1.00 | में...

पुरानी दुनिया में है हाहाकार, नई दुनिया में है जयजयकार

 

ईश्वरीय नियम है - पूरा बेगर बनो, जो कुछ भी है उसे भूल जाओ। तो गरीब बच्चे सहज ही भूल जाते हैं परन्तु साहूकार जो अपने को स्वर्ग में समझते हैं उनकी बुद्धि में कुछ भूलता नहीं इसलिए जिनको धन, दौलत, मित्र, सम्बन्धी याद रहते वह सच्चे योगी बन ही नहीं सकते हैं। उन्हें स्वर्ग में ऊंच पद नहीं मिल सकता।

 

जो सयाने समझदार बच्चे हैं, वह जानते हैं इस तन में बाप आये हुए हैं, जिसका नाम भी है शिवबाबा।

 

शिवबाबा। क्यों आये हैं? हाहाकार को मिटाकर जयजयकार कराने। मृत्युलोक में कितने झगड़े आदि हैं।

 

सबको हिसाब-किताब चुक्तू कर जाना है। अमरलोक में झगड़े की बात नहीं। विलायत आदि में भी देखो हाहाकार है। सारी दुनिया में खिटपिट बहुत है। इसको कहा जाता है पुरानी तमोप्रधान दुनिया।

 

अगर बच्चों में भी लड़ाई-झगड़ा होता रहेगा तो बाप के मददगार कैसे बनेंगे।

 

पतित पुरानी दुनिया में झगड़े ही झगड़े हैं। इस दुनिया में कितना दु:ख और अशान्ति है, इसलिए चाहते हैं विश्व में शान्ति हो। अब सारे विश्व में शान्ति कोई मनुष्य कैसे कर सकेंगे।

 

बेहद के बाप को ठिक्कर-भित्तर में लगा दिया है। यह भी खेल है।

 

भारत में यह लक्ष्मी-नारायण राज्य करते थे। स्वर्ग को ही कहा जाता है वन्डर ऑफ वर्ल्ड। त्रेता को भी नहीं कहेंगे। ऐसे स्वर्ग में आने का बच्चों को पुरूषार्थ करना चाहिए।

 

बच्चे चाहते भी हैं हम स्वर्ग में आयें, लक्ष्मी वा नारायण बनें। अभी इस पुरानी दुनिया में बहुत हाहाकार होनी है।

 

यह भी तुम अभी जानते हो कि हमने भक्ति में कितने धक्के खाये, पैसे बरबाद किये।

 

पुरानी दुनिया का सब-कुछ मिट्टी में मिल जाना है।

 

अभी तो पद्मपति बहुत हैं। वह आयेंगे परन्तु गरीब बनेंगे। वह अपने को स्वर्ग में समझते हैं, वह बुद्धि से निकल नहीं सकता।

 

अमेरिका आदि में विनाश की सामग्री में देखो कितना धन लगाते हैं।

 

तुम्हारे में भी समझाने वाले सब नम्बरवार हैं। जैसे बाबा ने किया, बाबा को फालो करना चाहिए। पुरानी दुनिया में यह पाई पैसे क्या करेंगे। आजकल काग़ज के नोट निकाले हैं। वहाँ तो सिक्के (मुहरें) होंगे। सिक्कों का वहाँ क्या मूल्य है। जैसेकि सब कुछ मुफ्त में है, सतोप्रधान धरनी है ना।

 

तुम सूक्ष्मवतन में जाते हो तो शूबीरस आदि पीते हो। परन्तु वहाँ झाड़ आदि तो हैं नहीं। न मूलवतन में हैं। जब तुम बैकुण्ठ में जाते हो तब वहाँ तुमको सब कुछ मिलता है। बुद्धि से काम लो, सूक्ष्मवतन में झाड़ होंगे नहीं। झाड़ तो धरनी पर होते हैं, न कि आकाश में।

 

जैसे यह स्टॉर ठहरे हुए हैं आकाश में, वैसे तुम बहुत छोटी-छोटी आत्मायें ठहरी हुई हो। स्टॉर्स देखने में बड़े आते हैं। ऐसे नहीं कि ब्रह्म तत्व में कोई बड़ी-बड़ी आत्मायें होंगी। आत्मायें भी ऊपर में ठहरती हैं। छोटी बिन्दी हैं।

 

पिछाड़ी में भी तुम साक्षात्कार करेंगे परन्तु करेंगे वही जो योगयुक्त होंगे। कहानी है दो बिल्ले लड़े मक्खन..... कहा भी जाता है सेकण्ड में विश्व की बादशाही। बच्चियां साक्षात्कार करती हैं। कहती हैं श्रीकृष्ण के मुख में माखन है। वास्तव में श्रीकृष्ण के मुख में नई दुनिया देखते हैं।

 

यहाँ तो जेवर आदि पहनने के लिए नाक कान आदि छेदते हैं, सतयुग में नाक-कान छेद करने की जरूरत नहीं।

 

भक्त लोग इन बातों को नहीं जानते हैं। तुम्हारे में भी खुश रहे और इन बातों का सिमरण करते रहें - ऐसे बच्चे बहुत थोड़े हैं।

 

जो गायन है द्रोपदी का, वह सब प्रैक्टिकल में हो रहा है। ऐसे नहीं, फीमेल सदैव फीमेल ही बनती है। दो बारी फीमेल बन सकती है, जास्ती नहीं।

 

सतयुग-त्रेता में भक्ति होती नहीं। सतयुग में वजीर रखने की जरूरत नहीं। अब बाप तुमको अक्लमंद बनाते हैं।

 

शिव-जयन्ती बाप की मनाते हैं। जरूर शिवबाबा भारत में आकर विश्व का मालिक बनाकर गये हैं।

 

बाप कहते हैं मन्मनाभव। वास्तव में यह पढ़ाई इशारे की है।

 

संगठन में रहते, सबके स्नेही बनते बुद्धि का सहारा एक बाप को बनाने वाले कर्मयोगी भव

 

कोई कोई बच्चे संगठन में स्नेही बनने के बजाए न्यारे बन जाते हैं।

 

21 जन्म परिवार में रहना है, अगर डरकर किनारा करेंगे तो यह भी कर्म-संन्यासी के संस्कार हुए।

 

संगठन में रहो, सबके स्नेही बनो लेकिन बुद्धि का सहारा एक बाप हो, दूसरा न कोई।

 

2.00 | गरीब...

साहूकार इस ज्ञान को लेंगे नहीं।

बाप है गरीब निवाज़। गरीब वहाँ साहूकार बनते हैं।

साहूकार वहाँ गरीब बनते हैं। अभी तो पद्मपति बहुत हैं। वह आयेंगे परन्तु गरीब बनेंगे। वह अपने को स्वर्ग में समझते हैं, वह बुद्धि से निकल नहीं सकता। यहाँ तो बाप कहते हैं सब कुछ भूल जाओ। खाली बेगर बन जाओ।

 

3.00 | बाप...

मीठे बच्चे - बाप आये हैं सारी दुनिया का हाहाकार मिटाकर, जयजयकार करने

निश्चयबुद्धि बच्चे तो अच्छी रीति जानते हैं, उन्हों को पक्का निश्चय है कि बाप आया है सारी दुनिया का झगड़ा मिटाने।

जो सयाने समझदार बच्चे हैं, वह जानते हैं इस तन में बाप आये हुए हैं, जिसका नाम भी है शिवबाबा।

इसको कहा जाता है पुरानी तमोप्रधान दुनिया। किचड़ा ही किचड़ा है। जंगल ही जंगल है। बेहद का बाप यह सब-कुछ मिटाने के लिए आये हैं।

अगर बच्चों में भी लड़ाई-झगड़ा होता रहेगा तो बाप के मददगार कैसे बनेंगे।

पतित पुरानी दुनिया में झगड़े ही झगड़े हैं। इन सबको मिटाने, जयजयकार कराने बाप आते हैं। बेहद के बाप को ठिक्कर-भित्तर में लगा दिया है। यह भी खेल है।

तो बाप बच्चों को समझाते हैं, अब खड़े हो जाओ। बाप के मददगार बनो। बाप से अपना राज्य-भाग्य लेना है। कम नहीं, अथाह सुख है।

बाप कहते हैं - मीठे बच्चे, ड्रामा अनुसार तुमको बेहद का बाप पद्मापद्म भाग्यशाली बनाने आया है।

बाप कितना अच्छी रीति समझाते हैं। तुमको विश्व का मालिक बनाया फिर तुमने क्या किया?

बाप तो ड्रामा को जानते हैं। बाप कहते हैं अभी थोड़ा समय है, पुरूषार्थ कर भविष्य के लिए जमा करो, पुरानी दुनिया का सब-कुछ मिट्टी में मिल जाना है।

बाप है गरीब निवाज़। यहाँ तो बाप कहते हैं सब कुछ भूल जाओ। खाली बेगर बन जाओ।

बाप आते ही हैं विनाश और स्थापना कराने।

सच्चे योगी ही अन्त तक रहेंगे, जिन्हों को बाप देख खुश होंगे।

यह बच्चियां भी जानती हैं और बापदादा भी जानते हैं कि माया बड़ी जबरदस्त है। यह है माया से गुप्त लड़ाई।

बाप की श्रीमत है - बच्चे हियर नो ईविल, सी नो ईविल.... उन्होंने बन्दरों का एक चित्र बनाया है।

अभी तुम्हारी आत्मा को बहुत खुशी है कि हमको बेहद का बाप पढ़ाकर नर से नारायण अथवा अमरपुरी का मालिक बनाते हैं

बाप ने समझाया है - तुम सब द्रोपदियां हो।

तुमको नॉलेज भी देते हैं। बाप को नॉलेजफुल भी कहा जाता है। बाप कहते हैं यह सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज मेरे बिगर कोई दे न सके। ज्ञान सागर एक ही बाप है।

सतयुग में वजीर रखने की जरूरत नहीं। अब बाप तुमको अक्लमंद बनाते हैं।

बेहद की बादशाही बाप से मिलती है। शिव-जयन्ती बाप की मनाते हैं। बाप कहते हैं मन्मनाभव।

बुद्धि का सहारा एक बाप हो, दूसरा न कोई।

बापदादा के राइट हैण्ड बनो, लेफ्ट हैण्ड नहीं।

 

4.00 | चाहिए...

जैसे बाबा ने किया, बाबा को फालो करना चाहिए

स्वर्ग को ही कहा जाता है वन्डर ऑफ वर्ल्ड। त्रेता को भी नहीं कहेंगे। ऐसे स्वर्ग में आने का बच्चों को पुरूषार्थ करना चाहिए

 

5.00 | स्वर्ग...

भारत स्वर्ग था। स्वर्ग को ही कहा जाता है वन्डर ऑफ वर्ल्ड। त्रेता को भी नहीं कहेंगे। ऐसे स्वर्ग में आने का बच्चों को पुरूषार्थ करना चाहिए। पहले-पहले आना है।

बच्चे चाहते भी हैं हम स्वर्ग में आयें, लक्ष्मी वा नारायण बनें।

अभी तो पद्मपति बहुत हैं। वह आयेंगे परन्तु गरीब बनेंगे। वह अपने को स्वर्ग में समझते हैं, वह बुद्धि से निकल नहीं सकता।

स्वर्ग को कहा जाता है शिवालय।

 

6.00 | भक्ति...

तुम अभी जानते हो कि हमने भक्ति में कितने धक्के खाये, पैसे बरबाद किये।

वहाँ है भक्ति की प्रालब्ध। सतयुग-त्रेता में भक्ति होती नहीं।

 

7.00 | राज्य...

बाबा पूछते हैं - तुमको इतने पैसे दिये, राज्य भाग्य दिया, सब कहाँ गया?

बाप से अपना राज्य-भाग्य लेना है। कम नहीं, अथाह सुख है।

भारत में यह लक्ष्मी-नारायण राज्य करते थे। भारत स्वर्ग था।

 

8.00 | नदियां...

अभी इस पुरानी दुनिया में बहुत हाहाकार होनी है। रक्त की नदियां बहनी हैं, रक्त की नदियों के बाद होती हैं घी की नदियां

सतयुग की भी एक महिमा है कि वहाँ घी, दूध की नदियां हैं। ऐसी कोई बात नहीं है।

हर 5 हज़ार वर्ष के बाद तुम विश्व के मालिक बनते हो।

वहाँ कभी बेकायदे बरसात नहीं पड़ती,नदियां उछल नहीं खाती।

 

9.00 | शिवबाबा...

इस तन में बाप आये हुए हैं, जिसका नाम भी है शिवबाबा। क्यों आये हैं? हाहाकार को मिटाकर जयजयकार कराने।

शिवलिंग पर भी दूध चढ़ाते हैं।

स्वर्ग को कहा जाता है शिवालय। वेश्यालय है रावण की स्थापना, शिवालय है शिवबाबा की स्थापना।

शिव-जयन्ती बाप की मनाते हैं। जरूर शिवबाबा भारत में आकर विश्व का मालिक बनाकर गये हैं। लाखों वर्ष की बात नहीं है। कल की तो बात है।

 

10.00 | पढ़ाई...

पढ़ाई से ही राजधानी स्थापन हो रही है।

बाप कहते हैं मन्मनाभव। वास्तव में यह पढ़ाई इशारे की है।

 

11.00 | विश्व...

हर एक जानते हैं इस दुनिया में कितना दु:ख और अशान्ति है, इसलिए चाहते हैं विश्व में शान्ति हो। अब सारे विश्व में शान्ति कोई मनुष्य कैसे कर सकेंगे।

हर 5 हज़ार वर्ष के बाद तुम विश्व के मालिक बनते हो।

बाबा पूछते हैं - तुमको इतने पैसे दिये, राज्य भाग्य दिया, सब कहाँ गया? तुमको विश्व का मालिक बनाया फिर तुमने क्या किया?

बाहुबल से कोई विश्व की बादशाही ले न सके।

कहानी है दो बिल्ले लड़े मक्खन..... कहा भी जाता है सेकण्ड में विश्व की बादशाही।

योगबल से तुम विश्व की बादशाही रूपी माखन लेते हो।

शिवबाबा भारत में आकर विश्व का मालिक बनाकर गये हैं।