Lucky Kushnaseeb

Antim Ghadian Aa Pahunchi Hai...



16.10.1969


"...एक सेकेण्ड में

कार्य प्रति शारीरिक भान में आये

फिर एक सेकेण्ड में अशरीरी हो जाये,

जिसकी यह ड्रिल पक्की होगी

वह सभी परिस्थितियों का सामना

कर सकते हैं।

 

जैसे शारीरिक ड्रिल

सुबह को कराई जाती हैं

वैसे यह अव्यक्त ड्रिल भी

अमृतवेले विशेष रूप से करना है।

 

करना तो सारा दिन है

लेकिन विशेष प्रैक्टिस करने का समय

अमृतवेले है।

 

जब देखो बुद्धि बहुत बिजी हैं

तो उसी समय यह प्रैक्टिस करो।

परिस्थिति में होते हुए भी

हम अपनी बुद्धि को

न्यारा कर सकते हैं।

लेकिन न्यारे तब हो सकेंगे

जब जो भी कार्य करते हो

वह न्यारी अवस्था में होकर करेंगे।

 

अगर उस कार्य में

अटैचमेंट होगी तो

फिर एक सेकेण्ड में

डिटैच नहीं होंगे।

इसलिए यह प्रैक्टिस करो।

कैसी भी परिस्थिति हो।

क्योंकि फाइनल पेपर

अनेक प्रकार के भयानक

और न चाहते हुए भी

अपने तरफ आकर्षित करने वाली

परिस्थितियों के बीच होंगे।

 

उनकी भेट में

जो आजकल की परिस्थितियाँ हैं

वह कुछ नहीं हैं।

 

जो अन्तिम परिस्थिति आने वाली हैं,

उन परिस्थितियों के बीच

पेपर होना है।

इसकी तैयारी पहले से करनी है।

 

इसलिए जब अपने को देखो

कि बहुत बिजी हूँ,

बुद्धि बहुत स्थूल कार्य में बिजी हैं,

चारों ओर सरकमस्टान्सेज

अपने तरफ खैंचने वाली हैं तो

ऐसे समय पर यह अभ्यास करो।

तब मालूम पड़ेगा

कहाँ तक हम

ड्रिल कर सकते हैं। ..."

Avyakt BaapDada - 16.10.1969

OmShanti