POINTS OF YAAD FROM MURLI - 19.07.2018


1.

तुम जानते हो - हम भी पहले छी-छी मूत पलीती मनुष्य थे, अब बाबा हमारे इस वस्त्र को ज्ञान लक्ष्य सोप से साफ करते हैं और कहते हैं - अब अपने बाप को याद करो।

 

2.

मैं हूँ ही निराकार। यूँ तो आत्मा भी निराकार है। परन्तु वह 84 जन्मों में आती है। मेरा तो शरीर है नहीं। मैं अशरीरी हूँ। तुमको भी कहता हूँ - अशरीरी बनकर मुझे याद करो।

 

3.

यह है योग की यात्रा। बाबा को याद करना है, स्वदर्शन चक्र फिराना है, आप समान बनाना है। मेहनत करनी पड़ती है आप समान बनाने में।

 

4.

बापू गांधी भी पतित-पावन को याद करते थे। चाहते थे - वर्ल्ड ऑलमाइटी अथॉरिटी का राज्य हो। सो तो बाप ही स्थापन करेंगे।

 

5.

यह तो जरूर जास्ती पढ़ते होंगे ना। यह बूढ़ा सबसे तीखा है। वह तो फिर भी बेटी हो गई। बुढ़ियों के लिये भी है बहुत सहज। बाबा को याद करते रहो। ओहो! शिवबाबा कुर्बान जाऊं, आप तो सुखधाम ले जाते हो! बस, ऐसे खुशी में रहो तो भी बेड़ा पार है। हमेशा समझो - शिवबाबा समझाते हैं। इनको छोड़ दो। ऐसे ही समझो शिवबाबा सुनाते हैं तो बुद्धियोग शिवबाबा पास जाने से विकर्म विनाश होंगे। मम्मा भी शिवबाबा से सुनकर सुनाती है। सदैव एक शिवबाबा की ही याद रहे तो विकर्म विनाश होते रहेंगे।