POINTS OF YAAD FROM MURLI - 22.08.2018


1.

गाते भी हैं तुम मात-पिता हम बालक तेरे...... आत्मा को जैसे वह अविनाशी याद है। हम आपके जब बालक बनेंगे तब हम वर्सा लेंगे। अभी तुम जानते हो हम मात-पिता के बने हैं। हम शिवबाबा के बच्चे हैं तो जरूर बाप और वर्सा याद आता है। तुमको कोई पुस्तक आदि नहीं पढ़ाया जाता, तुमको सिर्फ निश्चय कराया जाता है। बाप के बने हो तो अब उनको याद करो।

बाप कहते हैं मेरे को याद करने से तुम ऐसा (लक्ष्मी-नारायण) बनेंगे।

 

2.

बाप को ही याद करते रहना है। यह भी बुद्धि में है कि सृष्टि चक्र कैसे फिरता है? उसके आदि-मध्य-अन्त को जानने से ही तुम ऊंच ते ऊंच बनते हो। स्वर्ग के मालिक बनते हो।

 

3.

माँ-बाप को कभी बच्चे भूलते नहीं हैं। बाप और वर्से को याद करो तो सदैव हर्षित रहेंगे। जब कोई दु:ख होता है तो बाप को ही याद करते हैं। जरूर बाप ने सुख दिया है।

 

4.

जैसे बीमारी में मनुष्य को कहते हैं राम-राम कहो। तुम भी बीमारी में फिर औरों को बोलो - शिवबाबा को याद करो। यह जरूर औरों को याद कराना पड़े। मरने की हालत में भी तुम यह नॉलेज औरों को दे सकते हो। परमात्मा के तुम बच्चे हो, उनको याद करो।

 

 

5.

बीमारी में भी बहुत सर्विस कर सकते हैं। मित्र-सम्बन्धी आयेंगे उनको भी कहेंगे परमात्मा को याद करो। वही सबका रखवाला है इसलिए शिवबाबा को याद करो। वह एक है। वर्सा भी सबको एक से मिलता है।

 

6.

देह-अभिमान टूट जाये, देह-अभिमानी को लौकिक सम्बन्ध याद आयेंगे। देही-अभिमानी को पारलौकिक बाप ही याद पड़ेगा। उठते-बैठते-चलते यह बुद्धि में रखना है - मैं आत्मा हूँ। बाप की मत पर चलना है। शिवबाबा मत दे रहे हैं - अपने को आत्मा समझो।

 

7.

मातेला उनको कहा जाता है जो बापदादा को ही याद करते। दूसरा कोई याद पड़ता तो वह सौतेले हो जाते हैं। बहुत हैं जिनको दोनों याद पड़ते रहते हैं।

 

8.

बाप कहते हैं मेरे को याद करो क्योंकि मेरे पास आना है। माया कहती है दुनिया तरफ जाओ। कहाँ जायें? रास्ता तो मिला है। एक तरफ है स्वर्ग में जाने का रास्ता, दूसरी तरफ है नर्क में जाने का रास्ता।

 

9.

अगर शान्तिधाम जाना चाहते हो तो शान्ति-धाम को याद करते रहो। मुक्ति को तो याद करना पड़े ना। पिछाड़ी वालों को मुक्तिधाम में जास्ती रहने कारण मुक्तिधाम ही जास्ती याद पड़ेगा। तुमको जीवनमुक्तिधाम याद पड़ता है। स्वर्ग में हम जल्दी जायें। वह चाहते हैं हम मुक्ति में रहें। अच्छा, बाप को याद करते रहो इसमें भी कल्याण है।

 

10.

मनुष्यों को तुम्हारा सच्चा योग पसन्द आयेगा। अच्छा, बाप को याद करते रहो। चक्र को भी याद करने की दरकार नहीं।

 

 

11.

मुक्तिधाम जाना चाहते हैं तो बाप को याद करो। अगर चाहो हम सदैव सुखी रहें तो वहाँ शान्ति भी है, सुख भी है। जो जिस तरफ का होगा उनको वह वर्सा लेना है।

 

12.

तुम लाइट हाउस हो खड़े हो। दोनों रास्ता दिखा सकते हो। चाहे मुक्तिधाम चलो, चाहे मुक्ति-जीवनमुक्ति दोनों को याद करो। इसमें शास्त्र आदि पढ़ने की कोई दरकार नहीं।

 

 

13.

समझाया जाता है - यह दुनिया ख़लास हुई पड़ी है। अब बाप को याद करो तो बेड़ा पार हो जायेगा। बाप आये ही हैं नर्क का विनाश कर स्वर्ग की स्थापना करने। हम आपको भी राय देते हैं, श्री श्री से मिली हुई श्रीमत हम आपको भी देते हैं। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम स्वर्ग के मालिक बनेंगे।