11-11-2020
प्रात:मुरली
बापदादा मधुबन
मीठे बच्चे - तुम अभी वर्ल्ड सर्वेन्ट हो, तुम्हें किसी भी बात में देह-अभिमान नहीं आना चाहिए
प्रश्नः-
कौन सी एक आदत ईश्वरीय कायदे के विरूद्ध है, जिससे बहुत नुकसान होता है?
उत्तर:-
कोई भी फिल्मी कहानियां सुनना वा पढ़ना, नाविल्स पढ़ना... यह आदत बिल्कुल बेकायदे है,
इससे बहुत नुकसान होता है।
बाबा की मना है-बच्चे, तुम्हें ऐसी कोई किताबें नहीं पढ़नी है।
अगर कोई
बी.के. ऐसी पुस्तकें पढ़ता है तो तुम एक-दो को सावधान करो।
गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी...Listen
-
ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे रूहानी बच्चों प्रति रूहानी बाप कहते हैं - अपनी जांच करो कि
- याद की यात्रा से हम
तमोप्रधान से सतोप्रधान तरफ कितना आगे बढ़े हैं
- क्योंकि जितना-जितना याद करेंगे उतना पाप कटते
जायेंगे।
- अब यह अक्षर कहाँ कोई शास्त्र आदि में लिखे हुए हैं?
- क्योंकि जिस-जिस ने धर्म स्थापन किया,
उसने जो समझाया उसके शास्त्र बने हुए हैं जो फिर बैठ पढ़ते हैं।
- पुस्तक की पूजा करते हैं।
- अब यह भी
समझने की बात है, जबकि यह लिखा हुआ है।
- देह सहित देह के सर्व सम्बन्ध छोड़ अपने को आत्मा
समझो।
- बाप याद दिलाते हैं - तुम बच्चे पहले-पहले अशरीरी आये थे, वहाँ तो पवित्र ही रहते हैं।
- मुक्ति-जीवनमुक्ति में पतित आत्मा कोई जा नहीं सकती।
- वह है निराकारी, निर्विकारी दुनिया।
- इसको कहा
जाता है साकारी विकारी दुनिया फिर सतयुग में यही निर्विकारी दुनिया बनती है।
- सतयुग में रहने वाले
देवताओं की तो बहुत महिमा है।
- अब बच्चों को समझाया जाता है - अच्छी रीति धारण कर औरों को
समझाओ।
- तुम आत्मायें जहाँ से आई हो, पवित्र ही आई हो।
- फिर यहाँ आकर अपवित्र भी जरूर होना है।
- सतयुग को वाइसलेस वर्ल्ड, कलियुग को विशश वर्ल्ड कहा जाता है।
- अब तुम पतित-पावन बाप को याद
करते हो कि हमको पावन वाइसलेस बनाने आप विशश दुनिया, विशश शरीर में आओ।
- बाप खुद बैठ
समझाते हैं - ब्रह्मा के चित्र पर ही मूंझते हैं कि दादा को क्यों बिठाया है।
- समझाना चाहिए यह तो भागीरथ
है। शिव भगवानुवाच है - यह रथ मैंने लिया है क्योंकि मुझे प्रकृति का आधार जरूर चाहिए।
- नहीं तो मैं
तुमको पतित से पावन कैसे बनाऊं।
- रोज़ पढ़ाना भी जरूर है।
- अब बाप तुम बच्चों को कहते हैं अपने को
आत्मा समझ मामेकम् याद करो।
- सभी आत्माओं को अपने बाप को याद करना है।
- कृष्ण को सभी
आत्माओं का बाप नहीं कहेंगे।
- उनको तो अपना शरीर है।
- तो यह बाप बहुत सहज समझाते हैं - जब भी
किसी को समझाओ तो बोलो - बाप कहते हैं तुम अशरीरी आये, अब अशरीरी बनकर जाना है।
- वहाँ से पवित्र
आत्मा ही आती है।
- भल कल कोई आते तो भी पवित्र हैं, तो उनकी महिमा जरूर होगी।
- सन्यासी, उदासी,
गृहस्थी जिनका नाम होता है, जरूर उनका यह पहला जन्म है ना।
- उनको आना ही है धर्म स्थापन करने।
- जैसे बाबा गुरूनानक के लिए समझाते हैं।
- अब गुरू अक्षर भी कहना पड़ता है क्योंकि नानक नाम तो बहुतों
का है ना।
- जब किसकी महिमा की जाती है तो उस मतलब से कहा जाता है।
- न कहें तो अच्छा नहीं।
- वास्तव में बच्चों को समझाया है - गुरू कोई भी है नहीं, सिवाए एक के।
- जिसके नाम पर ही गाते हैं
सतगुरू अकाल... वह अकालमूर्त है अर्थात् जिसको काल न खाये, वह है आत्मा, तब यह कहानियां आदि
बैठ बनाई हैं।
- फिल्मी कहानियों की किताब, नाविल्स आदि भी बहुत पढ़ते हैं।
- बाबा बच्चों को खबरदार करते
हैं।
- कभी भी कोई नाविल आदि नहीं पढ़ना है।
- कोई-कोई को आदत होती है।
- यहाँ तो तुम सौभाग्यशाली बनते
हो।
- कोई बी.के. भी नाविल्स पढ़ते हैं इसलिए बाबा सब बच्चों को कहते हैं - कभी भी किसको नाविल पढ़ता
देखो तो झट उठाकर फाड़ दो, इसमें डरना नहीं है।
- हमको कोई श्राप न दे वा गुस्से न हो, ऐसी कोई बात
नहीं।
- तुम्हारा काम है - एक-दो को सावधान करना।
- फिल्म की कहानियां सुनना या पढ़ना बेकायदे है।
- बेकायदे कोई चलन है तो झट रिपोर्ट करनी चाहिए।
- नहीं तो सुधरेंगे कैसे?
- अपना नुकसान करते रहेंगे।
- खुद
में ही योगबल नहीं होगा तो यहाँ क्या बैठ सिखलायेंगे।
- बाबा की मना है।
- अगर फिर ऐसा काम करेंगे तो
अन्दर दिल जरूर खाती रहेगी।
- अपना नुकसान होगा इसलिए कोई में भी कोई अवगुण देखते हो तो लिखना
चाहिए।
- कोई बेकायदे चलन तो नहीं चलते?
- क्योंकि ब्राह्मण इस समय सर्वेन्ट हैं ना।
- बाबा भी कहते हैं
बच्चे नमस्ते।
- अर्थ सहित समझाते हैं।
- बच्चियाँ पढ़ाने वाली जो हैं - उनमें देह-अभिमान नहीं आना चाहिए।
- टीचर भी स्टूडेण्ट का सर्वेन्ट होता है ना।
- गवर्नर आदि भी चिट्ठी लिखते हैं, नीचे सही करेंगे आई एम
ओबीडियन्ट सर्वेन्ट। बिल्कुल सम्मुख नाम लिखेंगे।
- बाकी क्लर्क लिखेगा - अपने हाथ से। कभी अपनी बड़ाई
नहीं लिखेंगे।
- आजकल गुरू तो अपने आपको आपेही श्री-श्री लिख देते।
- यहाँ भी कोई ऐसे हैं - श्री फलाना
लिख देते हैं।
- वास्तव में ऐसे भी लिखना नहीं चाहिए।
- न फीमेल श्रीमती लिख सकती है।
- श्रीमत तब मिले
जब श्री-श्री स्वयं आकर मत देवे।
- तुम समझा सकते हो कि जरूर कोई की मत से यह (देवता) बने हैं ना।
- भारत में किसको भी यह पता नहीं कि यह इतना ऊंच विश्व के मालिक कैसे बने।
- तुमको तो यही नशा
चढ़ना चाहिए।
- यह एम आब्जेक्ट का चित्र सदैव छाती से लगा होना चाहिए।
- किसको भी बताओ - हमको
भगवान पढ़ाते हैं, जिससे हम विश्व का महाराजा बनते हैं।
- बाप आये हैं इस राज्य की स्थापना करने।
- इस
पुरानी दुनिया का विनाश सामने खड़ा है।
- तुम छोटी-छोटी बच्चियां तोतली भाषा में किसको भी समझा
सकती हो।
- बड़े-बड़े सम्मेलन आदि होते हैं, उनमें तुमको बुलाते हैं।
- यह चित्र तुम ले जाओ और बैठकर
समझाओ।
- भारत में फिर से इन्हों का राज्य स्थापन हो रहा है।
- कहाँ भी भरी सभा में तुम समझा सकते हो।
- सारा दिन सर्विस का ही नशा रहना चाहिए।
- भारत में इनका राज्य स्थापन हो रहा है।
- बाबा हमको राजयोग
सिखला रहे हैं।
- शिव भगवानुवाच - हे बच्चों, तुम अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो।
- तो तुम यह बन
जायेगे 21 पीढ़ी के लिए।
- दैवी गुण भी धारण करने हैं।
- अभी तो सबके आसुरी गुण हैं।
- श्रेष्ठ बनाने वाला तो
एक ही श्री श्री शिवबाबा है।
- वही ऊंच ते ऊंच बाप हमको पढ़ाते हैं।
- शिव भगवानुवाच, मनमनाभव।
- भागीरथ
तो मशहूर है।
- भागीरथ को ही ब्रह्मा कहा जाता है, जिसको महावीर भी कहते हैं।
- यहाँ देलवाड़ा मन्दिर में
बैठे हुए हैं ना।
- जैनी आदि जो मन्दिर बनाने वाले हैं वह कोई भी जानते थोड़ेही हैं।
- तुम छोटी-छोटी बच्चियां
कोई से भी विजिट ले सकती हो।
- अभी तुम बहुत श्रेष्ठ बन रहे हो।
- यह भारत की एम आब्जेक्ट है ना।
कितना नशा चढ़ना चाहिए।
- यहाँ बाबा अच्छी रीति नशा चढ़ाते हैं।
- सब कहते हैं हम तो लक्ष्मी-नारायण
बनेंगे।
- राम-सीता बनने के लिए कोई भी हाथ नहीं उठाते।
- अभी तो तुम हो अहिंसक, क्षत्रिय।
- तुम अहिंसक
क्षत्रियों को कोई भी नहीं जानते।
- यह तुम अभी समझते हो।
- गीता में भी अक्षर हैं मनमनाभव।
- अपने को
आत्मा समझो।
- यह तो समझने की बात है ना और कोई भी समझ नहीं सकते।
- बाप बैठ बच्चों को शिक्षा
देते हैं - बच्चे आत्म-अभिमानी बनो।
- यह आदत तुम्हारी फिर 21 जन्म के लिए चलती है।
- तुमको शिक्षा
मिलती ही है 21 जन्मों के लिए।
- बाबा घड़ी-घड़ी मूल बात समझाते हैं - अपने को आत्मा समझकर बैठो।
- परमात्मा बाप हम आत्माओं को बैठ
समझाते हैं, तुम घड़ी-घड़ी देह-अभिमान में आ जाते हो फिर घरबार आदि याद आ जाता है।
- यह होता है।
- भक्ति मार्ग में भी भक्ति करते-करते बुद्धि और तरफ चली जाती है।
- एक टिक सिर्फ नौधा भक्ति वाले ही
बैठ सकते हैं, जिसको तीव्र भक्ति कहा जाता है।
- एकदम लवलीन हो जाते हैं।
- तुम जैसे याद में बैठते हो तो
कोई समय एकदम अशरीरी बन जाते हो।
- जो अच्छे बच्चे होंगे - वही ऐसी अवस्था में बैठेंगे।
- देह का भान
निकल जायेगा।
- अशरीरी हो उस मस्ती में बैठे रहेंगे।
- यह आदत पड़ जायेगी।
- संन्यासी हैं तत्व ज्ञानी वा ब्रह्म
ज्ञानी।
- वह कहते हैं हम लीन हो जायेंगे।
- यह पुराना शरीर छोड़ ब्रह्म तत्व में लीन हो जायेंगे।
- सबका
अपना-अपना धर्म है ना।
- कोई भी दूसरे धर्म को नहीं मानते हैं।
- आदि सनातन देवी देवता धर्म वाले भी
तमोप्रधान बन गये हैं।
- गीता का भगवान कब आया था?
- गीता का युग कब था?
- कोई भी नहीं जानते।
- तुम
जानते हो इस संगमयुग पर ही बाप आकर राजयोग सिखलाते हैं।
- तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाते हैं।
- भारत
की ही बात है।
- अनेक धर्म भी थे जरूर। गायन है एक धर्म की स्थापना, अनेक धर्मों का विनाश।
- सतयुग में
था एक धर्म।
- अभी कलियुग में हैं अनेक धर्म।
- फिर एक धर्म की स्थापना होती है।
- एक धर्म था, अभी नहीं
है।
- बाकी सब खड़े हैं।
- बड़ के झाड़ का मिसाल भी बिल्कुल ठीक है।
- फाउण्डेशन है नहीं।
- बाकी सारा झाड़
खड़ा है।
- वैसे इसमें भी देवी देवता धर्म है नहीं।
- आदि सनातन देवी देवता धर्म जो तना था - वह अब
प्राय:लोप हो गया है।
- फिर से बाप स्थापना करते हैं।
- बाकी इतने सब धर्म तो पीछे आये हैं फिर चक्र को
रिपीट जरूर करना है अर्थात् पुरानी दुनिया से फिर नई दुनिया होनी है।
- नई दुनिया में इन्हों का राज्य था।
- तुम्हारे पास बड़े चित्र भी हैं, छोटे भी हैं।
- बड़ी चीज़ होगी तो देखकर पूछेंगे - यह क्या उठाया है।
- बोलो, हमने
वह चीज़ उठाई है, जिससे मनुष्य बेगर टू प्रिन्स बन जायें।
- दिल में बड़ा उमंग, बड़ी खुशी रहनी चाहिए।
- हम
आत्मायें भगवान के बच्चे हैं।
- आत्माओं को भगवान पढ़ाते हैं।
- बाबा हमको नयनों पर बिठाए ले जायेंगे।
- इस
छी-छी दुनिया में तो हमको रहने का नहीं है।
- आगे चल त्राहि-त्राहि करेंगे, बात मत पूछो।
- करोड़ों मनुष्य मरते
हैं।
- यह तो तुम बच्चों की बुद्धि में है।
- हम इन आंखों से जो देखते हैं यह कुछ भी रहना नहीं है।
- यहाँ तो
मनुष्य हैं कांटों मिसल।
- सतयुग है फूलों का बगीचा।
- फिर हमारे नयन ही ठण्डे हो जायेंगे।
- बगीचे में जाने से
नयन ठण्डे शीतल हो जाते हैं ना।
- तो तुम अभी पद्मापद्म भाग्यशाली बन रहे हो।
- ब्राह्मण जो बनते हैं उनके
पांव में पद्म हैं।
- तुम बच्चों को समझाना चाहिए - हम यह राज्य स्थापन कर रहे हैं, इसलिए बाबा ने बैज
बनवाये हैं।
- सफेद साड़ी पहनी हुई हो, बैज लगा हो, इससे स्वत: सेवा होती रहेगी।
- मनुष्य गाते हैं - आत्मा
परमात्मा अलग रहे बहुकाल...परन्तु बहुकाल का अर्थ कोई भी समझते नहीं हैं।
- तुमको बाप ने बताया है कि
बहुकाल अर्थात् 5 हजार वर्ष के बाद तुम बच्चे बाप से मिलते हो।
- तुम यह भी जानते हो कि इस सृष्टि में
सबसे नामीग्रामी हैं यह राधे कृष्ण।
- यह सतयुग के फर्स्ट प्रिन्स प्रिन्सेज हैं।
- कभी किसके ख्याल में भी नहीं
आयेगा कि यह कहाँ से आये।
- सतयुग के आगे जरूर कलियुग होगा।
- उन्होंने क्या कर्म किये जो विश्व के
मालिक बनें।
- भारतवासी कोई इन्हों को विश्व का मालिक नहीं समझते हैं।
- इनका जब राज्य था तो भारत में
और कोई धर्म था नहीं।
- अभी तुम बच्चे जानते हो - बाप हमको राजयोग सिखा रहे हैं।
- हमारी एम आब्जेक्ट
यह है।
- भल मन्दिरों में उन्हों के चित्र आदि हैं।
- परन्तु यह थोड़ेही समझते हैं कि इस समय यह स्थापना हो
रही है।
- तुम्हारे में भी नम्बरवार समझते हैं।
- कोई तो बिल्कुल ही भूल जाते हैं।
- चलन ऐसी होती है जैसे पहले
थी।
- यहाँ समझते तो बहुत अच्छा हैं, यहाँ से बाहर निकले खलास।
- सर्विस का शौक रहना चाहिए।
- सबको
यह पैगाम देने की युक्ति रचें।
- मेहनत करनी है।
- नशे से बताना चाहिए - शिवबाबा कहते हैं मुझे याद करो
तो पाप मिट जायेंगे।
- हम एक शिवबाबा के सिवाए और किसको याद नहीं करते हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी
बच्चों को नमस्ते।
- धारणा के लिए मुख्य सार:-
- 1) एम आब्जेक्ट का चित्र सदा साथ रखना है।
- नशा रहे कि अभी हम श्रीमत पर विश्व का मालिक बन रहे
हैं।
- हम ऐसे फूलों के बगीचे में जाते हैं - जहाँ हमारे नयन ही शीतल हो जायेंगे।
- 2) सर्विस का बहुत-बहुत शौक रखना है।
- बड़े दिल वा उमंग से बड़े-बड़े चित्रों पर सर्विस करनी है।
- बेगर टू
प्रिन्स बनाना है।
- वरदान:-
- यज्ञ सेवा द्वारा सर्व प्राप्तियों का प्रसाद प्राप्त करने वाले आलराउन्ड सेवाधारी भव
- संगमयुग पर आलराउन्ड सेवा का चांस मिलना-यह भी ड्रामा में एक लिफ्ट है, जो प्यार से यज्ञ की
आलराउन्ड सेवा करते हैं उन्हें सर्व प्राप्तियों का प्रसाद स्वत:प्राप्त हो जाता है।
- वे निर्विघ्न रहते हैं।
- एक बारी
सेवा की और हजार बार सेवा का फल प्राप्त हो गया।
- सदा स्थूल सूक्ष्म लंगर लगा रहे।
- किसी को भी
सन्तुष्ट करना-यह सबसे बड़ी सेवा है।
- मेहमान-निवाज़ी करना, यह सबसे बड़ा भाग्य है।
- स्लोगन:-
- स्वमान में स्थित रहो तो अनेक प्रकार के अभिमान स्वत: समाप्त हो जायेंगे।
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