POINTS OF YAAD FROM MURLI - 28.07.2018


1.

तुम मुझे याद करो। सिर्फ बाप की महिमा गाने से कोई फ़ायदा नहीं, चरित्र गाने नहीं हैं लेकिन राजयोग सीखकर चरित्रवान बनना है।

 

2.

सर्वव्यापी कहने से बाप के साथ वह लव नहीं रहता, न बुद्धियोग रहता है। भारत का प्राचीन योग मशहूर है। वास्तव में बुद्धि का योग लगाना है बाप से। सर्वव्यापी है तो फिर योग किससे लगायें?

 

3.

बाप खुद कहते हैं मेरे साथ योग लगाने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।

 

4.

सहज सब्जेक्ट है याद की। बाप को याद किया जाता है। याद से फिर आत्मा अच्छी होगी। बर्तन साफ होगा। आत्मा जो इमप्योर बनी है वह प्योर बनती जायेगी।

 

5.

अभी तुम बच्चे समझते हो कि बाबा हमको राजयोग सिखलाए त्रिकालदर्शी बनाता है अर्थात् तीनों कालों और तीनों लोकों की नॉलेज देता है। तो तुम मास्टर त्रिलोकी के नाथ भी कहला सकते हो। त्रिकालदर्शी भी कहला सकते हो। बरोबर हम तीनों लोकों को जानने वाले नाथ बनते हैं। यह राजयोग है

 

6.

पहले-पहले बाप को जान उनसे वर्सा लेना है। याद से वर्सा लेना है। सूक्ष्म बात यह है।

 

7.

अब बाबा सम्मुख बैठ कहते हैं कि मुझे याद करो। इस याद की योग अग्नि से ही तुम पतित से पावन बनते हो और कोई उपाय नहीं है। योग अग्नि से आत्मा पतित से पावन बनती है। पतित-पावन बाप ही आकर पावन दुनिया स्थापन करते हैं।

 

8.

आत्मायें परमपिता परमात्मा बाप को ही याद करती रहती हैं। जब उन्हों को दु:ख होता है। सतयुग में सुख है तो कोई भी पुकारता नहीं। अब आत्मायें जानती हैं कि आधाकल्प से दु:ख पाया है। अभी फिर स्वर्ग में जायेंगे। वहाँ कोई भी दु:ख नहीं इसलिए सतयुग में बाबा को याद करने की दरकार नहीं पड़ती।