POINTS OF YAAD FROM MURLI - 02.08.2018


1.

मीठे बच्चे - बाप का बिन्दी स्वरूप है, उसे यथार्थ पहचानकर याद करो यही समझदारी है

2.

यह थोड़ेही समझते हैं कि हमारा बाबा बिन्दी है। जो बच्चे शिवबाबा को इतना बड़ा समझ याद करते हैं वा करते होंगे - वह भी भोले हैं क्योंकि वह भी रांग है। बाप समझाते हैं कि मैं बिन्दी हूँ, अब बिन्दी को कोई क्या समझ सके। भल कोई कहते हैं अखण्ड ज्योति स्वरूप है, फलाना है परन्तु नहीं, वह है बिन्दी। उनको याद करना बड़ा मुश्किल है।

 

3.

गीत में भी कहते हैं कि याद करो तो याद न आये फिर वह सूरत कैसी है? यह भी वन्डरफुल है, इतनी छोटी बिन्दी है! ज्ञान का डांस करते हैं। कहा जाता है - यह स्वप्नों का संसार है।

 

4.

अभी तुम बच्चों की बुद्धि में आदि, मध्य, अन्त का पूरा ज्ञान है। एक बाप की ही याद रहनी चाहिए। बाप जो समझाते हैं और कोई समझा न सके। तुम्हारी बुद्धि में स्वप्नों का संसार है।

 

5.

तो सेकेण्ड में तुमको सारा याद आना चाहिए - बीज और झाड़। बाबा भी कहते हैं - आदि, मध्य, अन्त का मेरे पास ज्ञान है इसलिए ही मुझे ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल, जानी-जाननहार कहते हैं।

 

6.

यहाँ की रस्म-रिवाज वहाँ बिल्कुल नहीं होती है। वह है ही वाइसलेस वर्ल्ड। वहाँ माया का नाम-निशान नहीं होता। पहले तुम बाबा को याद करो, वर्सा तो ले लो, बाकी वहाँ की रस्म-रिवाज जो होगी, वही चलेगी। वहाँ की रस्म-रिवाज सब नई होगी।

 

7.

सभी को वापिस ले जाने के लिए आया हूँ इसलिए लिबरेटर भी कहते हैं। सो प्रेरणा से थोड़ेही लिबरेट करेंगे। स्कूल में भी वृद्धि होती है। लेकिन पुरानी दुनिया को याद किया तो बाप को भूले। आखिर भूलते-भूलते पुरानी दुनिया में ही चले जाते हैं।