02-11-2020 प्रात:मुरली बापदादा मधुबन

मीठे बच्चे - यह पुरुषोत्तम संगमयुग है, पुरानी दुनिया बदल अब नई बन रही है, तुम्हें अब पुरूषार्थ कर उत्तम देव पद

पाना है

प्रश्नः-

सर्विसएबुल बच्चों की बुद्धि में कौन-सी बात सदैव याद रहती है?

उत्तर:-

उन्हें याद रहता कि धन दिये धन ना खुटे..... इसलिए वह रात-दिन नींद का भी त्याग कर ज्ञान धन का दान करते रहते हैं, थकते नहीं।

लेकिन अगर खुद में कोई अवगुण होगा तो सर्विस करने का भी उमंग नहीं आ सकता है।

  • ओम् शान्ति।
  • मीठे-मीठे रूहानी बच्चों प्रति बाप बैठ समझाते हैं।
  • बच्चे जानते हैं परमपिता रोज़-रोज़ समझाते हैं।
  • जैसे रोज़-रोज़ टीचर पढ़ाते हैं।
  • बाप सिर्फ शिक्षा देंगे, सम्भालते रहेंगे क्योंकि बाप के तो घर में ही बच्चे रहते हैं।
  • मॉ-बाप साथ रहते हैं।
  • यहाँ तो यह वण्डरफुल बात है।
  • रूहानी बाप के पास तुम रहते हो।
  • एक तो रूहानी बाप के पास मूलवतन में रहते हो।
  • फिर कल्प में एक ही बार बाप आते हैं-बच्चों को वर्सा देने वा पावन बनाने, सुख वा शान्ति देने।
  • तो जरूर नीचे आकर रहते होंगे।
  • इसमें ही मनुष्यों का मुंझारा है।
  • गायन भी है - साधारण तन में प्रवेश करते हैं।
  • अब साधारण तन कहाँ से उड़कर तो नहीं आता।
  • जरूर मनुष्य के तन में ही आते हैं।
  • सो भी बताते हैं - मैं इस तन में प्रवेश करता हूँ।
  • तुम बच्चे भी अब समझते हो - बाप हमको स्वर्ग का वर्सा देने आये हैं।
  • जरूर हम लायक नहीं हैं, पतित बन गये हैं।
  • सब कहते भी हैं हे पतित-पावन आओ, आकर हम पतितों को पावन बनाओ।
  • बाप कहते हैं मुझे कल्प-कल्प पतितों को पावन करने की ड्युटी मिली हुई है।
  • हे बच्चों, अब इस पतित दुनिया को पावन बनाना है।
  • पुरानी दुनिया को पतित, नई दुनिया को पावन कहेंगे।
  • गोया पुरानी दुनिया को नया बनाने बाप आये हैं।
  • कलियुग को तो कोई भी नई दुनिया नहीं कहेंगे।
  • यह तो समझ की बात है ना।
  • कलियुग है पुरानी दुनिया।
  • बाप भी आयेंगे जरूर-पुराने और नये के संगम पर।
  • जब कहाँ भी तुम यह समझाते हो तो बोलो यह पुरूषोत्तम संगमयुग है, बाप आया हुआ है।
  • सारी दुनिया में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिसको यह पता हो कि यह पुरूषोत्तम संगमयुग है।
  • जरूर तुम संगमयुग पर हो तब तो समझाते हो।
  • मुख्य बात है ही संगमयुग की।
  • तो प्वाइंट्स भी बहुत जरूरी हैं।
  • जो बात कोई नहीं जानते वह समझानी पड़े इसलिए बाबा ने कहा था यह जरूर लिखना है कि अब पुरूषोत्तम संगमयुग है।
  • नये युग अर्थात् सतयुग के चित्र भी हैं।
  • मनुष्य कैसे समझें कि यह लक्ष्मी-नारायण सतयुगी नई दुनिया के मालिक हैं।
  • उनके ऊपर अक्षर जरूर चाहिए - पुरूषोत्तम संगमयुग।
  • यह जरूर लिखना है क्योंकि यही मुख्य बात है।
  • मनुष्य समझते हैं कलियुग में अभी बहुत वर्ष पड़े हैं।
  • बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में हैं।
  • तो समझाना पड़े नई दुनिया के मालिक यह लक्ष्मी-नारायण हैं।
  • यह है पूरी निशानी।
  • तुम कहते हो इस राज्य की स्थापना हो रही है।
  • गीत भी है नवयुग आया, अज्ञान नींद से जागो।
  • यह तुम जानते हो अब संगमयुग है, इनको नवयुग नहीं कहेंगे।
  • संगम को संगमयुग ही कहा जाता है।
  • यह है पुरूषोत्तम संगमयुग।
  • जबकि पुरानी दुनिया खत्म हो और नई दुनिया स्थापन होती है।
  • मनुष्य से देवता बन रहे हैं, राजयोग सीख रहे हैं।
  • देवताओं में भी उत्तम पद है ही इन लक्ष्मी-नारायण का।
  • यह भी हैं तो मनुष्य, इनमें दैवीगुण हैं इसलिए देवी-देवता कहा जाता है।
  • सबसे उत्तम गुण है पवित्रता का तब तो मनुष्य देवताओं के आगे जाकर माथा टेकते हैं।
  • यह सब प्वाइंट्स बुद्धि में धारण उनको होगी जो सर्विस करते रहते हैं।
  • कहा जाता है धन दिये धन ना खुटे।
  • बहुत समझानी मिलती रहती है।
  • नॉलेज तो बहुत सहज है।
  • परन्तु कोई में धारणा अच्छी होती, कोई में नहीं होती है।
  • जिनमें अवगुण हैं वह तो सेन्टर सम्भाल भी नहीं सकते हैं।
  • तो बाप बच्चों को समझाते हैं प्रदर्शनी में भी सीधे-सीधे अक्षर देने चाहिए।
  • पुरूषोत्तम संगमयुग तो मुख्य समझाना चाहिए।
  • इस संगम पर आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हो रही है।
  • जब यह धर्म था तो और कोई धर्म नहीं था।
  • यह जो महाभारत लड़ाई है, उनकी भी ड्रामा में नूंध है।
  • यह भी अभी निकले हैं।
  • आगे थोड़ेही थे।
  • 100 वर्ष के अन्दर सब खलास हो जाते हैं।
  • संगमयुग को कम से कम 100 वर्ष तो चाहिए ना।
  • सारी नई दुनिया बननी है।
  • न्यु देहली बनाने में कितना वर्ष लगा।
  • तुम समझते हो भारत में ही नई दुनिया होती है, फिर पुरानी खलास हो जायेगी।
  • कुछ तो रहती है ना।
  • प्रलय तो होती नहीं।
  • यह सब बातें बुद्धि में हैं।
  • अभी है संगमयुग।
  • नई दुनिया में जरूर यह देवी-देवता थे, फिर यही होंगे।
  • यह है राजयोग की पढ़ाई।
  • अगर कोई डिटेल में नहीं समझा सकते हैं तो सिर्फ एक बात बोलो - परमपिता परमात्मा जो सबका बाप है, उनको तो सब याद करते हैं।
  • वह हम सब बच्चों को कहते हैं - तुम पतित बन पड़े हो।
  • पुकारते भी हो हे पतित-पावन आओ।
  • बरोबर कलियुग में हैं पतित, सतयुग में पावन होते हैं।
  • अब परमपिता परमात्मा कहते हैं देह सहित यह सब पतित संबंध छोड़ मामेकम् याद करो तो पावन बन जायेंगे।
  • यह गीता के ही अक्षर हैं।
  • है भी गीता का युग।
  • गीता संगमयुग पर ही गाई हुई थी जबकि विनाश हुआ था।
  • बाप ने राजयोग सिखाया था।
  • राजाई स्थापन हुई थी फिर जरूर होगी।
  • यह सब रूहानी बाप समझाते हैं ना।
  • चलो इस तन में न आये और कोई में भी आये।
  • समझानी तो बाप की है ना।
  • हम इनका तो नाम लेते नहीं हैं।
  • हम तो सिर्फ बतलाते हैं - बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम पावन बन और मेरे पास चले आयेंगे।
  • कितना सहज है।
  • सिर्फ मुझे याद करो और 84 के चक्र का ज्ञान बुद्धि में हो।
  • जो धारणा करेगा वह चक्रवर्ती राजा बनेगा।
  • यह मैसेज तो सब धर्म वालों के लिए है।
  • घर तो सबको जाना है।
  • हम भी घर का ही रास्ता बताते हैं।
  • पादरी आदि कोई भी हो तुम उनको बाप का सन्देश दे सकते हो।
  • तुमको खुशी का बहुत पारा चढ़ना चाहिए - परमपिता परमात्मा कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • सबको यही याद कराओ।
  • बाप का पैगाम सुनाना ही नम्बरवन सर्विस है।
  • गीता का युग भी अब है।
  • बाप आये हैं इसलिए वही चित्र शुरू में रखना चाहिए।
  • जो समझते हैं - हम बाप का पैगाम दे सकते हैं तो तैयार रहना चाहिए।
  • दिल में आना चाहिए हम भी अंधों की लाठी बनें।
  • यह पैगाम तो कोई को भी दे सकते हो।
  • बी.के. का नाम सुनकर ही डरते हैं।
  • बोलो हम सिर्फ बाप का पैगाम देते हैं।
  • परमपिता परमात्मा कहते हैं - मुझे याद करो बस।
  • हम किसकी ग्लानि नहीं करते।
  • बाप कहते हैं मामेकम् याद करो।
  • मैं ऊंच ते ऊंच पतित-पावन हूँ।
  • मुझे याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे।
  • यह नोट करो।
  • यह बहुत काम की चीज़ है।
  • हाथ पर वा बांह पर अक्षर लिखाते हैं ना।
  • यह भी लिख दो।
  • इतना सिर्फ बताया तो भी रहमदिल, कल्याणकारी बनें।
  • अपने से प्रण करना चाहिए।
  • सर्विस जरूर करनी है फिर आदत पड़ जायेगी।
  • यहाँ भी तुम समझा सकते हो।
  • चित्र दे सकते हो।
  • यह है पैगाम देने की चीज़।
  • लाखों बन जायेंगे।
  • घर-घर में जाकर पैगाम देना है।
  • पैसा कोई दे न दे, बोलो-बाप तो है ही गरीब निवाज़।
  • हमारा फ़र्ज है - घर-घर में पैगाम देना।
  • यह बापदादा, इनसे यह वर्सा मिलता है।
  • 84 जन्म यह लेंगे।
  • इनका यह अन्तिम जन्म है।
  • हम ब्राह्मण हैं सो फिर देवता बनेंगे।
  • ब्रह्मा भी ब्राह्मण है।
  • प्रजापिता ब्रह्मा अकेला तो नहीं होगा ना।
  • जरूर ब्राह्मण वंशावली भी होगी ना।
  • ब्रह्मा सो विष्णु देवता, ब्राह्मण हैं चोटी।
  • वही देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनते हैं।
  • कोई जरूर निकलेंगे जो तुम्हारी बातों को समझेंगे।
  • पुरूष भी सर्विस कर सकते हैं।
  • सवेरे उठकर मनुष्य जब दुकान खोलते हैं तो कहते हैं सुबह का सांई...... तुम भी सवेरे-सवेरे जाकर बाप का पैगाम सुनाओ।
  • बोलो तुम्हारा धन्धा बहुत अच्छा होगा।
  • तुम सांई को याद करो तो 21 जन्म का वर्सा मिलेगा।
  • अमृतवेले का टाइम अच्छा होता है।
  • आजकल कारखानों में मातायें भी बैठ काम करती हैं।
  • यह बैज भी बनाना बहुत सहज है।
  • तुम बच्चों को तो रात-दिन सर्विस में लग जाना चाहिए, नींद हराम कर देनी चाहिए।
  • बाप का परिचय मिलने से मनुष्य धणके बन जाते हैं।
  • तुम किसको भी पैगाम दे सकते हो।
  • तुम्हारा ज्ञान तो बहुत ऊंचा है।
  • बोलो, हम तो एक को याद करते हैं।
  • क्राइस्ट की आत्मा भी उनका बच्चा थी।
  • आत्मायें तो सब उनके बच्चे हैं।
  • वही गॉड फादर कहते हैं कि और कोई भी देहधारियों को मत याद करो।
  • तुम अपने को आत्मा समझ मामेकम् याद करो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे।
  • मेरे पास आ जायेंगे।
  • मनुष्य पुरूषार्थ करते ही हैं घर जाने के लिए।
  • परन्तु जाता कोई भी नहीं।
  • देखा जाता है बच्चे अभी बहुत ठण्डे हैं, इतनी मेहनत पहुँचती नहीं, बहाना करते रहते हैं, इसमें बहुत सहन भी करना पड़ता हैं।
  • धर्म स्थापक को कितना सहन करना पड़ता है।
  • क्राइस्ट के लिए भी कहते हैं उनको क्रॉस पर चढ़ाया।
  • तुम्हारा काम है सबको सन्देश देना।
  • उसके लिए युक्तियां बाबा बताते रहते हैं।
  • कोई सर्विस नहीं करते हैं तो बाबा समझते हैं धारणा नहीं है।
  • बाबा राय देते हैं कैसे पैगाम दो।
  • ट्रेन में भी तुम यह पैगाम देते रहो।
  • तुम जानते हो हम स्वर्ग में जाते हैं।
  • कोई शान्तिधाम में भी जायेंगे ना।
  • रास्ता तो तुम ही बता सकते हो।
  • तुम ब्राह्मणों को ही जाना चाहिए।
  • हैं तो बहुत।
  • ब्राह्मणों को कहाँ तो रखेंगे ना।
  • ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय।
  • प्रजापिता ब्रह्मा की औलाद तो जरूर होंगे ना।
  • आदि में हैं ही ब्राह्मण।
  • तुम ब्राह्मण हो ऊंचे ते ऊंच।
  • वह ब्राह्मण हैं कुख वंशावली।
  • ब्राह्मण तो जरूर चाहिए ना।
  • नहीं तो प्रजापिता ब्रह्मा के बच्चे ब्राह्मण कहाँ गये।
  • ब्राह्मणों को तुम बैठ समझाओ, तो वह झट समझ जायेंगे।
  • बोलो, तुम भी ब्राह्मण हो, हम भी अपने को ब्राह्मण कहलाते हैं।
  • अब बताओ तुम्हारा धर्म स्थापन करने वाला कौन?
  • ब्रह्मा के सिवाए कोई नाम ही नहीं लेंगे।
  • तुम ट्रायल कर देखो।
  • ब्राह्मणों के भी बहुत बड़े-बड़े कुल होते हैं।
  • पुजारी ब्राह्मण तो ढेर हैं।
  • अजमेर में ढेर बच्चे जाते हैं, कभी कोई ने समाचार नहीं दिया कि हम ब्राह्मणों से मिले, उनसे पूछा - तुम्हारा धर्म स्थापन करने वाला कौन?
  • ब्राह्मण धर्म किसने स्थापन किया?
  • तुमको तो मालूम है, सच्चे ब्राह्मण कौन हैं।
  • तुम बहुतों का कल्याण कर सकते हो।
  • यात्राओं पर भक्त ही जाते हैं।
  • यह चित्र तो बहुत अच्छा है - लक्ष्मी-नारायण का।
  • तुमको मालूम है जगत अम्बा कौन है?
  • लक्ष्मी कौन है?
  • ऐसे-ऐसे तुम नौकरों, भीलनियों आदि को भी समझा सकते हो।
  • तुम्हारे बिगर तो कोई है नहीं जो उन्हों को सुनाये।
  • बहुत रहमदिल बनना है।
  • बोलो, तुम भी पावन बन पावन दुनिया में जा सकते हो।
  • अपने को आत्मा समझो, शिवबाबा को याद करो।
  • शौक बहुत होना चाहिए, किसको भी रास्ता बताने का।
  • जो खुद याद करते होंगे वही दूसरों को याद कराने का पुरूषार्थ करेंगे।
  • बाप तो नहीं जाकर बात करेंगे।
  • यह तो तुम बच्चों का काम है।
  • गरीबों का भी कल्याण करना है।
  • बिचारे बहुत सुखी हो जायेंगे।
  • थोड़ा याद करने से प्रजा में भी आ जाएं, वह भी अच्छा है।
  • यह धर्म तो बहुत सुख देने वाला है।
  • दिन-प्रतिदिन तुम्हारा आवाज़ जोर से निकलेगा।
  • सबको यही पैगाम देते रहो, अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
  • तुम मीठे-मीठे बच्चे पदमापदम भाग्यशाली हो।
  • जबकि महिमा सुनते हो तो समझते हो, फिर भी कोई बात की फिकरात आदि क्यों रखनी चाहिए।
  • यह है गुप्त ज्ञान, गुप्त खुशी।
  • तुम हो इनकागनीटो वारियर्स।
  • तुमको अननोन वारियर्स कहेंगे और कोई अननोन वारियर्स हो नहीं सकता।
  • तुम्हारा देलवाड़ा मन्दिर पूरा यादगार है।
  • दिल लेने वाले का परिवार है ना।
  • महावीर, महावीरनी और उनकी औलाद यह पूरा-पूरा तीर्थ है।
  • काशी से भी ऊंची जगह हुई।
  • अच्छा। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) घर-घर में जाकर बाप का पैगाम देना है।
    • सर्विस करने का प्रण करो, सर्विस के लिए कोई भी बहाना मत दो।
  • 2) किसी भी बात की फिकरात नहीं करनी है, गुप्त खुशी में रहना है।
    • किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है।
    • एक बाप की याद में रहना है।
  • वरदान:-
  • परिस्थितियों को गुडलक समझ अपने निश्चय के फाउन्डेशन को मजबूत बनाने वाले अचल अडोल भव
  • कोई भी परिस्थिति आये तो आप हाई जम्प दे दो क्योंकि परिस्थिति आना भी गुडलक है। यह निश्चय के फाउन्डेशन को मजबूत करने का साधन है। आप जब एक बारी अंगद के समान मजबूत हो जायेंगे तो यह पेपर भी नमस्कार करेंगे। पहले विकराल रूप में आयेंगे और फिर दासी बन जायेंगे। चैलेन्ज करो हम महावीर हैं। जैसे पानी के ऊपर लकीर ठहर नहीं सकती, ऐसे मुझ मास्टर सागर के ऊपर कोई परिस्थिति वार कर नहीं सकती। स्व-स्थिति में रहने से अचल-अडोल बन जायेंगे।
  • स्लोगन:-
  • नॉलेजफुल वह है जिसका हर कर्म श्रेष्ठ और सफल हो।