POINTS OF YAAD FROM MURLI - 25.07.2018


1.

बाबा कहते हैं - मुझे याद कर अशरीरी बनो। ऐसे नहीं कि आत्मा परमात्मा में मिल एक हो जाती है। न कोई ज्योति ज्योत समाया है, न समाने ही हैं।

 

2.

जगत का मालिक भी वह है। टीचर भी वह है तो गुरू भी वह है। ऐसे बाबा को याद करना पड़े। कहते हैं - बंधन है कोई छुड़ावे। (तोते का मिसाल) अरे, भगवान् कहते हैं अब मैं तुमको लेने आया हूँ, तुम सिर्फ अंगुली पकड़ो। वह जो कहे सो करो, पवित्र तो जरूर बनना पड़े।

 

3.

बाबा कहते - मरने लायक हो तो भी बैठकर सुनो। ज्ञान अमृत मुख में हो, शिवबाबा की याद हो तब प्राण तन से निकलें। फिर अन्त मती सो गति हो जायेगी। नहीं तो न विकर्म विनाश होंगे, न मोह जीत बनेंगे। मुफ्त भक्ति का फल गंवा देंगे।

 

4.

हम बुद्धियोग बल से मायाजीत-जगतजीत बन रहे हैं। हम नेष्ठा में बैठे हैं अर्थात् शिवबाबा की याद में हैं। बुद्धि वहाँ लटकी हुई है। पतियों के पति ने कहा है - पतिव्रता बनना, और कोई को याद नहीं करना। योग लगाते-लगाते परिपक्व अवस्था को पाना है।

 

5.

परमात्मा तो अशरीरी है, उनको बुद्धि से ही याद कर सकते हैं। देह-अभिमान तोड़ देही-अभिमानी बन जायेंगे।

 

6.

बच्चे लोग बगीचों में जाकर पढ़ते हैं। तुम भी एकान्त में बैठ शिवबाबा को याद करो। हमारा पुराना हिसाब-किताब चुक्तू होगा फिर हम राज्य करेंगे।

 

7.

यह है सारी योगबल की बात। इनमें तकलीफ तो कोई नहीं। सिर्फ बाबा की श्रीमत पर चलना है। फिर आटोमेटिकली राजाई का तिलक लग जायेगा।

 

8.

बाबा कहते हैं - तुम मेरे को याद करो तो हम मदद भी करेंगे। मदद तो जरूर अपने बच्चों को ही करेंगे, दूसरे को क्यों करेंगे!