तो अभी वह समय है।
पहले तो वह अपने को निरहंकारी, नम्रचित कहते हुए कई बच्चों को यह सुनाते थे कि मैं भी अभी सम्पूर्ण नहीं बना हूँ।
मैं भी अभी निरन्तर देही अभिमानी नहीं बना हूँ।
लेकिन आपने अपने अनुभव के आधार से तीन चार मास के अन्दर ध्यान दिया होगा, सन्मुख मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा तो अनुभव किया होगा कि यह ब्रह्मा अब साकारी नहीं लेकिन अव्यक्त आकारी रूपधारी है।
कुछ वर्ष पहले ब्रह्मा छोटी-छोटी बातें सुनते थे, समय देते थे लेकिन अब क्या देखा?
इन छोटी-छोटी बातों को न सुनने का कारण क्या था कि यह समय निरन्तर याद में बीते। ...”