26.01.1970
- "...समय बाकी कितना है और पुरुषार्थ क्या किया है?
- दोनों की परख है?
- समय कम है और पुरुषार्थ बहुत करना है।
- जब कोई स्टूडेंट लास्ट टाइम पर आकर दाखिल होते हैं तो वह थोड़े समय में कितनी मेहनत करते हैं।
- जितना समय तेज़ जा रहा है इतना तेज़ पुरुषार्थ है?
- कब शब्द निकाल ही देना चाहिए।
- जो तीव्र पुरुषार्थी होते हैं वह कब शब्द नहीं बोलते, अब बोलेंगे।
- अब से करेंगे।
- यह संगम समय का एक सेकंड भी कितना बड़ा मूल्यवान है।
- एक सेकंड भी व्यर्थ गया तो कितनी कमाई व्यर्थ हो जाएगी।
- पूरे कल्प की तकदीर
- बनाने का यह थोडा समय है।
- एक सेकंड पद्मों की कमाई करने वाला भी है और एक सेकंड में पद्मों की कमाई गँवाता है।
- ऐसे समय को परख करके फिर पाँव तेज़ करो।..."
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