खूब लड़ी मर्दानी

वो तो झांसी वाली रानी थी...

राजा की अकाले मृत्यु के बाद

अपने साम्राज्य की कमान

उन्होंने संभाली थी।

 

वे हमारे भारत के

इतिहास की गाथाएं

हमारे किस काम की हैं ...

 

अगर हमने

 

उस हिम्मत और

हौसलों को अपने वर्तमान जीवन में

विपरीत परिस्थितियों के समय

काम में नहीं लाया।

 

रोशनी देवी का मानना है कि

वे लोग बुझदिल और कायर हैं

जिनके अन्दर अपने ऊपर हो रहे

अत्याचार के खिलाफ

लड़ने की ताकत नहीं

और उसे सहन करते करते

गुट-गुट कर

अपना जीवन

दुनिया के कर्मक्षेत्र पर

व्यतीत कर रहे हैं।

 

असत्यता पर सत्यता की

हमेशा विजय होती ही है।

लेकिन हम भगवान की श्रीमत का

पालन करते हुए

कदम तो बढ़ायें।

 

ऐसा अनुभव करने वालों में

रोशनी देवी भी एक हैं।

 

जिनके ऊपर परिस्थितियों ने

एक साथ कई मोरचे खोल दिये थे,

 

एक तरफ उनके शारीरिक स्वास्थ्य ने

उसी समय कड़ा पेपर लेकर

उनको डैथ बैड तक पहुँचा दिया था

 

और दूसरी ओर आसुरी ताकतों ने

कड़ा आक्रमण कर

उनके परिवार को

बर्बाद करने का ठान लिया था,

 

ऐसे समय पर जब समाज ने भी

उनसे मुँह फेर लिया था।

 

लेकिन हम हिम्मत रखें तो

परमात्मा पिता

सच्चे दिल की आत्मा की

आवाज सुन कैसे मदद करते हैं,

 

वह इसका जीता जागता

उदाहरण हैं।

 

कैसे शिवमंत्र ने किये

उनके सब काल कंटक दूर

प्रेक्टिकल जीवन में वे

अनुभव करती हैं।

 

गायन है कि

"सच्चे दिल पर साहेब राजी"

तो जिनसे वो साहेब राजी हुआ

तो फिर क्या था

उन्होंने झूठ, पाप और

आसुरी ताकतों को ललकार कर

अपनी हिम्मत और सच्चाई की

पैनी जौहरदार तलवार पर तौल दिया।

 

रोशनी देवी नई दिल्ली में रहती हैं।

 

वह जीवन में सत्यता और

अहिंसा में ही विश्वास रखती हैं।

 

कैसी भी आत्मा के प्रति वो

दिल से उसके प्रति भले के लिए

शुभभावना रखती हैं कि

सबका भला हो।

 

उनको परमात्मा भोलेनाथ शिव पर

अटूट विश्वास है और

उनकी श्रीमत पर चलती हैं।

 

 

शिव भगवानुवाच

15.02.1969

 

"...इतनी हिम्मत है?

जब हिम्मत रखेंगे तब

बहुत देखेंगे।

 

आगे बहुत कुछ देखना है।

 

परन्तु कदम को

सम्भाल-सम्भाल कर चलाना है।

अगर सम्भल कर

नहीं चलेंगे तो

कहाँ खड्डा भी आ जायेगा।

एक्सीडेंट भी हो पड़ेंगे।..."

शिव भगवानुवाच

22.10.1970


"...हर्षितमुख रहने का

जो गुण है वह

पुरुषार्थ में बहुत मददगार

बन सकता है।

 

जैसे सूरत हर्षित रहती है

वैसे आत्मा भी

सदैव हर्षित रहे।

 

इस नैचुरल गुण को

आत्मा में लाना है।

 

सदा हर्षित रहेंगे तो

फिर माया की कोई आकर्षण

नहीं होगी।

 

यह बाप की गारंटी है।

 

लेकिन वह तब होगा

जब सदैव आत्मा को

हर्षित रखेंगे।

 

फिर बाप का काम है

माया के आकर्षण से

दूर रखना।

 

यह गारंटी बाप

आप से विशेष कर रहे हैं। ..."

Today's Murli