगवान द्वारा सम्मुख वही गीता सुनकर हम स्वर्ग के मालिक बनते हैं। बाप कहते हैं - मैं तुम बच्चों को एक ही बार राजयोग सिखलाए सो राजाओं का राजा बनाने आया हूँ।

 

6.

यहाँ देखो कौन-कौन पढ़ते हैं! कैसी-कैसी बुढ़िया आती हैं! वन्डर है ना। गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान पवित्र रह राजयोग सीखना है। गॉड फादरली स्टूडेन्ट बनना है।