Sakar Murli - 16.05.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

यह भी जानते हो हम आधाकल्प से परमात्मा को याद करते आये हैं।

इसमें जब जास्ती दु:ख होता है तब जास्ती याद करते हैं, अभी कितना दु:ख है।

02 आत्मा ही याद करती हैं कि बाप आये।
03 श्रीमत पर चलते बाप को याद करते रहेंगे तो ऊंच पद पायेंगे।

यह ख्याल रखना है।

याद करेंगे तो विकर्म विनाश होंगे।

04

तो यहाँ तुमको याद की यात्रा में रहने का चांस अच्छा है।

वहाँ तो घर-घाट आदि याद आता रहेगा।

यहाँ तो कुछ है नहीं।

रात को दो बजे उठ-कर यहाँ बैठ जाओ।

सेन्टर्स पर तो रात को तुम जा नहीं सकते।

यहाँ तो सहज है।

शिवबाबा की याद में आकर बैठो, और कोई याद न आये।

यहाँ तुमको मदद भी मिलेगी। सवेरे (जल्दी) सो जाओ फिर सवेरे उठो।

3 से 5 बजे तक आकर बैठो।

बाबा भी आ जायेंगे, बच्चे खुश होंगे।

बाबा है योग सिखलाने वाला।

   
Sakar Murli - 13.05.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 मीठे बच्चे - अमृतवेले अपने दूसरे सब संकल्पों को लॉकप (बंद) कर एक बाप को प्यार से याद करो, बाप से मीठी-मीठी रूहरिहान करो
02 बाप ने कहा है हमको याद करो, अन्तर्मुखी हो बाप को ही याद करना है, तो बाप प्रतिज्ञा करते हैं तुम्हारे पाप भस्म हो जायेंगे। यह है योग अग्नि, जिससे तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे फिर तुम वापिस चले जायेंगे।
03 बाप सिर्फ कहते हैं मामेकम् याद करो। इसको कहा जाता है - वशीकरण मंत्र, अर्थ सहित याद करने से ही खुशी होगी।
04 बाप कहते हैं अव्यभिचारी याद चाहिए।
05 शिवबाबा से ऊंच कोई है नहीं। याद भी सब उसको करते हैं।
06 शिवबाबा को याद करते रहो। वह भी बिन्दी है, हम आत्मा भी बिन्दी हैं, यहाँ पार्ट बजाने आये हैं, अब पार्ट पूरा हुआ है। अब बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
07 यह पक्का याद कर लो, भूलो नहीं। बाप को जितना याद करेंगे उतना विकर्म विनाश होंगे।
08

जितना-जितना बाप की याद में रहेंगे, याद के बल से पाप मिट जायेंगे। जितना बाप की याद में रहेंगे उतना खुशी का पारा चढ़ेगा।

मनुष्यों को यह पता नहीं है कि भगवान को क्यों याद किया जाता है! कहते भी हैं तुम मात-पिता. . . . अर्थ नहीं जानते। अभी तुम जानते हो, शिव के चित्र पर समझा सकते हो - यह ज्ञान का सागर, पतित-पावन है, उनको याद करना है।

09 बाप तुम्हारा टीचर भी है, गुरू भी है तो उनको याद करना चाहिए। सबसे प्रिय बाप, टीचर और गुरू ही होते हैं। उनको तो याद करना चाहिए।
   
Sakar Murli - 09.05.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

तुम पुरूषार्थ करते हो कि हम बाप को याद करके अपने पापों को भस्म करें।

तो इस याद में ही माया का विघ्न पड़ता है।

तुम उस्ताद को पहचान कर याद करो तो खुशी भी रहेगी, पुरूषार्थ भी करते रहेंगे और सर्विस भी खूब करेंगे।

माया-जीत भी बन जायेंगे।

02

बाबा तुमको युक्ति से पुण्य आत्मा बना रहे हैं।

बाप बतावे तब तो बच्चों को अनुभव हो और समझें कि हम बाप द्वारा बाप की याद से पवित्र पुण्य आत्मा बन रहे हैं।

योगबल से हमारे पाप भस्म हो रहे हैं।

03 खाद निकलती है, यह तो बच्चों को ही मालूम है और निश्चय है हम बाबा को याद करेंगे तो हमारे पाप भस्म होंगे।
04

बच्चों को खिलाओ, पिलाओ, स्नान कराओ, बुद्धि में बाप की याद हो क्योंकि जानते हो शरीर पर पापों का बोझ बहुत है इसलिए बुद्धि बाप की तरफ लगी रहे।

उस माशूक को बहुत-बहुत याद करना है।

माशूक बाप तुम सब आत्माओं को कहते हैं मुझे याद करो, यह पार्ट भी अब चल रहा है फिर 5 हज़ार वर्ष बाद चलेगा।

बाप कितनी सहज युक्ति बताते हैं। कोई तकलीफ नहीं।

कोई कहे हम तो यह कर नहीं सकते, हमको बहुत तकलीफ भासती है, याद की यात्रा बहुत मुश्किल है।

अरे, तुम बाबा को याद नहीं कर सकते हो!

बाप को थोड़ेही भूलना चाहिए।

बाप को तो अच्छी रीति याद करना है तब विकर्म विनाश होंगे और तुम एवर हेल्दी बनेंगे।

नहीं तो बनेंगे नहीं।

तुमको राय बहुत अच्छी एक टिक मिलती है।

एक टिक दवाई होती है ना।

हम गैरन्टी करते हैं इस योगबल से तुम 21 जन्मों के लिए कभी रोगी नहीं बनेंगे।

सिर्फ बाप को याद करो - कितनी सहज युक्ति है।

भक्तिमार्ग में याद करते थे अनजाने से।

05

बाप कहते हैं मुझे याद करो और राजाई को याद करो।

मन्मनाभव।

06 कहते हैं - मीठे-मीठे बच्चे, तुम मुझे याद करो और चक्र को याद करो।
07

कम भक्ति की होगी तो योग लगेगा नहीं।

शिवबाबा की याद बुद्धि में ठहरेगी नहीं।

08

देखो तुमको विश्व की बादशाही देता हूँ, सिर्फ तुम हमारे बनकर सर्विस करो।

भोलानाथ है तब तो उनको सब याद करते हैं।

   
Sakar Murli - 08.05.2020
01

उस तरफ है बाहुबल, इस तरफ योगबल अथवा याद का बल।

तुम याद अक्षर पक्का कर लो।

वो लोग योग-योग अक्षर कहते रहते हैं।

तुम्हारी है याद।

चलते-फिरते बाप को याद करते हो, इसको योग नहीं कहेंगे।

योग अक्षर संन्यासियों का नामीग्रामी है।

अनेक प्रकार के योग सिखाते हैं।

बाप कितना सहज बतलाते हैं - उठते-बैठते, चलते-फिरते बाप को याद करो।

तुम आधाकल्प के आशिक हो।

मुझे याद करते आये हो।

02 बाप को याद भी करते हैं, दु:ख हर्ता सुख कर्ता, फिर भी ईश्वर सर्वव्यापी कह देते हैं।
03

तुम बच्चों को बाप को याद करने की बहुत मेहनत करनी पड़ती है।

ज्ञान तो बहुत सहज है।

बाकी विनाश काले प्रीत बुद्धि और विप्रीत बुद्धि यह याद के लिए कहा जाता है।

याद अच्छी है तो प्रीत बुद्धि कहा जाता है।

प्रीत भी अव्यभिचारी चाहिए। अपने से पूछना है - हम बाबा को कितना याद करते हैं?

04

मेहनत है याद की। उसमें बहुत फेल होते हैं।

याद भी अव्यभिचारी चाहिए।

माया घड़ी-घड़ी भुला देती है।

05

अब बाप को याद करना है।

माया बहुत विघ्न डालती है।

Sakar Murli - 07.05.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 सच्ची दिल से, प्यार से एक बाप को याद करो।
02

तुम बच्चों को श्रीमत देता हूँ।

नम्बरवन मत देते हैं मुझे याद करो।

03

बाप एक ही दवाई देते हैं कि मुझे याद करो।

तुम्हारी आत्मा पतित से पावन बन जायेगी।

04 ऐसे बहुत हैं जो याद में बिल्कुल नहीं रहते, सुनते कुछ नहीं।
05

अपने अन्दर से पूछना चाहिए - हम कितना पुण्य आत्मा बने हैं?

कितना बाप को याद करते हैं?

06

तो बाप मुख्य बात समझाते हैं कि ऐसे अपने अन्दर जांच करो, मैं कितना बाप को याद करता हूँ।

बाबा, आप तो बड़े मीठे हो, कमाल है आपकी।

आपका फ़रमान है मुझे याद करो तो 21 जन्म के लिए कभी रोगी नहीं बनेंगे।

अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो मैं गैरन्टी करता हूँ, सम्मुख बाप तुमको कहते हैं तुम फिर औरों को सुनाते हो।

बाप कहते हैं मुझ बाप को याद करो, बहुत प्यार करो।

07

अच्छा फिर ऐसे पाप नहीं करो, मुझे याद करते रहो तो जन्म-जन्मान्तर के जो पाप हैं, वह इस याद से भस्म होते जायेंगे।

याद की ही मुख्य बात है।

इनको कहा जाता है सहज याद, योग अक्षर भी निकाल दो।

08

अन्दर जांच करनी चाहिए, सारे दिन में कितना पाप किया?

कितना याद किया?

याद से ही पाप भस्म होंगे।

कोशिश करनी चाहिए।

यह बहुत मेहनत का काम है।

   
Sakar Murli - 06.05.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 सब कहते भी हैं बाबा, पहले आत्मा को वह बाबा याद आता है, फिर यह बाबा।
02

बाप कहते याद से ही विकर्म विनाश होंगे।

बाप को याद करने से ही पाप कटते हैं फिर तुमको लाइट का ताज मिल जाता है।

03 अभी हमको बाप के पास जाना है, इसलिए घर को याद करना है।
04 तुम्हारी आत्मा जो पतित है उनको पावन जरूर बनाना है, उसके लिए सहज ते सहज तरीका है बेहद के बाप को याद करते रहो तो तुम यह बन जायेंगे।
05

बाकी मुक्तिधाम, जीवनमुक्तिधाम है और किसको भी हम याद नहीं करते सिवाए एक के।

सवेरे-सवेरे उठकर अभ्यास करना है कि हम अशरीरी आये, अशरीरी जाना है।

फिर कोई भी देहधारी को हम याद क्यों करें।

06

सवेरे उठकर बहुत प्रेम से बाप को याद करो - बाबा, आप 5 हज़ार वर्ष के बाद फिर मिले हो।

अब बाप कहते हैं मुझे याद करो तो पाप कट जायेंगे।

07 बाप को याद करने की आदत पड़ जायेगी तो खुशी में बैठे रहेंगे।
08 आत्मा अपने बाप को याद करती है।
09 बाप की याद से ही विकर्म विनाश होंगे क्योंकि आत्मा में ही खाद पड़ती है।
10

काम-काज करते बाप को याद करते रहो।

आत्मा अपने माशूक को आधाकल्प से याद करती आई है।

अब वह माशूक आया हुआ है।

कहते हैं तुम काम चिता पर बैठ काले बन गये हो।

अभी हम सुन्दर बनाने आये हैं।

उसके लिए यह योग अग्नि है।

ज्ञान को चिता नहीं कहेंगे।

योग की चिता है।

याद की चिता पर बैठने से विकर्म विनाश होंगे।

11

हम अपने को आत्मा समझ बाप को याद करते हैं?

रोज़ पोतामेल देखो।

12 रहम पड़ता है - बच्चे, हमको याद करें तो उनके पाप कट जायें।
   
Sakar Murli - 04.05.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

कई बच्चे सर्विस करते रहते हैं, दूसरों को ज्ञान सुनाते रहते हैं लेकिन बाप को याद नहीं करते। कहते हैं बाबा याद भूल जाती है।

तो बाबा उन्हें बेबी से भी बेबी कहता क्योंकि बच्चे कभी बाप को भूलते नहीं, तुम्हें जो बाप प्रिन्स-प्रिन्सेज़ बनाता, उसे तुम भूल क्यों जाते?

अगर भूलेंगे तो वर्सा कैसे मिलेगा।

तुम्हें हाथों से काम करते भी बाप को याद करना है।

02

बाप को याद करना है और भविष्य वर्से को याद करना है। इस याद करने में ही मेहनत है।

इस याद में रहेंगे तो फिर अन्त मती सो गति हो जायेगी।

03

तो बाप बच्चों को समझाते हैं ज्ञान तो बड़ा सहज है, परन्तु याद में मेहनत है।

04

कितने समाचार बाबा के पास आते हैं इसलिए फिर सुबह को बैठ याद करने की कोशिश करते हैं।

वर्सा तो उनसे ही पाना है।

तो बाप को याद करना है।

सब बच्चों को रोज़ समझाता हूँ।

मीठे बच्चों, तुम याद की यात्रा में बहुत कमजोर हो।

ज्ञान में तो भल अच्छे हो परन्तु हर एक अपने दिल से पूछे - मैं बाबा की याद में कितना रहता हूँ?

अच्छा, दिन में बहुत काम आदि में बिज़ी रहते हो, यूँ तो काम करते भी याद में रह सकते हो।

कहावत भी है हथ कार डे दिल यार डे.......

05

बहुत बच्चे लिखते हैं - हम बाबा की याद भूल जाते हैं।

अरे, बाप को तो बेबी भी नहीं भूलते तुम तो बेबी से भी बेबी हो।

06

बच्चों को बताना चाहिए हम बाप को कैसे याद करते हैं?

कब याद करते हैं?

फिर बाप राय देंगे।

07

काम थोड़ा हल्का हुआ, बाप को याद करते रहो।

घूमते-फिरते भी बाप की याद रहे।

बाबा टाइम भी देते हैं।

अच्छा, रात को 9 बजे सो जाओ फिर 2-3 बजे उठकर याद करो।

यहाँ आकर बैठ जाओ।

परन्तु यह भी बैठने की आदत बाबा नहीं डालते हैं, याद तो चलते-फिरते भी कर सकते हो।

यहाँ तो बच्चों को बहुत फुर्सत है।

आगे तुम एकान्त में पहाड़ों पर जाकर बैठते थे।

बाप को याद तो जरूर करना है।

नहीं तो विकर्म विनाश कैसे होंगे।

बाप को याद नहीं कर सकते हो तो जैसे बेबी से भी बेबी ठहरे ना।

सारा मदार याद पर है। पतित-पावन बाप को याद करने की मेहनत है।

08

सिवाए बाप की याद के और कोई उपाय नहीं।

बाबा को बता सकते हो, बाबा हमारा यह धन्धा होने के कारण अथवा यह कार्य होने कारण हम याद नहीं कर सकता हूँ।

बाबा फट से राय देंगे - ऐसे नहीं, ऐसे करो।

तुम्हारा सारा मदार याद पर है।

अच्छे-अच्छे बच्चे ज्ञान तो बहुत अच्छा देते हैं, किसको खुश कर देते हैं परन्तु योग है नहीं।

बाप को याद करना है।

यह समझते हुए भी फिर भूल जाते हैं, इसमें ही मेहनत है।

09

सुबह को उठकर ऐसे बाप की याद में बैठ जाओ।

फिर थक जाते हो। अच्छा, याद में लेट जाओ।

बाप युक्तियाँ बतलाते हैं।

चलते-फिरते याद नहीं कर सकते हो तो बाबा कहेंगे अच्छा रात को नेष्ठा में बैठो तो कुछ तुम्हारा जमा हो जाए।

10 रोटी खाते हो बाबा को याद करो।
11 पतित-पावन बाप सभी बच्चों को एक ही युक्ति बताते हैं - सिर्फ कहते हैं बाप को याद करो, चार्ट रखो तो तुमको बहुत खुशी होगी।
12

तुम आत्मा बाप को याद करते रहते हो।

भारत का प्राचीन योग मशहूर है।

योग किसके साथ?

यह भी लिखना है।

आत्मा का परमात्मा के साथ योग अर्थात् याद है।

13 बाप को याद ही नहीं करेंगे तो नर से नारायण कैसे बनेंगे।
14

तुम बच्चों की बुद्धि में है - अभी हमें यह पुराना शरीर छोड़ घर जाना है।

यह भी याद रहे तो पुरूषार्थ तीव्र हो जायेगा।

15

बच्चों को याद की यात्रा पर बहुत ध्यान देना है, जो अभी बहुत कम है, इसलिए बाबा बेबी कहते हैं।

बेबीपना दिखाते हैं। कहते हैं बाबा को याद नहीं कर सकता हूँ, तो बेबी कहेंगे ना।

तुम छोटे बेबी हो, बाप को भूल जाते हो?

मीठे ते मीठा बाप, टीचर, गुरू आधा कल्प का बिलवेड मोस्ट, उनको भूल जाते हो!

आधाकल्प दु:ख में तुम उनको याद करते आये हो, हे भगवान!

आत्मा शरीर द्वारा कहती है ना।

अब मैं आया हूँ, अच्छी रीति याद करो।

16

मुख्य है याद।

नॉलेज तो बहुत सहज है।

मुरली पढ़कर सुनाओ।

याद करते रहो।

याद करते-करते आत्मा पवित्र हो जायेगी।

पेट्रोल भरता जायेगा।

   
Sakar Murli - 30.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

आत्मा अविनाशी है, शरीर विनाशी है।

अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो।

देह-अभिमान छोड़ो।

02

देह-अभिमान आ जाता है।

शिवबाबा से भी मुँह फेर लेते हैं।

बाबा को याद करना ही छोड़ देते।

अरे, खाने की फुर्सत है और ऐसा बाबा जो विश्व का मालिक बनाते हैं उनको याद करने की फुर्सत नहीं।

अच्छे-अच्छे बच्चे शिवबाबा को भूल देह-अभिमान में आ जाते हैं।

नहीं तो ऐसा बाप जो जीय-दान देते हैं, उनको याद करके पत्र तो लिखें।

03

बाप के सिवाए और किसी को याद किया तो व्यभिचारी हुए ना।

बाप कहते हैं और कोई की मत सुनो, मेरे से ही सुनो।

मुझे याद करो।

देवताओं को याद करें तो भी बेहतर है, मनुष्य को याद करने से कोई फायदा नहीं।

04

तुम इस बाबा के पास भी जब आते हो तो शिवबाबा को याद करके आओ।

शिवबाबा को याद नहीं करते हो तो गोया पाप करते हो।

बाबा कहते - पहले तो पवित्र बनने की प्रतिज्ञा करो।

शिवबाबा को याद करो।

05

मुख्य है बाप को याद करना।

तुम बाप को याद नहीं कर सकते हो।

बाप की सर्विस, बाप की याद कितनी चाहिए।

   
Sakar Murli - 29.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 विज्ञान अर्थात् देही-अभिमानी बनना, याद की यात्रा में रहना और ज्ञान अर्थात् सृष्टि चक्र को जानना।
02 यह भी कहते रहते हैं कि बाप का फरमान है मामेकम् याद करो।
03

अब तो बाप की मत पर चलना है।

बाप कहते हैं मुझे याद करो।

04

तुमको हे शब्द नहीं कहना है।

बाप को याद करना है।

05

बाबा ने थोड़ेही कहा है - हे भगवान कहकर याद करो।

अन्तर्मुख हो मुझे याद करो

06

ऐसे बाप को याद करो जैसे लौकिक बच्चे देहधारी बाप को याद करते हैं।

खुद भी देह-अभिमान में हैं तो याद भी देहधारी बाप को करते हैं।

07 माला में आने के लिए याद की यात्रा चाहिए।
08

तुमको कोई बात का फिकर नहीं है।

फिकर रहता है सिर्फ बाप को याद करने का।

याद से ही पाप भस्म होंगे।

   
Sakar Murli - 28.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 मीठे बच्चे - अब यह नाटक पूरा होता है , तुम्हें वापिस घर जाना है , इसलिए इस दुनिया से ममत्व मिटा दो , घर को और नये राज्य को याद करो 
02

बच्चों को अपना घर और अपनी राजधानी याद है?

यहाँ जब बैठते हो तो बाहर के घरघाट, धन्धे-धोरी आदि के ख्यालात नहीं आने चाहिए।

बस अपना घर ही याद आना है।

03

सारा दिन ऐसे ज्ञान में रमण करना है।

एक घड़ी आधी घड़ी..... यह याद करो फिर उनको बढ़ाते जाओ।

04

याद की यात्रा में रहो, बाकी ज्ञान से ऊंच पद पाना है।

याद का अपना पूरा चार्ट रखो।

05 भगवान हमारा बाप, टीचर, सतगुरू है, उनसे ही बुद्धि का योग लगाया जाता है।
   
Sakar Murli - 27.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 अब बच्चों को बाप ने परिचय दिया है, परन्तु अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना, इसमें बहुत ही बुद्धि का काम है।
02 अपने को आत्मा समझ और बाप को याद करें तब कुछ बुद्धि में बैठे।
03

अब बाप आत्माओं को कहते हैं मामेकम् याद करो।

यह भी समझ से याद करना है।

04

हम भी इतनी छोटी बिन्दी हैं।

ऐसे समझ से याद करना है।

05 सर्विसएबुल बच्चों को ही बाबा याद करते हैं, पद भी वही पा सकेंगे।
   
Sakar Murli - 25.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

जो अन्तर्मुखी योगी बच्चे हैं वह ज्ञान की ज्यादा तिक-तिक नहीं करते, याद में रहकर सर्विस करते हैं।

 
02

बाप के महावाक्य हैं मुझे याद करो, मैं ही पतित-पावन हूँ।

मुझे याद करने से तुम पतित से पावन बन जायेंगे।

यह है मुख्य बात।

03

बाप को याद करते ही नहीं।

याद करना बड़ा कठिन है।

बाप को याद करना छोड़ अपनी ही तिक-तिक सुनाते रहते हैं।

04 मुख्य बात है एक बाप को याद करना।
05

बाबा खुद बतलाते हैं भोजन खाते समय याद में रहता हूँ, फिर भूल जाता हूँ।

स्नान करता हूँ तो भी बाबा को याद करता हूँ।

भल उनका बच्चा हूँ फिर भी याद भूल जाती है।

06

देखना चाहिए बाबा की याद में रहता हूँ।

बहुत मीठा माशुक है।

उनको जितना याद करेंगे तो हमारे विकर्म विनाश होंगे, हम सतोप्रधान बन जायेंगे।

अपने को देखें हम कितना समय याद में रहता हूँ।

बाबा को रिजल्ट बतानी चाहिए।

याद में रहने से ही कल्याण होगा।

07

बाप तो घड़ी-घड़ी समझाते हैं - दैवीगुण अच्छे रखो, बाप की याद में रहो।

याद बहुत जरूरी है।

याद से लॅव होगा तब ही श्रीमत पर चल सकेंगे।

08 बाबा कहते याद में जास्ती रहो तो बाप से लॅव होगा और खुशी में रहेंगे।
09

जो महारथी होंगे वह घड़ी-घड़ी इन बातों पर ध्यान देकर समझाते रहेंगे इसलिए बाबा कहते हैं पहले-पहले तो गांठ बांधो - बाप के याद की।

बाप कहते हैं मुझे याद करो।

आत्मा को अब घर जाना है।

देह के सब सम्बन्ध छोड़ देने हैं।

जितना हो सके बाप को याद करते रहो।

10 याद कम करते हैं तो परिचय भी कम देते हैं।
11

देह सहित सब कुछ छोड़ एक बाप को याद करना है।

याद से ही तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे।

12

बाबा जानते हैं बहुत हैं जिनको एक अक्षर भी धारण नहीं होता है।

यथार्थ रीति बाप को याद करते नहीं हैं।

13

ऐसे भी बहुत समझते हैं जो भाग्य में होगा।

पढ़ाई की एम ही नहीं है। तो बच्चों को याद का चार्ट रखना है।

14

योग में बहुत मेहनत है, ट्रायल करके देखना है कि कर्म में कितना समय बाप की याद रहती है!

याद में रहने से ही कल्याण है, मीठे माशूक को बहुत प्यार से याद करना है, याद का चार्ट रखना है।

   
Sakar Murli - 24.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

तुम सब भक्तियां हो।

भगवान को याद करते हो।

ब्राइड्स, ब्राइडग्रूम को याद करती हैं।

02 वह तो सिर्फ कहने मात्र कह देते हैं कि सभी आत्माओं का बाप एक है, उस एक को ही याद करते हैं।
03

भक्ति भी पहले-पहले अव्यभिचारी होती है।

एक शिवबाबा को ही याद करते हैं।

04

बाप कहते हैं इतनी बातें याद न कर सको, अच्छा अपने को बाप का बच्चा तो समझो।

अच्छे-अच्छे बच्चे भी भूल जाते हैं।

बाप को याद नहीं करते हैं।

05 अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना है।
06

तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने लिए बाप कहते हैं - मामेकम् याद करो।

कृष्ण तो कह न सके कि मामेकम् याद करो।

कृष्ण तो सतयुग में होता है।

बाप ही कहते हैं मुझे तुम पतित-पावन भी कहते हो तो अब मुझे याद करो, मैं यह युक्ति बताता हूँ, पावन बनने की।

   
Sakar Murli - 23.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

बाप आते ही हैं संगम पर।

सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो तो पाप भस्म हो जाएं।

02

मैं तो कहता हूँ मामेकम् याद करो। मैं तुम सभी आशिकों का माशुक हूँ।

सभी एक माशुक को याद करते हैं। रचना का क्रियेटर एक ही बाप है।

वह कहते हैं देही-अभिमानी बन मुझे याद करो तो इस योग अग्नि से विकर्म विनाश होंगे।

03

बाप तो कहते हैं याद में रहो, जिससे विकर्म विनाश हों।

ध्यान में जाने से बुद्धि में बाप की याद नहीं रहती है।

04

याद में बैठना है ना।

आंखें खोलने से डरना नहीं चाहिए।

आंखे खुली हों। बुद्धि में माशुक ही याद हो।

आंखे बन्द करके बैठना, यह कायदा नहीं।

बाप कहते हैं याद में बैठो।

05

आंख बन्द कर, कांध ऐसे नीचे कर बैठेंगे तो बाबा कैसे देखेंगे।

आंखे कभी बन्द नहीं करनी चाहिए। आंखे बन्द हो जाती है तो कुछ दाल में काला होगा, और कोई को याद करते होंगे।

बाप तो कहते हैं और कोई मित्र-सम्बन्धियों आदि को याद किया तो तुम सच्चे आशिक नहीं ठहरे।

06 मेहनत सारी याद में है।
07 याद की यात्रा भी जरूर चाहिए तब ही सतोप्रधान बनेंगे।
08

सच्चा-सच्चा आशिक बन एक माशुक को याद करना है।

याद में कभी आंखे बन्द कर कांध नीचे करके नहीं बैठना है।

   
Sakar Murli - 22.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

उल्टा खाता नहीं बनाना है ,

एक बाप की याद में रहना है

02

भक्ति मार्ग में भी जानते हैं कि हम आत्मा सूक्ष्म हैं।

परन्तु पूरा रहस्य बुद्धि में नहीं है कि आत्मा है क्या, परमात्मा को याद करते हैं परन्तु वह है क्या!

यह दुनिया नहीं जानती। तुम भी नहीं जानते थे।

03 पुरुषार्थ करते-करते अन्त में तुम एक बाबा की याद में सदैव हर्षित रहेंगे।
04

अभी तो सिर पर पापों का बोझा बहुत है।

वह याद से ही उतरेगा।

बाप ने पुरुषार्थ की युक्तियां बतलाई हैं।

याद से ही पाप कटते हैं।

05 बहुत बुद्धू हैं जो याद में न रहने कारण फिर नाम-रूप आदि में फँस पड़ते हैं।
06 समझना चाहिए यह माया का वार होता है इसलिए पुरुषार्थ कर बाप को याद करना है।
07

समझना चाहिए माया पादर (जूता) मारती है इसलिए पुरुषार्थ कर बाप को याद करना है।

बाप की याद से बहुत खुशी रहेगी।

08 पतित-पावन बाप कहते हैं कि मुझे याद करो।
09 गीता में कृष्ण का नाम डाल दिया है तो बाप को याद कैसे करें!
10 तुमको बाप समझाते हैं तुम देवता थे, अभी फिर बाप को याद करने से तुम देवता बन जायेंगे।
11 बाबा को लिखते हैं आज हमारी अवस्था मुरझाई हुई है, बाप को याद नहीं किया। याद नहीं करेंगे तो जरूर मुरझायेंगे।
12 तुम बाप के बने हो तो बाप का फरमान है - मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जाएं।
13 जब तक बाप की याद में रह कर्मातीत अवस्था को पायें, तब तक माया हिलाती रहेगी, किसको भी छोड़ेगी नहीं।
14 बाप को याद करने की ऐसी प्रैक्टिस हो जाए जो पिछाड़ी में सिवाए बाप के और कोई याद न पड़े, तब ही तुम राजाई पद पायेंगे।
15 बाप और नारायण (वर्सा) ही याद करना है।
16

यह शरीर तो पलीत है, उनको तुम याद क्यों करते हो।

बाप कहते हैं मुझे याद करो तो सदैव खुशी रहे।

17

ऐसे बहुत थोड़े हैं, पुरुषार्थ कराते रहते हैं कि बाप की याद न भूलो।

बाप फरमान करते हैं मुझे याद करो, चार्ट रखो।

परन्तु माया चार्ट भी रखने नहीं देती है।

ऐसे मीठे बाप को तो कितना याद करना चाहिए।

यह तो पतियों का पति, बापों का बाप है ना।

बाप को याद कर और फिर दूसरों को भी आपसमान बनाने का पुरुषार्थ करना है

18

भक्ति मार्ग में भी चित्रों के आगे याद में बैठते हैं ना।

तुमको तो सिर्फ आत्मा समझ परमात्मा बाप को याद करना है।

विचित्र बन विचित्र बाप को याद करना है।

19 तुम बाप को याद करते रहो।
20 याद ही मुख्य है, रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान मिला, बाकी और क्या चाहिए।
21 सद्गति को तब पायें जब बाप को याद करें।
22 बहुत मुश्किल कोई घण्टा, आधा घण्टा याद करते होंगे।
23

याद से कमाई होगी, खुशी भी रहेगी।

याद में बैठना जरूरी है।

दिन में तो फुर्सत नहीं मिलती है इसलिए रात को समय निकालना चाहिए।

याद से बहुत खुशी रहेगी।

24 सिर्फ गवर्मेन्ट को जाए समझाओ कि विनाश सामने खड़ा है, बाप कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।
25

हम पवित्र बनते हैं।

परन्तु कहेंगे वह जिनको ज्ञान की मस्ती होगी।

ऐसे नहीं कि यहाँ आकर फिर देहधारी को याद करते रहें।

26

गुल-गुल तब बनेंगे जब बाप को याद करेंगे।

मूल बात है यह।

एक-दो को देखते बाप को याद करना है।

27 कर्मयोगी बनकर रहना है, याद में बैठना जरूर है।
   
  Sakar Murli - 21.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 ईश्वर तुमको राजयोग सिखला रहे हैं, पतित से पावन बना रहे हैं।
02

भण्डारे में भी योग में रह भोजन बनायें तो बहुतों का कल्याण भरा हुआ है।

श्रीनाथ द्वारे में भोजन बनाते हैं बिल्कुल ही साइलेन्स में।

श्रीनाथ ही याद रहता है।

भक्त अपनी भक्ति में बहुत मस्त रहते हैं।

03

योग की कमी बहुतों में है।

याद में रह नहीं सकते हैं।

याद नहीं करेंगे तो विकर्म विनाश कैसे होंगे!

लॉ कहता है पिछाड़ी में याद में ही शरीर छोड़ना है।

शिवबाबा की याद में ही प्राण तन से निकलें।

एक बाप के सिवाए और कोई याद न आये।

04

पुरानी दुनिया से वैराग्य होना चाहिए, बुद्धियोग शान्तिधाम-सुखधाम में रहे।

गीता में भी है मनमनाभव।

05 भगवान आये हैं राजयोग सिखला रहे हैं, स्थापना हो रही है, यह शास्त्र आदि सब हैं ही भक्तिमार्ग के।
06

कृष्ण की ऐसी भक्ति होती है, बात मत पूछो।

वृन्दावन में दो बच्चियाँ हैं, पूरी भक्तिन हैं, कहती हैं बस हम यहाँ ही रहेंगी।

यहाँ ही शरीर छोड़ेंगी, कृष्ण की याद में।

उनको बहुत कहते हैं अच्छे मकान में चलकर रहो, ज्ञान लो, बोलती हैं हम तो यहाँ ही रहेंगी।

07

यह सब उनके बच्चे हैं, दादा है शिवबाबा।

वर्सा उनसे मिलता है।

वह राय देते हैं मुझे याद करो तो तुम पतित से पावन बन जायेंगे।

08

मुख्य बात है याद की।

याद से ही तुम पावन बनते हो।

09

बाप को याद करो और चक्र को याद करो।

चक्र का राज़ किसको समझाया तो भी वन्डर खायेंगे।

84 जन्मों की ही किसको याद नहीं रहती है तो 84 लाख फिर कैसे कोई याद कर सके?

ख्याल में भी आ न सके, इस चक्र को ही बुद्धि में याद रखो तो भी अहो सौभाग्य।

   
  Sakar Murli - 20.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

बाप ने बताया है मामेकम् याद करो।

चलते फिरते काम करते बुद्धि में यह याद रहे।

02

बुद्धि में उनकी याद रहती है।

याद करने के लिए माला फेरते हैं।

बाप भी घड़ी-घड़ी कहते हैं मुझ बाप को याद करो।

सर्वव्यापी कह देते तो फिर याद किसको करेंगे?

03

बाप कहते हैं मुझे ही पतित-पावन कहते हैं।

अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।

04

बाप को याद करते हैं।

बाप सभी का माशूक है, सभी आशिक हैं।

अभी तुम बच्चे जानते हो वह माशुक आया हुआ है।

बहुत मीठा माशुक है।

नहीं तो सभी उनको याद क्यों करते?

05

शिवबाबा को याद करो तो विकर्म विनाश होंगे और तुम स्वर्ग के मालिक बन जायेंगे।

बाप को याद करते औरों को भी परिचय देते रहें।

06 बाप कहते हैं मुझे याद करो, पवित्र बनो तो तुम पवित्र दुनिया के मालिक बन जायेंगे। मनमनाभव।
07

सौगात आकर देते हैं, वह कहती है हम तुमसे क्यों लूँ, फिर तुम्हारी याद रहेगी।

शिवबाबा के भण्डारे से मिलेगा तो हमको शिवबाबा की याद रहेगी।

   
  Sakar Murli - 18.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01 सच्ची मित्रता है एक बाप को याद कर पावन बनना और बाप से पूरा वर्सा लेना।
02

इस समय सभी की बाप से है विपरीत बुद्धि।

तुम बच्चे तो बाप को याद करते हो।

अन्दर में बाप के लिए प्यार है।

03

बाप कहते हैं जितना याद में रहेंगे उतना लाइट बढ़ती जायेगी।

याद से आत्मा पवित्र बनती है।

लाइट बढ़ती जाती है।

याद ही नहीं करेंगे तो लाइट मिलेगी नहीं।

याद से लाइट वृद्धि को पायेगी।

याद नहीं किया और कोई विकर्म कर लिया तो लाइट कम हो जायेगी।

04 याद से ही तुम्हारी आत्मा पवित्र होती जायेगी।
05 एक ही मुख्य बात समझानी चाहिए कि बाप और वर्से को याद करो।
   
Sakar Murli - 17.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

भक्ति मार्ग में है अल्पकाल का सुख,

जिसको संन्यासी, हठयोगी जानते ही नहीं।

ब्रह्म को याद करते हैं।

अब ब्रह्म तो भगवान नहीं।

भगवान तो एक निराकार शिव है, जो सर्व आत्माओं का बाप है।

02

भक्तिमार्ग से लेकर तुम याद करते आये हो।

आत्मा बाप को याद करती है।

03

बाप कहते हैं मैं तुमको अभी पावन बनाने आया हूँ, यह एक जन्म पवित्र बनो, मुझे याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे।

मैं ही पतित-पावन हूँ, जितना हो सके याद को बढ़ाओ।

04

जैसे आशिक माशुक को याद करते हैं,एक बार देखा,

बस फिर बुद्धि में उनकी ही याद रहेगी।

भक्ति मार्ग में जो जिस देवता को याद करते, पूजा करते, उसका साक्षात्कार हो जाता है।

05

इस समय बाप कहते हैं याद करने की मेहनत करो तो...

तुम सच्चा सोना बन जायेंगे।

06

सच्चा आशिक बन एक माशूक को ही याद करना है।

जितना हो सके याद का अभ्यास बढ़ाते जाना है।

   
Sakar Murli - 16.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

यह सिर्फ उस एक के लिए ही गायन है,

उनको ही सब याद करते हैं, वह है विचित्र।

02

सब मनुष्य-मात्र उनको याद करते हैं क्योंकि

आधाकल्प के लिए

दु:ख से छुड़ाए शान्ति और सुख देने वाला बाप ही है।

03 बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम पावन बन जायेंगे।
04

भल घूमो फिरो,

सिर्फ बाप को याद करते रहो तो पावन बन जायेंगे।

05

तुम बच्चों को अभी ऐसी प्रैक्टिस करनी है जो अन्त में एक शिवबाबा ही याद रहे।

उसकी याद में ही रहकर शरीर छोड़ें और कोई

मित्र-सम्बन्धी आदि याद न आये।

यह प्रैक्टिस करनी है।

बाप को ही याद करना है और नारायण बनना है।

06 और कोई की याद आई तो नापास हुआ।
07

अपने से पूछना चाहिए बाप को कितना याद करते हैं?

कुछ भी हाथ में होगा तो वह अन्तकाल याद आयेगा।

हाथ में नहीं होगा तो याद भी नहीं आयेगा।

   
Sakar Murli - 15.04.2020
00 ओमशान्ति। शिवबाबा याद है?
01

बाप समझाते हैं अपने को आत्मा समझ

बाप को याद करना - इसमें ही मेहनत है।

02

अब बाप कहते हैं

अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करते रहो।

यह प्रैक्टिस होगी तब ही विकर्म विनाश होंगे।

03

अब बाप को याद करने की मेहनत है।

सहजयोग भी है।

04

टाइम तो लगता है ना देही-अभिमानी बनने में।

ऐसे हो नहीं सकता कि

अभी तुम एकरस हो जाओ और बाप की याद स्थाई ठहर जाए।

नहीं।

कर्मातीत अवस्था को पा लें फिर तो शरीर भी रह न सके।

05

ऐसे नहीं कि यह दादा कोई पार पहुँच गया है।

यह भी कहते हैं - याद की बड़ी मेहनत है।

06

देह-अभिमान की बातों को छोड़ अपने को आत्मा समझ

बाप को याद करना है तो पाप विनाश होंगे।

बहुत बच्चे याद में फेल होते हैं।

ज्ञान समझाने में बड़े तीखे जाते हैं परन्तु याद की मेहनत बहुत बड़ी है।

बड़ा इम्तहान है।

07

हर एक बच्चे को अपनी स्थिति की जांच करनी चाहिए कि

हम बाप की याद में कितना समय रह सकते हैं?

08

यहाँ तो तुमको पावन बनना है

सिवाए बाप की याद के और कोई उपाय नहीं।

09

बाप को याद करो, दैवीगुण धारण करो।

जैसे इनकी आत्मा कहती है।

यह भी कहते हैं मैं बाबा को याद करता हूँ।

बाबा भी जैसे साथ में है।

10

बाप उन पुरुषार्थी बच्चों की बहुत-बहुत महिमा करते हैं जो

याद की यात्रा में तीखी दौड़ी लगाने वाले हैं।

मुख्य है याद की बात।

11

कोई-कोई बच्चे बाबा को लिखते हैं -

बाबा हम इतने घण्टे रोज़ याद करता हूँ तो

बाबा भी समझते हैं यह बहुत पुरूषार्थी है।

12

अभी हम जाते हैं अपने घर।

इसमें याद का पुरूषार्थ ही मुख्य है।

आधाकल्प याद नहीं किया है।

अब एक ही जन्म में याद करना है।

यह है मेहनत।

याद करना है, दैवीगुण धारण करना है,

कोई पाप कर्म किया तो सौ गुणा दण्ड पड़ जायेगा।

13

अन्दर अपनी जांच करनी है - हम बाप की याद में कितना समय रहते हैं?