एक मंजिल राही दो फिर प्यार न कैसे हो...


Godly Message through a

trans-messanger

18.01.1969



"...शिवबाबा और अपना ब्रह्मा बाबा

दोनों आपस में बैठे थे

और सामने जैसे एक

छोटी पहाड़ी बनी हुई थी।

वह किसकी थी?

 

क्या देखा कि ढेर के ढेर पत्र थे।

इतने पत्र थे,

इतने पत्र थे जैसे कि

पहाड़ियां बन गई थी

जैसे ही हम पहुँची तो

ब्रह्मा बाबा ने हमको देखा

और कहा कि

ईशू कहाँ है।

 

इतने पत्र हो गये हैं।

मैंने कहा बाबा मैं आई हूँ।

कहा ईशू बच्ची को भी

साथ लाई हो ना!

 

देखना ईशू बच्ची,

मैं दो मिनट में इतने

सारे पत्र पूरा कर देता हूँ।

 

शिव बाबा तो साक्षी होकर

मुस्करा रहे थे।

इतने में देखा कि ईशू बहन भी

वहाँ इमर्ज हो गई।

 

ईशू का चेहरा

बिल्कुल ही शान्त था।


बाबा ने कहा

बच्ची क्या सोच रही हो?

आज तो पत्र का जवाब देना है। ..."

 

Today's Murli

दिव्यगुणों के गुलदस्ते से जीवन महक जाता है...