1969/02.02.1969

"अव्यक्त मिलन के अनुभव की विधि"

1.

"... अब सूक्ष्मवतन में आने जाने के बजाए स्वयं ही सूक्ष्मवतन वासी बनना है।

यही बापदादा की बच्चों में आशा है।

आना-जाना ज्यादा नहीं होना चाहिए।

यह यथार्थ है? कमाई किसमें है?

तो बाप बच्चों की कमाई को देखते हैं और कमाई के लायक बनाते हैं।

इसलिए यह सभी रहस्य बोलते रहे।

अभी समझा कि क्यों कहा था और अब क्या है

सूक्ष्मवतन के अव्यक्त अनुभव को अनुभव करो।

सूक्ष्म स्थिति को अनुभव करो।

आने जाने की आशा अल्पकाल की है।

अल्पकाल के बजाए सदा अपने को सूक्ष्मवतनवासी क्यों नहीं बनाते?

और सूक्ष्मवतनवासी बनने से ही बहुत वण्डरफुल अनुभव करेंगे।

खुद आप लोग वर्णन करेंगे कि यह अनुभव और सन्देशियों के अनुभव में कितना फर्क हैवह कमाई नहीं।

यह कमाई भी है और अनुभव भी।

तो एक ही समय दो प्राप्ति हों वह अच्छा या एक ही चाहते हो?"

 

1969/17.07.1969

अव्यक्त स्थिति बनाने की युक्तियाँ ” 

2.

"...अपना बैलेन्स बढ़ाना चाहिए।

कम से कम इतना तो होना चाहिए जो खुद सन्तुष्ट रहे।

अपनी कमाई से खुद भी सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो औरों को क्या कहेंगे।

एक एक को इतना जमा करना है।

क्या सिर्फ अपने लिए ही जमा करना है या औरों के लिए भी करना है।

औरों को दान करने के लिये जमा नहीं करना है?

ऐसा समय अभी आयेगा जो सभी भिखारी रूप में आप लोगों से यह भीख माँगेंगे।

तो उन्हों को नहीं देंगे?

इतना जमा करना पड़ेगा ना।

अपने लिए तो करना ही है लेकिन साथ-साथ ऐसा दृश्य सभी के सामने होगा।

जो आज अपने को भरपूर समझते हैं वह भी भिखारी के रूप में आप सभी से भीख माँगेंगे।

तो भीख कैसे दे सकेंगे

जब जमा होगा ना।

दाता के बच्चे तो सभी देने वाले ठहरे।

आप सभी के एक सेकेण्ड की दृष्टि केअमूल्य बोल के भी प्यासे रहेंगे।

ऐसा अन्तिम दृश्य अपने सामने रख पुरुषार्थ करो।

ऐसा न हो कि दर पर आयी हुई कोई भूखी आत्मा खाली हाथ जाये।"

 

3.

"... माँ-बाप को जब तक बच्चे नहीं होते हैंमाँ-बाप की कमाई अपने प्रति ही होती है।

जब रचना होती है तो फिर रचना का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है।

अब अपने लिए जो कमाई थी वह तो बहुत समय खायामनाया।

लेकिन अब अपनी रचना का भी ध्यान रखना है।

आपने अपनी रचना देखी है?

कितनी रचना है?

छोटी है व बड़ी है?

बापदादा हरेक की रिजल्ट देखते हैं।

उस हिसाब से कह देते हैं।

एक-एक सितारे की कितनी रचना है?

जितनी यहाँ रचना होगी उतना वहाँ बड़ा राज्य होगा।"

 

 

1969/23.07.1969

सफलता का आधार परखने की शक्ति” 

4.

"...ऐसा समय आने वाला है जो कि आप अपनी कमाई नहीं कर सकोगे परन्तु दूसरों के लिये बहुत बिजी हो जाओगे।

अभी अपनी कमाई का बहुत थोड़ा समय है।

फिर दूसरों की सर्विस करने में अपनी कमाई होगी।

अभी यह जो थोड़ा समय मिला है उसका पूरा-पूरा लाभ उठाओ।

नहीं तो फिर यह समय ही याद आयेगा इसलिए ही जैसे भी हो जहाँ पर भी होपरिस्थितियां नहीं बदलेंगी।

यह नहीं सोचना कि मुसीबतें हल्की होंगी फिर कमाई करेंगेयह तो दिन प्रति दिन और विशाल रूप धारण करेंगी"

 

 

 

...on this topic study completed upto Dec1969 - BK Naresh, Madhuban (Gyan Sarovar)