POINTS OF YAAD FROM MURLI - 09.08.2018


1.

तुमको राजयोग सिखलाने लिए बाप ने भी शरीर धारण किया है। महफिल में आये हैं। तुम्हारे में भी कोई पूरा जानते हैं कोई अधूरा, कोई तो कुछ नहीं जानते। बाप कहते हैं मैं इस रचना में आया हुआ हूँ।

 

2.

सोचते भी हैं ऐसे शिवबाबा को निरन्तर याद करें। जैसे पत्नि पति को कितना याद करती है, यह तो पतियों का पति है, बाबा है। ऐसे बाबा को कितना याद करना चाहिए, ऐसे बाबा की हम कितनी महिमा गायें, गीत आदि में भी शिवबाबा की कितनी महिमा करते हैं।

 

3.

भगवान् की महिमा गाते हैं। याद करते हैं परन्तु जानते नहीं। अरे, भगवान् कहते हो तो भगवान् का पूरा नाम चाहिए ना! उनका नाम है शिव। उनकी सारी महिमा है।

 

4.

कहते भी हैं परमपिता परमात्मा परमधाम का रहने वाला है। नाम, रूप, देश बतलाते भी हैं परन्तु देह-अभिमान होने कारण उनको याद नहीं करते हैं। याद करते भी हैं तो बिगर समझ। गाते हैं तुम मात-पिता.......।

 

5.

यह बाबा अपना अनुभव बतलाते हैं - दिल होती है बाबा की याद में रहकर खायें परन्तु भूल जाते हैं। वो तो कहते हैं मैं अभोक्ता हूँ। उनको यह नहीं आता है कि यह अच्छा है वा बुरा है। बाप कहते हैं मैं आता ही हूँ तुम बच्चों को पतित से पावन बनाने क्योंकि रावण ने तुम्हारे ऊपर जीत पहन ली है। अब फिर उस पर जीत पानी है।

 

6.

परमपिता परमात्मा को याद करते हैं - बाबा आओ, माया रूपी जंजीरों से आकर छुड़ाओ, हमको लिबरेट करो। जो भी मित्र-सम्बन्धी आदि हैं सबको लिबरेट करते हैं।

 

7.

अगर एक कान से सुन दूसरे से निकाल देते हैं तो फिर क्या कर सकेंगे? बाबा को याद ही नहीं करते हैं।

 

8.

ब्राह्मणियों को भी मुरली शिवबाबा से मिलती है ना। उनसे कनेक्शन रखना है। डायरेक्ट मुरली तो भेजें लेकिन फिर आप समान भी बनाकर तो दिखाओ। बाप को याद करते रहो। बाप की याद औरों को दिलाते रहो।