Today's Murli

पवित्र मन रखो...


शिवभगवानुवाच -

ब्राह्मण कुलभूषण आत्माओं प्रति

06.07.1969


"... अव्यक्त वतन से बापदादा

बच्चों की सर्विस करने और साफ

बनाने लिए आये हैं।

 

बाप सेवा करते हैं।

आप सब बच्चों का

शुरू से लेकर अन्त तक

बाप सेवक है।


सेवा करने लिए सदैव तैयार है।

 

बाप को कितना फखुर रहता है

- हमारे बच्चे सिरमोर हैं,

आँखों के सितारे हैं।

जिन्हों के लिए

स्वर्ग स्थापन हो रहा है।

 

उस स्वर्ग के वासी बनाने के लिए

तैयार कर रहे हैं।

 

जो समझते हैं हम

लक्ष्मी-नारायण बनेंगे

इतना लक्ष्य पकड़कर

फिर भी गफलत करते रहते हैं तो

इसलिए बापदादा फिर भी

सेवा करने आये हैं।..."