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"...भगवान् बच्चों को कहते हैं

वन्दे मातरम्

कितना फर्क हो गया।

इतना नशा रहता है?

जिस बाप की अनेक भक्त वन्दना करते हैं,

वह स्वयं आकर कहते हैं वन्दे मातरम्

इस खुमारी की निशानी क्या होगी?

उनके नयन,

उनके मुखड़े,

उनकी चलन,

बोल आदि से खुशी झलकती रहेगी।

जिस खुशी को देख कईयों के दुःख मिट जायेंगे।

ऐसी मातायें जिनको बापदादा स्वयं वन्दना करते हैं,

उनकी निशानी है खुशी।

चेहरा ही अनेक आत्माओं को हर्षायेगा।

अज्ञानी लोग सवेरे उठ कोई ऐसी शक्ल देखते हैं तो कहते हैं ...

सवेरे उनकी शक्ल देखी तब यह प्रभाव पड़ा

तो शक्ल का प्रभाव पड़ता है।

तो आप बच्चों का हर्षित चेहरा देख सभी के अन्दर हर्ष आ जायेगा।..."

 

Ref:- Avyakt Vani, 5th March. 1970