POINTS OF YAAD FROM MURLI - 01.08.2018


1.

उनका रूप निराकार ही रखा है। तो बाप कहते हैं मैं तुम्हें राजयोग सिखलाता हूँ। यह बाबा भी कहते - मैं भी सीख रहा हूँ।

2.

यह बाप तो कहते हैं मैं तुम्हें राजयोग सिखलाता हूँ। भगवानुवाच है तो जरूर शरीर में आना पड़े।

 

3.

इस बाबा को जानने से तो शिवबाबा को भी जानें, जिसके साथ बुद्धियोग लगाना है। हमें विश्व का मालिक बनना है सो कोई मनुष्य तो नहीं बनायेंगे।

 

4.

फादर से वर्सा मिलता है स्वर्ग की राजधानी का, तो जरूर राजयोग सिखाया होगा ना। बाप ही सिखलायेंगे।

 

5.

निराकार बाप परमपिता परमात्मा है ना। वह आकर पढ़ाते हैं। वर्सा उनसे मिलता है। उनको राजयोग सिखलाना है, इसमें प्रेरणा की तो कोई बात ही नहीं।

 

6.

शक्ति मिलती है शिवबाबा से, इनकी (ब्रह्मा की) आत्मा से नहीं। तो याद शिवबाबा को करना है। इससे ही हम पतित से पावन होंगे।

 

7.

सभी को वापिस ले जाने के लिए आया हूँ इसलिए लिबरेटर भी कहते हैं। सो प्रेरणा से थोड़ेही लिबरेट करेंगे। स्कूल में भी वृद्धि होती है। लेकिन पुरानी दुनिया को याद किया तो बाप को भूले। आखिर भूलते-भूलते पुरानी दुनिया में ही चले जाते हैं।