POINTS OF YAAD FROM MURLI - 27.07.2018


1.

आत्मा सत-चित-आनंद रूप, शान्त रूप, ज्ञान रूप थी। अब तुम फिर से इस संगम पर बनते हो। जैसे बाप की महिमा है ज्ञान का सागर, शान्ति का सागर........ तुम भी सत-चित-आनंद रूप हो। बीज और झाड़ को याद करने से सारा ज्ञान आ जाता है।

 

2.

भगवानुवाच - मैं राजयोग सिखाए तुमको राजाओं का राजा अर्थात् नर से नारायण, नारी से लक्ष्मी बनाता हूँ। बाबा पूछते भी हैं तुम सूर्यवंशी नारायण बनेंगे या चन्द्रवंशी राम बनेंगे? कहते हैं बाबा एम ऑब्जेक्ट तो सूर्यवंशी बनने की हैं। नम्बरवार तो होते हैं ना।

 

3.

भक्ति मार्ग में कितना नियम होता है गीता सुनने का, वह पूरे नेम से सुनते हैं। मन्दिर में भी नेम पूर्वक जाते हैं। रोज़ पक्का नेम रखते हैं। तुम्हारा नेम तो बड़ा कड़ा है। एक घड़ी आधी घड़ी........ फिर बढ़ाते रहना है। बाबा को याद करने से बुद्धि का ताला खुलेगा।

 

4.

शक्ति की शेर पर सवारी, महारथी की हाथी पर सवारी दिखाते हैं। गज को ग्राह ने हप किया। बाप की याद नहीं रहती है तो माया ग्राह हप कर लेता है। अच्छे-अच्छे महारथियों को भी माया ग्राह खा लेती है।