"...धीरे-धीरे ऐसी स्थिति सभी की हो जायेगी।

जो किसके अन्दर में जो बात होगी वह पहले से ही आप को मालूम पड़ेगा।

इसलिए प्रैक्टिस करा रहे हैं।

जितना-जितना अव्यक्त स्थिति में स्थित होंगे, कोई मुख से बोले न बोले लेकिन उनके अन्दर का भाव पहले से ही जान लेंगे।

ऐसा समय आयेगा।

इसलिए यह प्रैविटस कराते हैं।

तो पहली बात पूछ रहे थे कि एक अक्षर कौन सा याद रखें?

अपने को मेहमान समझना।

अगर मेहमन समझेंगे तो फिर जो अन्तिम सम्पूर्ण स्थिति का वर्णन है वह इस मेहमान बनने से होगा।

अपने को मेहमान समझेंगे तो फिर व्यक्त में होते हुए भी अव्यक्त में रहेंगे।..."

 

 

 

Ref. Avyakt BapDada - 17.07.1969
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