अव्यक्त बापदादा 10.12.1987

"... आजकल के समय में भी...

कोई-कोई विनाशी धनवान के पास भी धन बैंक में होगा,

अलमारी में होगा

या तकिये के नीचे होगा,

न खुद कार्य में लायेगा, न औरों को लगाने देगा।

न स्वयं लाभ लेगा, न दूसरों को लाभ देगा।

तो धन होते भी सुख तो नहीं लिया ना।

तकिये के नीचे ही रह जायेगा, खुद चला जायेगा।

तो यह वर्णन करना अर्थात् यूज न करना, सदा गरीब दिखाई देंगे।

यह धन भी अगर स्वयं प्रति वा दूसरों प्रति समय प्रमाण यूज नहीं करते, सिर्फ बुद्धि में रखा है तो...

न स्वयं अविनाशी धन के नशे में, खुशी में रहते, न दूसरों को दे सकते।

सदा ही क्या करें, कैसे करें... इस विधि चलते रहेंगे।..."