07-11-2020
प्रात:मुरली
बापदादा मधुबन
मीठे बच्चे - सबको यह खुशखबरी सुनाओ कि अब डीटी डिनायस्टी स्थापन हो रही है, जब वाइसलेस वर्ल्ड होगी तब बाकी सब विनाश हो जायेंगे
प्रश्नः-
रावण का श्राप कब मिलता है, श्रापित होने की निशानी क्या है?
उत्तर:-
जब तुम देह-अभिमानी बनते हो तब रावण का श्राप मिल जाता है।
श्रापित आत्मायें कंगाल विकारी बनती जाती हैं, नीचे उतरती जाती हैं।
अब बाप से वर्सा लेने के लिए देही-अभिमानी बनना है।
अपनी दृष्टि-वृत्ति को पावन बनाना है।
-
ओम् शान्ति।
- रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को 84 जन्मों की कहानी सुनाते हैं।
- यह तो समझते हो सभी तो 84 जन्म नहीं लेते होंगे।
- तुम ही पहले-पहले सतयुग आदि में पूज्य देवी-देवता थे।
- भारत में पहले पूज्य देवी-देवता धर्म का ही राज्य था।
- लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो जरूर डिनायस्टी होगी।
- राजाई घराने के मित्र-सम्बन्धी भी होंगे।
- प्रजा भी होगी।
- यह जैसे एक कहानी है।
- 5 हज़ार वर्ष पहले भी इनका राज्य था - यह स्मृति में लाते हैं।
- भारत में आदि सनातन देवी-देवता धर्म का राज्य था।
- यह बेहद का बाप बैठ समझाते हैं, जिसको ही नॉलेजफुल कहा जाता है।
- नॉलेज किस चीज़ की?
- मनुष्य समझते हैं वह सबके अन्दर को, कर्म विकर्म को जानने वाला है।
- परन्तु अभी बाप समझाते हैं - हर एक आत्मा को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
- सभी आत्मायें अपने परमधाम में रहती हैं।
- उनमें सारा पार्ट भरा हुआ है।
- रेडी बैठे हैं कि जाकर कर्मक्षेत्र पर अपना पार्ट बजायें।
- यह भी तुम समझते हो हम आत्मायें सब कुछ करती हैं।
- आत्मा ही कहती है यह खट्टा है, यह नमकीन है।
- आत्मा ही समझती है - हम अभी विकारी पाप आत्मायें हैं।
- आसुरी स्वभाव है।
- आत्मा ही यहाँ कर्मक्षेत्र पर शरीर लेकर सारा पार्ट बजाती है।
- तो यह निश्चय करना चाहिए ना!
- हम आत्मा ही सब कुछ करती हूँ।
- अभी बाप से मिले हैं फिर 5 हज़ार वर्ष बाद मिलेंगे।
- यह भी समझते हो पूज्य और पुजारी, पावन और पतित बनते आये हैं।
- जब पूज्य हैं तो पतित कोई हो न सके।
- जब पुजारी हैं तो पावन कोई हो न सके।
- सतयुग में है ही पावन पूज्य।
- जब द्वापर से रावण राज्य शुरू होता है तब सभी पतित पुजारी बनते हैं।
- शिवबाबा कहते हैं देखो शंकराचार्य भी मेरा पुजारी है।
- मेरे को पूजते हैं ना।
- शिव का चित्र कोई के पास हीरे का, कोई के पास सोने का, कोई के पास चांदी का होता है।
- अब जो पूजा करते हैं, उस पुजारी को पूज्य तो कह नहीं सकते।
- सारी दुनिया में इस समय पूज्य एक भी हो नहीं सकता।
- पूज्य पवित्र होते हैं फिर अपवित्र बनते हैं।
- पवित्र होते हैं नई दुनिया में।
- पवित्र ही पूजे जाते हैं।
- जैसे कुमारी जब पवित्र है तो पूजने लायक है, अपवित्र बनती है तो फिर सबके आगे सिर झुकाना पड़ता है।
- पूजा की कितनी सामग्री है।
- कहाँ भी प्रदर्शनी, म्युजियम आदि खोलते हो तो ऊपर में त्रिमूर्ति शिव जरूर चाहिए।
- नीचे में यह लक्ष्मी-नारायण एम ऑब्जेक्ट।
- हम यह पूज्य देवी-देवता धर्म की स्थापना कर रहे हैं।
- वहाँ फिर कोई और धर्म नहीं रहता।
- तुम समझा सकते हो, प्रदर्शनी में तो भाषण आदि कर नहीं सकेंगे।
- समझाने के लिए फिर अलग प्रबन्ध होना चाहिए।
- मुख्य बात ही यह है - हम भारतवासियों को खुशखबरी सुनाते हैं।
- हम यह राज्य स्थापन कर रहे हैं।
- यह डीटी डिनायस्टी थी, अब नहीं है फिर से इनकी स्थापना होती है और सब विनाश हो जायेंगे।
- सतयुग में जब यह एक धर्म था तो अनेक धर्म थे नहीं।
- अब यह अनेक धर्म मिलकर एक हो जाएं, वह तो हो न सके।
- वह आते ही एक-दो के पिछाड़ी हैं और वृद्धि को पाते रहते हैं।
- पहला आदि सनातन देवी-देवता धर्म प्राय:लोप है।
- कोई भी नहीं जो अपने को देवी-देवता धर्म का कहला सके।
- इनको कहा ही जाता है विशश वर्ल्ड।
- तुम कह सकते हो हम आपको खुशखबरी सुनाते हैं - शिवबाबा वाइसलेस वर्ल्ड स्थापन कर रहे हैं।
- हम प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान ब्रह्माकुमार-कुमारियां हैं ना।
- पहले-पहले तो हम भाई-भाई हैं फिर रचना होती है तो जरूर भाई-बहिन होंगे।
- सब कहते हैं बाबा हम आपके बच्चे हैं तो भाई-बहिन की क्रिमिनल आई जा न सके।
- यह अन्तिम जन्म पवित्र बनना है, तब ही पवित्र विश्व के मालिक बन सकेंगे।
- तुम जानते हो गति-सद्गति दाता है ही एक बाप।
- पुरानी दुनिया बदलकर जरूर नई दुनिया स्थापन होनी है।
- वो तो भगवान ही करेंगे।
- अब वह नई दुनिया कैसे क्रियेट करते हैं, यह तुम बच्चे ही जानते हो।
- अभी पुरानी दुनिया भी है, यह कोई खलास नहीं हुई है।
- चित्रों में भी है ब्रह्मा द्वारा स्थापना।
- इनका यह बहुत जन्मों के अन्त का जन्म है।
- ब्रह्मा की जोड़ी नहीं, ब्रह्मा की तो एडाप्शन है।
- समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए।
- शिवबाबा ब्रह्मा में प्रवेश कर हमको अपना बनाते हैं।
- शरीर में प्रवेश करे तब तो कहे-हे आत्मा, तुम हमारे बच्चे हो।
- आत्मायें तो हैं ही फिर ब्रह्मा द्वारा सृष्टि रची जायेगी तो जरूर ब्रह्माकुमार-कुमारियां होंगे ना, तो बहन-भाई हो गये।
- दूसरी दृष्टि निकल जाती है।
- हम शिवबाबा से पावन बनने का वर्सा लेते हैं।
- रावण से हमको श्राप मिलता है।
- अभी हम देही-अभिमानी बनते हैं तो बाप से वर्सा मिलता है।
- देह-अभिमानी बनने से रावण का श्राप मिलता है।
- श्राप मिलने से नीचे उतरते जाते हैं। अभी भारत श्रापित है ना।
- भारत को इतना कंगाल विकारी किसने बनाया?
- कोई का तो श्राप है ना।
- यह है रावण रूपी माया का श्राप।
- हर वर्ष रावण को जलाते हैं तो जरूर दुश्मन है ना।
- धर्म में ही ताकत होती है।
- अभी हम देवता धर्म के बनते हैं।
- बाबा नये धर्म की स्थापना करने निमित्त है।
- कितनी ताकत वाला धर्म स्थापन करते हैं।
- हम बाबा से ताकत लेते हैं, सारे विश्व पर विजय पाते हैं।
- याद की यात्रा से ही ताकत मिलती है और विकर्म विनाश होते हैं।
- तो यह भी एक भीती लिख देनी चाहिए। हम खुशखबरी सुनाते हैं।
- अब इस धर्म की स्थापना हो रही है जिसको ही हेविन, स्वर्ग कहते हैं।
- ऐसे बड़े-बड़े अक्षरों में लिख दो।
- बाबा राय देते हैं - सबसे मुख्य है यह। अब आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना हो रही है।
- प्रजापिता ब्रह्मा भी बैठा है। हम प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारियां श्रीमत पर यह कार्य कर रहे हैं।
- ब्रह्मा की मत नहीं, श्रीमत है ही परमपिता परमात्मा शिव की, जो सबका बाप है।
- बाप ही एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश करते हैं।
- राजयोग सीख यह बनते हैं।
- हम भी यह बन रहे हैं।
- हमने बेहद का सन्यास किया है क्योंकि जानते हैं - ये पुरानी दुनिया भस्म हो जानी है।
- जैसे हद का बाप नया घर बनाते हैं फिर पुराने से ममत्व मिट जाता है।
- बाप कहते हैं यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है।
- अब तुम्हारे लिए नई दुनिया स्थापन कर रहे हैं।
- तुम पढ़ते ही हो - नई दुनिया के लिए।
- अनेक धर्मों का विनाश, एक धर्म की स्थापना संगम पर ही होती है।
- लड़ाई लगेगी, नेचुरल कैलेमिटीज़ भी आयेंगी।
- सतयुग में जब इनका राज्य था तो और कोई धर्म थे नहीं।
- बाकी सब कहाँ थे?
- यह नॉलेज बुद्धि में रखनी है।
- ऐसे नहीं यह नॉलेज बुद्धि में रखते दूसरा काम नहीं करते हैं, कितने ख्यालात रखते हैं।
- चिट्ठियाँ लिखना, पढ़ना, मकान का ख्याल करना, तो भी बाप को याद करता रहता हूँ।
- बाबा को याद न करें तो विकर्म कैसे विनाश होंगे।
- अभी तुम बच्चों को ज्ञान मिला है, तुम आधाकल्प के लिए पूज्य बन रहे हो।
- आधाकल्प हैं पुजारी तमोप्रधान फिर आधाकल्प पूज्य सतोप्रधान होते हैं।
- आत्मा परमपिता परमात्मा से योग लगाने से ही पारस बनती है।
- याद करते-करते आइरन एज से गोल्डन एज में चली जायेगी।
- पतित-पावन एक को ही कहा जाता है।
- आगे चल तुम्हारा आवाज़ निकलेगा।
- यह तो सब धर्मों के लिए है।
- तुम कहते भी हो बाप कहते हैं कि पतित-पावन मैं ही हूँ।
- मुझे याद करो तो तुम पावन बन जायेंगे।
- बाकी सब हिसाब-किताब चुक्तू कर जायेंगे।
- कहाँ भी मूँझते हो तो पूछ सकते हो।
- सतयुग में होते ही थोड़े हैं।
- अभी तो अनेक धर्म हैं।
- जरूर हिसाब किताब चुक्तू कर फिर ऐसे बनेंगे, जैसे थे।
- डीटेल में क्यों जायें।
- जानते हैं हर एक अपना-अपना पार्ट आकर बजायेंगे।
- अभी सबको वापिस जाना है क्योंकि यह सब सतयुग में थे ही नहीं।
- बाप आते ही हैं एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश करने।
- अब नई दुनिया की स्थापना हो रही है।
- फिर सतयुग जरूर आयेगा, चक्र जरूर फिरेगा।
- टू मच ख्यालात में न जाए, मूल बात हम सतोप्रधान बनेंगे तो ऊंच पद पायेंगे।
- कुमारियों को तो इसमें लग जाना है, कुमारी की कमाई माँ-बाप नहीं खाते हैं।
- परन्तु आजकल भूखे हो गये हैं तो कुमारियों को भी कमाना पड़ता है।
- तुम समझते हो अब पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनना है।
- हम राजयोगी हैं, बाप से वर्सा जरूर लेना है।
- अभी तुम पाण्डव सेना के बने हो।
- अपनी सर्विस करते हुए भी यह ख्याल रखना है, हम जाकर सबको रास्ता बतायें।
- जितना करेंगे, उतना ऊंच पद पायेंगे।
- बाबा से पूछ सकते हैं - इस हालत में मर जायें तो हमको क्या पद मिलेगा?
- बाबा झट बता देंगे।
- सर्विस नहीं करते हो इसलिए साधारण घर में जाकर जन्म लेंगे फिर आकर ज्ञान लेवें सो तो मुश्किल है क्योंकि छोटा बच्चा इतना ज्ञान तो उठा नहीं सकता।
- समझो बाकी 2-3 वर्ष रहते हैं तो क्या पढ़ सकेंगे?
- बाबा बता देंगे तुम कोई क्षत्रिय कुल में जाकर जन्म लेंगे।
- पिछाड़ी में करके डबल ताज मिलेगा।
- स्वर्ग का फुल सुख पा नहीं सकेंगे।
- जो फुल सर्विस करेंगे, पढ़ेंगे वही फुल सुख पायेंगे।
- नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार।
- यही फुरना रखना है - अभी नहीं बनेंगे तो कल्प-कल्प नहीं बनेंगे।
- हर एक अपने को जान सकते हैं, हम कितने मार्क्स से पास होंगे।
- सब जान जाते हैं फिर कहा जाता है भावी।
- अन्दर में दु:ख होगा ना।
- बैठे-बैठे हमको क्या हो गया!
- बैठे-बैठे मनुष्य मर भी जाते हैं इसलिए बाप कहते हैं सुस्ती मत करो।
- पुरूषार्थ कर पतित से पावन बनते रहो, रास्ता बताते रहो।
- कोई भी मित्र-सम्बन्धी आदि हैं, उन पर तरस पड़ना चाहिए।
- देखते हैं यह विकार बिगर, गंद खाने बिगर रह नहीं सकते हैं, फिर भी समझाते रहना चाहिए।
- नहीं मानते तो समझो हमारे कुल का नहीं है।
- कोशिश कर पियरघर, ससुरघर का कल्याण करना है।
- ऐसी भी चलन न हो जो कहें यह तो हमसे बात भी नहीं करते, मुख मोड़ दिया है। नहीं, सबसे जोड़ना है।
- हम उनका भी कल्याण करें।
- बहुत रहमदिल बनना है।
- हम सुख तरफ जाते हैं तो औरों को भी रास्ता बतायें।
- अन्धों की लाठी तुम हो ना।
- गाते हैं अन्धों की लाठी तू।
- आंखे तो सबको हैं फिर भी बुलाते हैं क्योंकि ज्ञान का तीसरा नेत्र नहीं है।
- शान्ति-सुख का रास्ता बताने वाला एक ही बाप है।
- यह तुम बच्चों की बुद्धि में अभी है।
- आगे थोड़ेही समझते थे।
- भक्ति मार्ग में कितने मंत्र जपते हैं।
- राम-राम कह मछली को खिलाते, चीटियों को खिलाते।
- अब ज्ञान मार्ग में तो कुछ भी करने की दरकार नहीं है।
- पक्षी तो ढेर के ढेर मर जाते हैं।
- एक ही तूफान लगता है, कितने मर जाते हैं।
- नेचुरल कैलेमिटीज़ तो अब बहुत जोर से आयेगी।
- यह रिहर्सल होती रहेगी। यह सब विनाश तो होना ही है।
- अन्दर में आता है अब हम स्वर्ग में जायेंगे।
- वहाँ अपने फर्स्टक्लास महल बनायेंगे।
- जैसे कल्प पहले बनाये हैं।
- बनायेंगे फिर भी वही जो कल्प पहले बनाया होगा।
- उस समय वह बुद्धि आ जायेगी।
- उसका ख्याल अब क्यों करें, इससे तो बाप की याद में रहें।
- याद की यात्रा को नहीं भूलो।
- महल तो बनेंगे ही कल्प पहले मिसल।
- परन्तु अभी याद की यात्रा में तोड़ निभाना है और बहुत खुशी में रहना है कि हमको बाप, टीचर, सतगुरू मिला है।
- इस खुशी में तो रोमांच खड़े हो जाने चाहिए।
- तुम जानते हो हम आये ही हैं अमरपुरी का मालिक बनने।
- यह खुशी स्थाई रहनी चाहिए।
- यहाँ रहेगी तब फिर 21 जन्म वह स्थाई हो जायेगी।
- बहुतों को याद कराते रहेंगे तो अपनी भी याद बढ़ेगी।
- फिर आदत पड़ जायेगी।
- जानते हैं इस अपवित्र दुनिया को आग लगनी है।
- तुम ब्राह्मण ही हो जिनको यह ख्याल है - इतनी सारी दुनिया खत्म हो जायेगी।
- सतयुग में यह कुछ भी मालूम नहीं पड़ेगा।
- अभी अन्त है, तुम याद के लिए पुरूषार्थ कर रहे हो।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) पतित से पावन बनने के पुरूषार्थ में सुस्ती नहीं करनी है।
- कोई भी मित्र सम्बन्धी आदि हैं उन पर तरस रख समझाना है, छोड़ नहीं देना है।
- 2) ऐसी चलन नहीं रखनी है जो कोई कहे कि इन्होंने तो मुँह मोड़ लिया है।
- रहमदिल बन सबका कल्याण करना है और सब ख्यालात छोड़ एक बाप की याद में रहना है।
- वरदान:-
- समाने की शक्ति द्वारा रांग को भी राइट बनाने वाले विश्व परिवर्तक भव
- दूसरे की गलती को देखकर स्वयं गलती नहीं करो।
- अगर कोई गलती करता है तो हम राइट में रहें, उसके संग के प्रभाव में न आयें, जो प्रभाव में आ जाते हैं वह अलबेले हो जाते हैं।
- हर एक सिर्फ यह जिम्मेवारी उठा लो कि मैं राइट के मार्ग पर ही रहूंगा, अगर दूसरा रांग करता है तो उस समय समाने की शक्ति यूज़ करो।
- किसी की गलती को नोट करने के बजाए उसको सहयोग का नोट दो अर्थात सहयोग से भरपूर कर दो तो विश्व परिवर्तन का कार्य सहज ही हो जायेगा।
- स्लोगन:-
- निरन्तर योगी बनना है तो हद के मैं और मेरेपन को बेहद में परिवर्तन करो।
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