जरा सोचिए सर्वशक्तिवान शिव बाबा हमें अपना वारिस बनाने आए हैं । ब्रह्मा बाप समान बनने के लिए कल्प के अन्त में बाबा के जीवन का अनुभव चखके देखें तो देखो फिर क्या मजा आता है...

 


“...एक दिन ऐसा समय आयेगा जो इस बापदादा के श्रृंगार को याद करेंगे।

तो अभी वह समय है।

पहले तो वह अपने को निरहंकारीनम्रचित कहते हुए कई बच्चों को यह सुनाते थे कि मैं भी अभी सम्पूर्ण नहीं बना हूँ।

मैं भी अभी निरन्तर देही अभिमानी नहीं बना हूँ।

लेकिन आपने अपने अनुभव के आधार से तीन चार मास के अन्दर ध्यान दिया होगासन्मुख मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा तो अनुभव किया होगा कि यह ब्रह्मा अब साकारी नहीं लेकिन अव्यक्त आकारी रूपधारी है।

कुछ वर्ष पहले ब्रह्मा छोटी-छोटी बातें सुनते थेसमय देते थे लेकिन अब क्या देखा?

 इन छोटी-छोटी बातों को न सुनने का कारण क्या था कि यह समय निरन्तर याद में बीते। ...”

 

 

Ref:-

1969/ 21.01.1969
शरीर छूटा परन्तु हाथ और साथ नहीं

 

 

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