POINTS OF YAAD FROM MURLI - 18.08.2018


1.

तुम जबकि सुबह को मेडीटेशन में बैठते हो तो किसको याद करते हो? भक्ति मार्ग में तो कोई किसको, कोई किसको याद करते हैं। उन सबकी साधना है अयथार्थ। सिखलाने वाला खिवैया वा बागवान तो कोई है नहीं। गुरू लोग भी मेडीटेशन सिखलाते हैं कि ऐसे-ऐसे करो। बहुत प्रयत्न करते हैं याद में रहने के लिये। योग साधना कहा जाता है। वह तो मनुष्य, मनुष्य को कराते हैं। अभी तुम जानते हो इस बगीचे का माली अथवा मालिक है परमपिता परमात्मा।

 

2.

दिन में कभी भी मेडीटेशन नहीं होती है। दिन में तो खाना-पीना, खेलना-कूदना, धन्धाधोरी करना होता है। उसमें याद थोड़े-ही रह सकती है। कहते तो बहुत हैं कि हम सारा दिन याद में रहते हैं परन्तु है तो बड़ा मुश्किल। बाबा अनुभव बतलाते हैं। अमृतवेले का समय सतोगुणी होता है, उस समय याद करना सहज है। अमृतवेले का टाइम सबसे अच्छा है। दिन में तो लफड़े रहते हैं। हाँ, कर्म करते समय याद स्थाई रह सकती तो है बहुत अच्छा। परन्तु बाबा अपना अनुभव बतलाते हैं - मैं कोशिश करता हूँ बाबा की याद में रह तुमसे बात करुँ। अन्दर यह नशा रहता है - मैं स्वयं बाप (प्रजापिता ब्रह्मा) बच्चों से बात करता हूँ। मैं स्वयं मनुष्य सृष्टि का बाप हूँ - ऐसा समझने से नशा चढ़ता है। बाकी मैं आत्मा हूँ, परमपिता परमात्मा बाप को याद कर बात करुँ, वह याद बड़ा मुश्किल रहती है। बाबा अपना अनुभव बतलाते हैं ना।

 

3.

मनुष्यों के पास ज्ञान तो कुछ भी नहीं है। अनेक प्रकार के योग लगाते हैं। किसी न किसी की याद में बैठते होंगे। ज्ञान की बात ही नहीं। काली माँ की याद में बैठे होंगे तो सिर्फ काली की शक्ल ही सामने आयेगी। जगदम्बा को याद करते रहेंगे। वह है भक्ति मार्ग। न बाप की याद, न वर्से की याद रहती है।

 

4.

कितना बड़ा बगीचा है। पहले छोटा था। बीज भी याद आया, बगीचा भी याद आया। कैसे बगीचा बनता है - बाबा में भी यह ज्ञान है, हमारे में भी यह ज्ञान है। सारा झाड़ बुद्धि में आ जाता है। अन्दर चलता रहता है, इसको मेडीटेशन कहा जाता है।

 

5.

कितने हठयोग आदि सिखलाते हैं। अभी तो समझ मिली है बाप को याद करने से उनकी सारी रचना (झाड़) याद आ जाती है। हम 84 जन्मों का चक्र लगाकर आये हैं। अभी हम जाते हैं वापिस। यह ड्रामा का चक्र फिरता रहता है। ज्ञान धन को भी याद करते, धन देने वाले को भी याद करते हैं। जितना याद में रहेंगे उतना अवस्था परिपक्व होती जायेगी। तुम किसको भी समझा सकते हो - मेडीटेशन में हम कैसे बैठते हैं। मनुष्यों को तो अनेक प्रकार की मत मिलती है - फलाने को याद करो। यहाँ हम सब एक मत पर हैं, एक की ही याद में रहते हैं।

 

6.

रात में भी मेडिटेशन करते हैं, दिन में भी करते हैं। हम याद करते हैं एक बाप को। बाप का फ़रमान है - मुझे याद करो और रचना के चक्र को याद करो।

 

7.

बाप की याद और रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान बुद्धि में है। हम सबकी एक ही मत है। हम हैं श्रीमत पर। वह पतित-पावन बाप ही आकर बेहद स्वर्ग का वर्सा देते हैं। तो बाप को जरूर याद करना पड़े ना। बाप द्वारा ही हम वर्सा पाते हैं।

 

 

8.

इस मेडीटेशन में बैठने से तुमको नशा अच्छा चढ़ेगा। अभी बाप को याद करो। तुम्हारा बाप तो है ना। भक्ति मार्ग में जन्म-जन्मान्तर याद करते आये हो। लौकिक बाप तो हर जन्म में बदलता है फिर भी तुम निराकार बाप को जरूर याद करते हो क्योंकि वह है अविनाशी बाप। विनाशी (लौकिक) बाप से विनाशी वर्सा मिलता है। अविनाशी बाप से अविनाशी वर्सा मिलता है।

 

9.

कोई की बुद्धि का ताला ही नहीं खुलता है। बाप को याद नहीं करते तो ताला खुलेगा कैसे? है बहुत सहज बात। समझाना है हम याद में कैसे बैठते हैं। मनुष्यों को तो पता नहीं कि हम किसको याद करते हैं! हमको सिखलाने वाला स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा है जो सबका बाप है। वह पतित-पावन गॉड फादर हमको राजयोग सिखलाते हैं।