09.01.1985
"...जितना जो करता है
उतना वर्तमान भी फल पाता है और
भविष्य में तो
मिलना ही है।
वर्तमान में सच्चा स्नेह
वा सबके दिल की आशीर्वादें अभी प्राप्त होती हैं और
यह प्राप्ति स्वर्ग के राज्य भाग्य से भी ज्यादा है।
अभी मालूम पड़ता है कि
सबका स्नेह और आशीर्वाद दिल को
कितनी आगे बढ़ाती है।
तो वह सबके दिल की आशीर्वाद की खुशी और
सुख की अनुभूति एक विचित्र है।
ऐसे अनुभव करेंगे जैसे
कोई सहज हाथों पर उड़ाते हुए लिए जा रहा है।
यह सर्व का स्नेह और
सर्व की आशीर्वाद इतना अनुभव कराने वाली हैं। ..."
21.01.1985
"...सदा अपने को
सफलता के सितारे समझो और
दूसरी आत्माओं को
भी सफलता की चाबी
देते रहो।
इस सेवा से
सभी आत्मायें खुश होकर
आपको दिल से
आशीर्वाद देंगी।
बाप और सर्व की आशीर्वादें ही आगे बढ़ाती हैं।..."
16.02.1985
"...एक यह गोल्डन बोल याद रखना कि
नूरे रत्न हूँ।
दूसरा -
’’सदा बाप का साथ और हाथ मेरे ऊपर है।’’
साथ भी है और हाथ भी है।
सदा आशीर्वाद का हाथ है और
सदा सहयोग
का साथ है।
तो सदा बाप का साथ और हाथ है ही है।
साथ देना हाथ रखना नहीं है, लेकिन है ही।
यह दूसरा गोल्डन बोल ‘सदा साथ और सदा हाथ’।..."
06.03.1985
"...याद की शक्ति से सफलता सहज प्राप्त होती है।
जितना याद और सेवा साथ-साथ रहती है तो
याद और सेवा का बैलेन्स
सदा की सफलता की आशीर्वाद स्वत: प्राप्त कराता है।
इसलिए सदा शक्तिशाली याद स्वरूप का
वातावरण बनने से
शक्तिशाली आत्माओं का आह्वान होता है
और सफलता मिलती है। ..."
15.03.1985
"...करावनहार करा रहा है, चलाने वाला चला रहा है
और स्वयं क्या करते हैं?
निमित्त बन खेल खेलते रहते हैं।
ऐसे ही अनुभव होता है ना?
ऐसे सेवाधारी सफलता के अधिकारी बन जाते हैं।
सफलता जन्म-सिद्ध अधिकार है,
सफलता सदा ही महान पुण्यात्मा बनने का अनुभव कराती है।
महान पुण्य आत्मा बनने वालों को
अनेक आत्माओं की आशीर्वाद की लिफ्ट मिलती है। ..."
30.03.1985
"...कोई भी बात को
स्वयं अपनी तरफ खींचने की खींचातान
कभी नहीं करो।
सहज मिले वह श्रेष्ठ भाग्य है।
खींच के लेने वाला इसको श्रेष्ठ भाग्य नहीं कहेंगे।
उसमें सिद्धि नहीं होती।
मेहनत ज्यादा सफलता कम।
क्योंकि
सभी की आशीर्वाद नहीं मिलती है।
जो सहज मिलता है
उसमें सभी की आशीर्वाद भरी हुई है। समझा ..."
11.11.1985
"...विशेष दिनों पर जैसे विशेष भक्त लोग
व्रत रखते हैं, साधना करते हैं।
एकाग्रता का विशेष अटेन्शन रखते हैं।
ऐसे सेवाधारी बच्चों को भी
वह वायब्रेशन आने चाहिए।
हम ही हैं!
यह अनुभव होना चाहिए।
बापदादा तो है ही लेकिन
साथ में अनन्य बच्चे भी हैं।
यह प्रैक्टिकल में महसूसता आनी चाहिए।
जो आशीर्वाद, आशीर्वाद का रिवाज चला है,
वह ऐसे अनुभव होगा जैसे
सम्पन्न होने के कारण ब्रह्मा बाप द्वारा
चलते-फिरते सबको स्वत: आशीर्वाद का
अनुभव होता था।
तो आप भी चलते-फिरते
ऐसे अनुभव करो जैसे
बाप द्वारा कुछ न कुछ प्राप्ति करा रहे हैं।
प्राप्ति ही आशीर्वाद है।
और कुछ मुख से नहीं कहेंगे लेकिन
प्राप्ति का अनुभव कराने के कारण
सबके मुख से - ‘‘यही हैं, यहीं हैं’’ के गीत निकलेंगे।
वह भी दिन आने वाले हैं।
साक्षात्कार मूर्त्त अभी होने चाहिए।..."
04.12.1985
"...वाणी से परे स्थिति में जाना है।
जब दूसरे जिम्मेवारी उठायेंगे तब तो
आप लोग वानप्रस्थी बन
सभी को वानप्रस्थ में ले जायेंगे।
अभी तो अपनी स्टेज बनानी पड़ती है फिर
स्टेज बनी बनाई मिलेगी।
यही सेवा की सफलता है जो बनाने वाले दूसरे हो
और आप सिर्फ आशीर्वाद देकर आओ।..."
14.12.1985
"...सम्बन्ध में न्यारा और प्यारापन आना
- यह निशानी है मालिकपन की।
संस्कारों में निर्मान और निर्माण,
दोनों विशेषतायें मालिकनपन की निशानी हैं।
साथ-साथ सर्व आत्माओं के सम्पर्क में आना,
स्नेही बनना, दिलों के स्नेह की आशीर्वाद अर्थात्
शुभ भावना सर्व के अन्दर से
उस आत्मा के प्रति निकले।
चाहे जाने, चाहे न जाने।
दूर का सम्बन्ध वा सम्पर्क हो लेकिन
जो भी देखे वह स्नेह के कारण
ऐसे ही अनुभव करे कि यह हमारा है
स्नेह की पहचान से अपनापन अनुभव करेगा।
सम्बन्ध दूर का हो लेकिन
स्नेह सम्पन्न का अनुभव करायेगा। ..."
30.12.1985
"...चाहे क्वालिटी में, चाहे क्वान्टिटी में,
दोनों में नम्बरवन होना है।
डबल विदेशी भी नवीनता दिखायेंगे ना।
हर एक देश में इस खुशखबरी की लहर फैल जाए तो
सब आपको बहुत दिल से आशीर्वाद देंगे।
लोग बहुत भयभीत हैं ना!
ऐसी आत्माओं को रूहानी खुशी की लहर में लाओ।
अल्पकाल की खुशी नहीं।
रूहानी खुशी की लहर हो।
जो वह समझें कि यह फरिश्ता बन
शुभ सन्देश देने के निमित्त बनी हुई आत्मायें हैं। समझा! ..."
01.01.1986
"...बापदादा सदा हर बच्चे के बुद्धि रूपी मस्तक पर
वरदान का सदा सफलता का आशीर्वाद का हाथ
नये वर्ष की बधाई में सब बच्चों को दे रहे हैं।
नये वर्ष में सदा हर प्रतिज्ञा को
प्रत्यक्ष रूप में लाने का अर्थात्
हर कदम में फालो फादर करने का
विशेष स्मृति स्वरूप का तिलक
सतगुरू सभी आज्ञाकारी बच्चों को दे रहे हैं।..."
"...हिम्मत वाली आत्माओं पर
बापदादा की मदद का हाथ सदा है।
इसी मदद से आगे बढ़ रही हो और बढ़ती रहना।
यही बाप की मदद का हाथ
सदा के लिए आशीर्वाद बन जाता है।
बापदादा सेवाधारियों को देख
विशेष खुश होते हैं क्योंकि
बाप समान कार्य में निमित्त बनें हुए हो।..."
25.02.1986
"...बापदादा सदा ही हर विशेष रत्न को
विश्व के आगे प्रत्यक्ष करते हैं।
तो विश्व के आगे प्रत्यक्ष होने वाली विशेष रत्न हो।
एकस्ट्रा सभी के खुशी की मदद है।
आपकी खुशी को देखकर
सबको खुशी की खुराक मिल जाती है।
इसलिए आप सबकी आयु बढ़ रही है।
क्योंकि सभी के स्नेह की आशीर्वाद मिलती रहती है।
अभी तो बहुत कार्य करना है। ..."
10.03.1986
"...बाप के महावाक्यों को,
आज्ञा को पालन करने वाले आज्ञाकारी कहलाये जाते हैं।
और जो आज्ञाकारी बच्चे होते हैं
उन्हों पर विशेष बाप की आशीर्वाद सदा ही रहती है।
आज्ञाकारी बच्चे स्वत: ही
आशीर्वाद के पात्र आत्मायें होते हैं। ..."
27.03.1986
"...सेवा की वृद्धि हो रही है।
जितना वृद्धि करते रहेंगे
उतना महान पुण्य आत्मा बनने का फल,
सर्व की आशीर्वाद प्राप्त होती रहेगी।
पुण्य आत्मा ही पूज्य आत्मा बनती है।
अभी पुण्य आत्मा नहीं तो
भविष्य में पूज्य आत्मा नहीं बन सकते।
पुण्य आत्मा बनना भी जरूरी है। ..." |