The Human Body - |Click for your general knowledge|

हमारा शरीर is our instrument on this कर्मक्षेत्र

Beloved Baba explained about OUR BODY in last two weeks 20Jan. to 1st Feb. 2020

01.02.2020 - 8 Times

01 - "...मीठे बच्चे - इस शरीर रूपी कपड़े को यहाँ ही छोड़ना है,

इसलिए इससे ममत्व मिटा दो,

कोई भी मित्र-सम्बन्धी याद न आये''

 

02 - "...समझो आज किसी ने शरीर छोड़ा तो दु:ख नहीं हो सकता,

क्योंकि जानते हैं इनका ड्रामा में इतना ही पार्ट था।..."

 

 

03 - "...आत्मा एक शरीर छोड़ जाए दूसरा शरीर लेगी। ..."

 

04 - "...बाप से कहते हैं-हे परमपिता परमात्मा आकर हमको ले जाओ।

इतने सब शरीरों का विनाश कराए सब आत्माओं को साथ में ले जाना, यह तो बहुत भारी काम हुआ।..."

 

05 - "...बाप तो इतनी सारी ढेर आत्माओं को ले जायेंगे।

सबके शरीर यहाँ छूट जायेंगे।

बच्चे जानते हैं महाभारत लड़ाई लगती है तो मच्छरों सदृश्य जाते रहते हैं। ..."

 

06 - "...पिछाड़ी में ही कर्मातीत अवस्था को पा लेते हैं।

शरीर से भी भान टूट जाता है। ..."

 

07 - "...समझो कोई ने शरीर छोड़ा, जाकर दूसरा पार्ट बजायेंगे।

हर एक आत्मा को अविनाशी पार्ट मिला हुआ है, इसमें कुछ भी ख्याल होने की दरकार नहीं।

उनको दूसरा पार्ट जाए बजाना है।..."

31.01.2020 - 6 Times

01 - "...नम्बरवार तो होते हैं ना।

पढ़ाई के आधार से सब मालूम पड़ जाता है।

बाबा झट बता सकते हैं इस हालत में तुम्हारा कल शरीर छूट जाये तो क्या बनेंगे?..."

 

02 - "...अगर कोई शरीर छोड़ेंगे फिर तो पढ़ नहीं सकेंगे,

हाँ थोड़ा सिर्फ बुद्धि में आयेगा।..."

 

03 - "...बाप को भी अपना शरीर तो है नहीं।

यह बातें अभी तुम जानते हो।..."

 

30.01.2020 - 15 Times


01 - "...इस सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल में आपकी यह जीवन बहुत अमूल्य है,

इसलिए शरीर की सम्भाल जरूर करनी है।

ऐसे नहीं यह तो मिट्टी का पुतला है, कहाँ यह खलास हो जाये! नहीं।

इनको जीते रखना है।

02 - कोई बीमार होते हैं तो उनसे तंग नहीं होना चाहिए।

03 - बाप का फरमान है, अपने को आत्मा समझ भाई-भाई देखो।

इस शरीर को भूल जाओ।

बाबा भी शरीर को नहीं देखते हैं।

बाप कहते हैं मैं आत्माओं को देखता हूँ।

बाकी यह तो ज्ञान है कि आत्मा शरीर बिगर बोल नहीं सकती।

04 - मैं भी इस शरीर में आया हूँ, लोन लिया हुआ है।

शरीर साथ ही आत्मा पढ़ सकती है।

बाबा की बैठक यहाँ (भ्रकुटी में) है।

यह है अकाल तख्त।

आत्मा अकालमूर्त है।

05 - आत्मा कब छोटी बड़ी नहीं होती है।

शरीर छोटा बड़ा होता है।

06 - जो भी आत्मायें हैं उन सभी का तख्त यह भृकुटी है।

शरीर तो सभी के भिन्न-भिन्न होते हैं।

07 - तुम नंगे आये थे फिर यहाँ शरीर धारण कर तुमने 84 जन्म पार्ट बजाया है।

अब फिर वापिस चलना है इसलिए अपने को आत्मा समझ भाई-भाई की दृष्टि से देखना है।

यह मेहनत करनी है।

08 - तुम आत्मा से बात करते हो तो आत्मा को ही देखना है।

भल शरीर द्वारा ज्ञान देते हो परन्तु इसमें शरीर का भान तोड़ना होता है।

09 - आत्मा में ही ज्ञान है।

आत्मा को ही ज्ञान देना है।

यह जैसे जौहर है।

तुम्हारे ज्ञान में यह जौहर भर जायेगा।

तो किसको भी समझाने से झट तीर लग जायेगा।

बाप कहते हैं प्रैक्टिस करके देखो, तीर लगता है ना।

यह नई टेव डालनी है तो फिर शरीर का भान निकल जायेगा।

10 - इस समय तुम्हारा जीवन अमूल्य है इसलिए इस शरीर की भी सम्भाल करनी है।

11 - तमोप्रधान होने कारण शरीर की आयु भी कम होती गई है।

अब तुम जितना योग में रहेंगे, उतना आयु बढ़ेगी।

इसलिए शरीर की भी सम्भाल करनी है।..."

 

29.01.2020 - 2 Times


01 - "...दुनिया में यह कोई नहीं जानते कि परमपिता परमात्मा इनके शरीर में बैठ ज्ञान सुनाते हैं।..."

02 - "...बाप कहते हैं-बच्चे, देह सहित देह के सब धर्म त्याग, अपने को अशरीरी आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो।..."

 

28.01.2020 - 2 Times

01 - "...यह योगबल बहुत नामीग्रामी है, जो बाप ही सिखला सकते हैं।

इसमें शरीर से कुछ भी करने की दरकार नहीं।..."

02 - "...बाप युक्ति भी बताते हैं कि तुम आत्मा भाई-भाई हो फिर शरीर में आते हो तो भाई-बहिन हो।..."

25.01.2020 - 1 Times

01 - "...पतित को अपने विकर्मों का दण्ड जरूर भोगना पड़ता है।

पिछाड़ी का कोई जन्म देकर ही सजा देंगे।

मनुष्य तन में ही सजा खायेंगे इसलिए शरीर जरूर धारण करना पड़ता है।

आत्मा फील करती है, हम सजा भोग रहे हैं।..."


24.01.2020 - 14 Times


01 - “मीठे बच्चे - तुम अशरीरी बन जब बाप को याद करते हो तो...

तुम्हारे लिए यह दुनिया ही खत्म हो जाती है, देह और दुनिया भूली हुई है''

02 - आत्मा जब शरीर से न्यारी हो जाती है तो दुनिया से सारा संबंध टूट जाता है।

03 - गीत भी कहता है अपने को आत्मा समझ अशरीरी बन बाप को याद करो तो यह दुनिया खत्म हो जाती है।

04 - यह शरीर इस पृथ्वी पर है, आत्मा इनसे निकल जाती है तो फिर उस समय उनके लिए मनुष्य सृष्टि है नहीं।

आत्मा नंगी बन जाती है।

फिर जब शरीर में आती है तो पार्ट शुरू होता है।

फिर एक शरीर छोड़ दूसरे में जाकर प्रवेश करती है।

वापिस महतत्व में नहीं जाना है।

उड़कर दूसरे शरीर में जाती है।

यहाँ इस आकाश तत्व में ही उनको पार्ट बजाना है।

मूलवतन में नहीं जाना है।

05 - जब शरीर छोड़ते हैं तो न यह कर्मबन्धन, न वह कर्मबन्धन रहता है।

शरीर से ही अलग हो जाते हैं ना।

फिर दूसरा शरीर लेते तो वह कर्मबन्धन शुरू होता है।

यह बातें सिवाए तुम्हारे और कोई मनुष्य नहीं जानते।

बाप ने समझाया है सब बिल्कुल ही बेसमझ हैं।

06 - उनको ही ज्ञान का सागर कहा जाता है।

वह ज्ञान का सागर इस शरीर द्वारा वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी समझाते हैं।

07 - पतित-पावन आयेगा तो जरूर शरीर खत्म होंगे ना, तब तो आत्माओं को ले जायेंगे।
08 - बाप कहते हैं मैं आकर इस शरीर का आधार लेता हूँ।

यह इनका शरीर है ना।

तुमको याद बाप को करना है।

 

23.01.2020 - 1 Time


01 - "...बेहद का बाप आते ही हैं बेहद के सुख का वर्सा देने।

उनको अपना शरीर तो है नहीं तो वर्सा कैसे देते हैं?

खुद कहते हैं कि मैं इस ब्रह्मा तन से पढ़ाकर, राजयोग सिखलाए यह पद प्राप्त कराता हूँ।..."


22.01.2020 - 2 Times


01 - "...आत्मा पवित्र होने से शरीर भी पवित्र मिलेगा।..."

02 - "...यहाँ आत्मा अपवित्र है तो शरीर और दुनिया भी इमप्योर है।..."

 

21.01.2020 - 1 Time


01 - "...बाबा तो इन लक्ष्मी-नारायण के चित्र को देख खुश होते हैं।

बच्चों को भी ऐसे समझना चाहिए, बाकी कितना समय इस पुराने शरीर में होंगे फिर जाकर प्रिन्स बनेंगे।..."

 

Click for Today's Murli