POINTS OF YAAD FROM MURLI - 04.08.2018


1.

मीठे बच्चे - तुम्हें मुख से कुछ भी बोलना नहीं है, सच्चे दिल से एक बाप को निरन्तर याद करना है, सच्चे दिल पर ही साहेब राज़ी ह

2.

बच्चे जानते हैं सो भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार क्योंकि कहा जाता हैं सच्ची दिल पर साहेब राज़ी। दिल भी आत्मा में है ना। तो सच्चे साहेब को याद करो तो सुख मिलेगा। याद माना अन्दर में बाप को याद करना है। जप साहेब को। जप का अर्थ यह नहीं कि मुख से कुछ बोलते रहो। नहीं, याद करते रहो तो बहुत सुख मिलेगा।

 

3.

जैसे सच्ची पतिव्रता स्त्री सिवाए पति के और किसको भी लॅव नहीं करती है, वैसे ही आत्मा को उस पारलौकिक बेहद के बाप को सच्ची दिल से याद करना है।

 

4.

बाबा को याद करने का बड़ा अभ्यास चाहिए। बाप में पूरा-पूरा लॅव चाहिए।

 

5.

बाप कहते हैं अपने को अशरीरी आत्मा समझकर मुझे याद करो। अपने को स्वच्छ रखो। तुम शिवबाबा के बनते हो, वह तुमको स्वच्छ बनाते हैं।

 

6.

बाप कहते हैं निरन्तर याद करना मासी का घर नहीं है। भोजन करते समय कितनी कोशिश करते हैं फिर भी भूल जाते हैं। बहुत कोशिश करते हैं - सारा समय बाप की याद में खायें क्योंकि वह हमारा बहुत प्यारा है, क्यों न हम उनको याद कर खायें तो साथ में रहेगा। फिर भी घड़ी-घड़ी याद भूल जाती है।

 

7.

अगर निरन्तर योग लग जाए तो समझा जाए कि अब कर्मातीत अवस्था आ रही है। परन्तु याद ठहरती नहीं है, बड़ी युद्ध चलती है। बाबा देखते हैं बहुतों का बुद्धियोग भटकता है, अशरीरी बनने में मेहनत लगती है।

 

8.

बाबा जानते हैं - बच्चों को माया बड़ा हैरान करती है, याद ठहरने नहीं देती है। बहुतों की अवस्था देखी जाती है।

 

9.

वहाँ फिर समझते हैं अब शरीर बड़ा हो गया है, इसको अब छोड़ना है। अपने टाइम पर खुशी से छोड़ देते हैं। आत्मा का ज्ञान पूरा है। बाप का ज्ञान बिल्कुल नहीं है। ड्रामा में है नहीं। वहाँ बाप को क्यों याद करें? दरकार ही नहीं। यहाँ तो दु:ख में मनुष्य याद करते हैं और तुमको फिर अपने को आत्मा समझ बाप से योग लगाना है।

 

10.

तुम बेहद के बाप को याद नहीं कर सकते हो? हे आत्मा, तुम और सब तरफ से बुद्धियोग हटाकर मुझे याद करो। तुम याद नहीं कर सकते हो? और मित्र-सम्बन्धियों आदि को याद करते हो, मुझे याद करने में क्या मुसीबत है? कहते हैं - बाबा, माया बुद्धियोग तोड़ देती है! अरे, वर्सा गँवा बैठोगे। तुम बुद्धियोग पूरा लगाओ तो विश्व का मालिक बनोगे। बाप को थोड़ेही कभी भूलना होता है। देह-अभिमानी बनने से ही तुम भूलते हो। तुमको बार-बार कहा जाता है अपने को आत्मा समझो, बाप को निरन्तर याद करो।

 

11.

मैं आत्मा हूँ, शान्ति में रहकर बाप को याद करना है। बाबा है ज्ञान का सागर, नॉलेजफुल। उनमें सारी नॉलेज है। तुमको भी सिखलाते हैं। बाप को याद करने से तुम पवित्र बन जायेंगे, होली ताज मिलेगा और सृष्टि चक्र को जानने से रत्न जड़ित ताज़ मिलेगा। डबल सिरताज बन जायेंगे। याद से ही विकर्म विनाश होंगे। नहीं तो धर्मराज के डन्डे खाने पड़ेंगे। पद भी भ्रष्ट हो जायेगा इसलिए बाप को याद करना है।

 

12.

महिमा सारी शिवबाबा की है, उनको याद करने से ही पूरा विकर्माजीत बनेंगे। बहुत सहज बात है। याद करना है और चक्र फिराना है। स्वदर्शन चक्रधारी पूरे अन्त में बनते हैं नम्बरवार।