03.09.2019
अभी तो देखो थोड़ी बात में ही
क्या कर देते हैं।
क्रोधी बहुत होते हैं,
देह-अभिमान है ना।
09.09.2019
बाप मीठे-मीठे बच्चों को
समझाते हैं
कोई भी कायदा न तोड़े।
नहीं तो उन्हें 5 भूत पकड़ लेंगे।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार
यह 5 बड़े-बड़े भूत हैं,
आधाकल्प के।
तुम यहाँ भूतों को भगाने आये हो।
फूलों के बगीचे में
चलने के लिए
अन्दर जो काम-क्रोध के कांटे हैं,
उन्हें निकाल देना है।
12.09.2019
तो सन्यासियों से भी
तुम पूछ सकते हो कि
यह जो महावाक्य वा
भगवानुवाच है कि
देह सहित देह के सब धर्म
छोड़ मामेकम् याद करो
क्या यह कृष्ण कहते हैं
मामेकम् याद करो?
तुम कृष्ण को याद करते हो क्या?
कभी नहीं हाँ कहेंगे।
वहाँ ही प्रसिद्ध हो जाए।
परन्तु बिचारी अबलायें जाती हैं,
वह क्या जानें।
वह अपने फालोआर्स के आगे
क्रोधित हो जाते हैं।
दुर्वाषा का नाम भी है ना।
उनमें अहंकार बहुत रहता है।
19.09.2019
काम का भूत,
क्रोध का भूत,
लोभ का भूत
यह सब कड़े भूत हैं...
इनमें मुख्य है देह-अभिमान का भूत।
रावण का राज्य है ना।
यह रावण है भारत का
आधाकल्प का दुश्मन,
जब मनुष्य में
5 विकार प्रवेश करते हैं।
इन देवताओं में यह भूत नहीं थे।
22.09.2019 | av30.01.1985
तो अभी अपने को देखो
5 ही विकार दुश्मन से बदल
सेवाधारी बने हैं?
तब ही
स्वराज्य अधिकारी कहलायेंगे।
क्रोध अग्नि
योग अग्नि में बदल जाए।
30.09.2019
श्रीमत पर चलने से ही
सुधरते हैं।
क्रोध पर भी
पुरुषार्थ करते-करते
जीत पाते हैं।
तो बाप भी समझाते हैं,
खराबियों को निकालते रहो।
क्रोध भी बड़ा खराब है।
अपने अन्दर को भी
जलाते हैं,
दूसरे को भी जलाते हैं।
वह भी निकलना चाहिए।
देह-अभिमान में आकर
अन्दर में बड़ा जलते हैं।
क्रोध में मनुष्य
ताम्बे जैसा लाल
हो जाते हैं।
क्रोध मनुष्य को जलाता है,
काम काला बना देता है।
मोह अथवा लोभ में
इतना जलते नहीं हैं।
क्रोध में जलते हैं।
क्रोध का भूत बहुतों में है।
कितना लड़ते हैं।
लड़ने से अपना ही
नुकसान कर लेते हैं।
निराकार साकार दोनों की
अवज्ञा करते हैं।
बाप समझते हैं यह तो कपूत हैं।
क्रोध बहुत खराब है,
यह स्वयं को जलाता है,
क्रोध के वश होकर
अवज्ञा नहीं करनी है।
आत्मा ही पतित बनी है।
फिर आत्मा को
पावन बन घर जाना है।
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