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01.03.2020
वरदान:-
स्वयं की सर्व कमजोरियों को
दान की विधि से समाप्त करने वाले
दाता, विधाता भव
भक्ति में यह नियम होता है कि जब कोई वस्तु की कमी होती है तो कहते हैं दान करो।
दान करने से देना-लेना हो जाता है।
तो किसी भी कमजोरी को समाप्त करने के लिए दाता और विधाता बनो।
यदि आप औरों को बाप का खजाना देने के निमित्त सहारा बनेंगे तो कमजोरियों का किनारा स्वत: हो जायेगा।
अपने दाता-विधातापन के शक्तिशाली संस्कार को इमर्ज करो तो कमजोर संस्कार स्वत:समाप्त हो जायेगा।
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02.03.2020
वरदान:-
सेवा द्वारा
योगयुक्त स्थिति का अनुभव करने वाले
रूहानी सेवाधारी भव
ब्राह्मण जीवन सेवा का जीवन है।
माया से जिंदा रखने का श्रेष्ठ साधन सेवा है।
सेवा योग-युक्त बनाती है लेकिन सिर्फ मुख की सेवा नहीं,
सुने हुए मधुर बोल का स्वरूप बन सेवा करना,
नि:स्वार्थ सेवा करना,
त्याग, तपस्या स्वरूप से सेवा करना,
हद की कामनाओं से परे निष्काम सेवा करना
- इसको कहा जाता है ईश्वरीय वा रूहानी सेवा।
मुख के साथ मन द्वारा सेवा करना अर्थात् मनमनाभव स्थिति में स्थित होना।
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03.03.2020
वरदान:-
अपना सब कुछ
सेवा में अर्पित करने वाले
गुप्त दानी पुण्य आत्मा भव
जो भी सेवा करते हो उसे विश्व कल्याण के लिए अर्पित करते चलो।
जैसे भक्ति में जो गुप्त दानी पुण्य आत्मायें होती हैं वो यही संकल्प करती हैं कि सर्व के भले प्रति हो।
ऐसे आपका हर संकल्प सेवा में अर्पित हो।
कभी अपनेपन की कामना नहीं रखो।
सर्व प्रति सेवा करो।
जो सेवा विघ्न रूप बने उसे सच्ची सेवा नहीं कहेंगे इसलिए अपना पन छोड़ गुप्त और सच्चे सेवाधारी बन सेवा से विश्व कल्याण करते चलो।
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04.03.2020
वरदान:-
एक बाप दूसरा न कोई -
इस दृढ़ संकल्प द्वारा
अविनाशी , अमर भव
जो बच्चे यह दृढ़ संकल्प करते हैं कि एक बाप दूसरा न कोई.....उनकी स्थिति स्वत: और सहज एकरस हो जाती है।
इसी दृढ़ संकल्प से सर्व सम्बन्धों की अविनाशी तार जुड़ जाती है और उन्हें सदा अविनाशी भव, अमर भव का वरदान मिल जाता है।
दृढ़ संकल्प करने से पुरूषार्थ में भी विशेष रूप से लिफ्ट मिलती है।
जिनके एक बाप से सर्व सम्बन्ध हैं उन्हें सर्व प्राप्तियां स्वत: हो जाती हैं।
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05.03.2020
वरदान:-
सर्व के प्रति
शुभ भाव और श्रेष्ठ भावना धारण करने वाले
हंस बुद्धि होलीहंस भव
हंस बुद्धि अर्थात् सदा हर आत्मा के प्रति श्रेष्ठ और शुभ सोचने वाले।
पहले हर आत्मा के भाव को परखने वाले और फिर धारण करने वाले।
कभी भी बुद्धि में किसी भी आत्मा के प्रति अशुभ वा साधारण भाव धारण न हो।
सदा शुभ भाव और शुभ भावना रखने वाले ही होलीहंस हैं।
वे किसी भी आत्मा के अकल्याण की बातें सुनते, देखते भी अकल्याण को कल्याण की वृत्ति से बदल देंगे।
उनकी दृष्टि हर आत्मा के प्रति श्रेष्ठ शुद्ध स्नेह की होगी।
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06.03.2020
वरदान:-
तीन प्रकार की विजय
का मैडल प्राप्त करने वाले
सदा विजयी भव
विजय माला में नम्बर प्राप्त करने के लिए पहले स्व पर विजयी, फिर सर्व पर विजयी और फिर प्रकृति पर विजयी बनो।
जब यह तीन प्रकार की विजय के मैडल प्राप्त होंगे तब विजय माला का मणका बन सकेंगे।
स्व पर विजयी बनना अर्थात् अपने व्यर्थ भाव, स्वभाव को श्रेष्ठ भाव, शुभ भावना से परिवर्तन करना।
जो ऐसे स्व पर विजयी बनते हैं वही दूसरों पर भी विजय प्राप्त कर लेते हैं।
प्रकृति पर विजय प्राप्त करना अर्थात् वायुमण्डल, वायब्रेशन और स्थूल प्रकृति की समस्याओं पर विजयी बनना।
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07.03.2020
वरदान:-
निमित्त भाव की स्मृति से
हलचल को समाप्त करने वाले
सदा अचल - अडोल भव
निमित्त भाव से अनेक प्रकार का मैं पन, मेरा पन सहज ही खत्म हो जाता है।
यह स्मृति सर्व प्रकार की हलचल से छुड़ाकर अचल-अडोल स्थिति का अनुभव कराती है।
सेवा में भी मेहनत नहीं करनी पड़ती।
क्योंकि निमित्त बनने वालों की बुद्धि में सदा याद रहता है कि जो हम करेंगे हमें देख सब करेंगे।
सेवा के निमित्त बनना अर्थात् स्टेज पर आना।
स्टेज तरफ स्वत: सबकी नजर जाती है।
तो यह स्मृति भी सेफ्टी का साधन बन जाती है।
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08.03.2020
वरदान :-
“ विशेष '' शब्द की स्मृति द्वारा
सम्पूर्णता की मंजिल को प्राप्त करने वाले
स्व परिवर्तक भव
सदा यही स्मृति में रहे कि हम विशेष आत्मा हैं, विशेष कार्य के निमित्त हैं और विशेषता दिखाने वाले हैं।
यह विशेष शब्द विशेष याद रखो-बोलना भी विशेष,
देखना भी विशेष,
करना भी विशेष,
सोचना भी विशेष...हर बात में यह विशेष शब्द लाने से
सहज स्व परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक बन जायेंगे और
जो सम्पूर्णता को प्राप्त करने का लक्ष्य है, उस मंजिल को भी सहज ही प्राप्त कर लेंगे।
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09.03.2020
वरदान:-
स्मृति के स्विच द्वारा
स्व कल्याण और सर्व का कल्याण करने वाले
सिद्धि स्वरूप भव
स्थिति का आधार स्मृति है।
यह शक्तिशाली स्मृति रहे कि “ मैं बाप का और बाप मेरा।'' तो इसी स्मृति से स्वयं की स्थिति शक्तिशाली रहेगी और दूसरों को भी शक्तिशाली बनायेंगे।
जैसे स्विच आन करने से रोशनी हो जाती है ऐसे यह स्मृति भी एक स्विच है।
सदा स्मृति रूपी स्विच का अटेन्शन हो तो स्वयं का और सर्व का कल्याण करते रहेंगे।
नया जन्म हुआ तो नई स्मृतियां हों।
पुरानी सब स्मृतियां समाप्त-इसी विधि से सिद्धि स्वरूप का वरदान प्राप्त हो जायेगा।
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10.03.2020
वरदान:-
अविनाशी रूहानी रंग की
सच्ची होली द्वारा
बाप समान स्थिति के अनुभवी भव
आप परमात्म रंग में रंगी हुई होली आत्मायें हो।
संगमयुग होली जीवन का युग है।
जब अविनाशी रूहानी रंग लग जाता है तो सदाकाल के लिए बाप समान बन जाते हो।
तो आपकी होली है संग के रंग द्वारा बाप समान बनना।
ऐसा पक्का रंग हो जो औरों को भी समान बना दो।
हर आत्मा पर अविनाशी ज्ञान का रंग, याद का रंग, अनेक शक्तियों का रंग, गुणों का रंग, श्रेष्ठ वृत्ति दृष्टि, शुभ भावना, शुभ कामना का रूहानी रंग चढ़ाओ।
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11.03.2020
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12.03.2020
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13.03.2020
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14.03.2020
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15.03.2020
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