POINTS OF YAAD FROM MURLI - 31.07.2018


1.

शिवबाबा ही ब्रह्मा तन में बैठ समझाते हैं। तो ब्रह्मा तन को भी याद करना पड़े ना।

 

2.

शिवबाबा थ्रू ब्रह्मा याद करना पड़े ना। कई ऐसे भी बच्चे हैं जो समझते हैं कि हम तो शिवबाबा को याद करते रहते हैं। साकार से कोई कनेक्शन नहीं परन्तु जबकि शिवबाबा यहाँ हैं तो जरूर बाबा को पत्र लिखना पड़े।

 

3.

ऐसे भी मंद बुद्धि हैं जो कहते हैं - हम तो शिवबाबा को ही याद करते हैं। शिवबाबा कहते हैं ना मुझे याद करने से तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा। परन्तु वह है कहाँ? जरूर यहाँ इस तन में हैं, इस द्वारा पढ़ाते हैं।

 

4.

तो थ्रू ब्रहमा उनसे कनेक्शन रखना पड़े। ब्रह्मा द्वारा चिट्ठी लिखें तब शिवबाबा समझे बरोबर याद करते हैं। किसकी बुद्धि को माया एकदम पकड़ लेती है या देह-अभिमान आ जाता है तो फिर पत्र भी नहीं लिखते, भूल जाते हैं।

 

5.

कहते हैं कि शिवबाबा को याद करते हैं। परन्तु साकार ब्रह्मा के सिवाए तो राय मिल न सके। अच्छे-अच्छे फर्स्टक्लास बच्चे लिखते हैं कि हमारा योग शिवबाबा से है, हम उनको मदद करते रहेंगे। फिर भी थ्रू ब्रह्मा, बाप बिगर दादे का वर्सा तो ले नहीं सकते हो।

 

6.

सिर्फ दो बातें मजबूत कर लो। बाबा को याद करना है। अभी तुम्हारी बुद्धि यहाँ और वहाँ (घर में) रहनी चाहिए। एक जिन्न का मिसाल है ना। उसने कहा कि काम दो नहीं तो खा जाऊंगा। बाबा भी कहते हैं कि मैं यह याद करने का काम देता हूँ। अगर याद नहीं करेंगे तो माया कच्चा खा जायेगी। याद के लिए कुछ समय तो निकालना चाहिए ना। पहले थोड़ा समय फिर बहुत प्रैक्टिस होती जायेगी। बाबा कहते हैं कि चुप रहो, सिर्फ याद करते रहो।

 

7.

जितना बाप को याद करेंगे उतना फ़ायदा है। इसी का नाम योग रख दिया है। नहीं तो यह है याद, आत्माओं की बाप से प्रीत। याद करते हैं।

 

8.

नटशेल में कहते हैं कि मुझे याद करो। बस, गॉड इज वन।